सम्पादकीय

Rajya Sabha Elections : यूपी में ब्राह्मण-मुस्लिम वोटों पर नजर गड़ाए कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए तिवारी, शुक्ला, इमरान को बनाया उम्मीदवार

Rani Sahu
31 May 2022 8:54 AM GMT
Rajya Sabha Elections : यूपी में ब्राह्मण-मुस्लिम वोटों पर नजर गड़ाए कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए तिवारी, शुक्ला, इमरान को बनाया उम्मीदवार
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2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में जिसमें यूपी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा कांग्रेस ने राज्यसभा के नामांकन के लिए यूपी के तीन नेताओं को चुना है

एम हसन

हाल के उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनावों में अपमानजनक हार के बाद जिसमें कांग्रेस (Congress) सिर्फ दो सीटें जीत सकी, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं प्रमोद तिवारी, राजीव शुक्ला और इमरान प्रतापगढ़ी को क्रमशः राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से राज्यसभा (Rajya Sabha) के लिए मैदान में उतारने का फैसला किया है. कांग्रेस के पास यूपी से अपना उम्मीदवार चुनने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है. यह तीनों नेता नेहरू-गांधी परिवार के प्रति अपनी वफादारी के लिए जाने जाते हैं.
2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में जिसमें यूपी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा कांग्रेस ने राज्यसभा के नामांकन के लिए यूपी के तीन नेताओं को चुना है. हालांकि इन उम्मीदवारों के चयन से राज्य कांग्रेस संगठन में आंतरिक कलह शुरू हो गई है. AICC महासचिव प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से इन तीनों नेताओं की निकटता ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनने में मदद की है. दो ब्राह्मण उम्मीदवारों और एक मुस्लिम के नामांकन ने साफ संकेत दिया है कि कांग्रेस राज्य में मुस्लिम और ब्राह्मण वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाने की पूरी कोशिश कर रही है. पूरे देश से राज्यसभा के लिए दस उम्मीदवारों का चुनाव करते हुए हुए AICC ने यूपी के इन तीनों नेताओं को चुनकर यूपी को प्राथमिकता दी है.
कांग्रेस ने क्षेत्रीय संतुलन की अनदेखी की है
2013 में लगातार नौ बार यूपी विधानसभा के सदस्य रहे प्रमोद तिवारी समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा सदस्य बने. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से उनकी नजदीकी जगजाहिर है. वे केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य भी रह चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि जब उनका नाम यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा था, क्योंकि अजय कुमार लल्लू के इस्तीफे के बाद यह पद खाली हो गया था. तिवारी राज्यसभा के लिए नामांकन प्राप्त करने में सफल रहे.
पत्रकार से राजनेता बने राजीव शुक्ला छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में लौटने के लिए तैयार हैं. उर्दू कवि से राजनेता बने इमरान प्रतापगढ़ी जो AICC अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष भी हैं, महाराष्ट्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. यूपी से उम्मीदवारों के चयन ने संकेत दिया है कि पार्टी नेतृत्व ने क्षेत्रीय संतुलन की अनदेखी की है जैसा कि सत्तारूढ़ बीजेपी और समाजवादी पार्टी की लिस्ट में भी नजर आता है. क्या इमरान प्रतापगढ़ी पार्टी के लिए मुस्लिम वोट जुटा पाएंगे, यह अभी साफ नहीं है?
प्रमोद तिवारी और इमरान प्रतापगढ़ी दोनों प्रतापगढ़ के हैं और राजीव शुक्ला कानपुर के हैं. इमरान 2019 का लोकसभा चुनाव मुरादाबाद से हार गए थे. तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा मोना जो दो सदस्यीय कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं प्रियंका गांधी की करीबी हैं. AICC नेतृत्व ने राजस्थान के एक नेता जो 2023 के चुनाव में खड़े होने जा रहे हैं उनपर विश्वास करने के बजाय तिवारी को चुना है जिससे संकेत मिलता है कि पार्टी यूपी के बारे में ज्यादा गंभीर. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बड़ी संख्या में नेताओं के इसे छोड़ने के बाद इसका संगठनात्मक ढांचा चरमरा गया है.
कांग्रेस का दांव 2024 में उसे सफलता दिला पाएगी?
यूपी के इन उम्मीदवारों के चयन से राज्य में कांग्रेस को कोई खास फायदा पहुंचने की संभावना नहीं है. पिछले विधानसभा चुनावों में ब्राह्मण और मुस्लिम कम्युनिटी के वोट पाने के लिए पार्टी के सभी प्रयास विफल रहे. इसी वजह से उनका वोट प्रतिशत 6.25 फीसदी (2017) से गिरकर 2022 में 2.35 फीसदी हो गया. यहां तक कि UPCC प्रमुख लल्लू भी चुनाव हार गए. केवल आराधना मिश्रा मोना (रामपुर खास) और वीरेंद्र चौधरी (फरेंदा-महाराजगंज) ही जीत सके. जहां ब्राह्मण समुदाय ने बड़े पैमाने पर भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा को दिखाया वहीं समाजवादी पार्टी की मुस्लिम समुदाय पर बहुत अच्छी पकड़ नजर आई. सपा ने भी राज्यसभा के लिए मुस्लिम उम्मीदवार जावेद अली को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस पार्टी का यह पैंतरा 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्हें कोई खास फायदा पहुंचा पाएगा इसकी संभावना कम है.

सोर्स- tv9hindi.com

Rani Sahu

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