सम्पादकीय

Rajya Sabha Election 2022: हरियाणा के राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस क्यों है दबाव में

Rani Sahu
3 Jun 2022 1:15 PM GMT
Rajya Sabha Election 2022: हरियाणा के राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस क्यों है दबाव में
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हरियाणा के राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस क्यों है दबाव में

अजय झा |

मीडिया उद्यमी कार्तिकेय शर्मा (Kartikeya Sharma) ने मंगलवार को हरियाणा से राज्यसभा चुनाव के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया. ये चुनाव 10 जून को होने हैं. 41 वर्षीय कार्तिकेय पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे हैं. कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने के बाद कार्तिकेय शर्मा ने 2014 में अपनी राजनीतिक पार्टी जन चेतना पार्टी बनाई थी. मैदान में कार्तिकेय के उतर आने से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार और राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन का राज्यस्भा का रास्ता थोड़ा मुश्किल हो गया है. हरियाणा विधानसभा के 90 सदस्य राज्यसभा के लिए दो सदस्यों के चुनाव के लिए 10 जून को मतदान करेंगे. राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हरियाणा के पूर्व मंत्री कृष्ण लाल पंवार को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो दलित समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं.
हरियाणा से राज्य सभा के लिए दो सदस्यों को मनोनीत करने वाले जो चुनाव अभी तक एकदम आम लग रहे थे, मीडिया उद्यमी कार्तिकेय शर्मा के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में आने के साथ ही वो दिलचस्प बन गए हैं. संख्यात्मक ताकत को देखते हुए अभी तक ऐसा लग रहा था कि राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रमुख विपक्षी कांग्रेस द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए जाएंगे. लेकिन अब 10 जून का मतदान अचानक से सभी की नजरों में आ गया है और दिलचस्पी जगा रहा है. हरियाणा को दो प्रतिनिधियों का चुनाव 10 जून को करना है जो 1 अगस्त को संसद के उच्च सदन में अपने 6 साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे मीडिया बैरन सुभाष चंद्रा और भाजपा के दुष्यंत गौतम की जगह लेंगे.
2016 के राज्यसभा चुनावों की यादें ताजा
कार्तिकेय के मैदान में प्रवेश ने हरियाणा से 2016 के राज्यसभा चुनावों की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें भाजपा समर्थित निर्दलीय सुभाष चंद्रा ने कांग्रेस पार्टी के 12 विधायकों के वोटों की नाटकीय अस्वीकृति के बावजूद उच्च सदन में अपनी जगह बना ली थी. कहा जाता है कि उन्होंने वोट डालने के लिए गलत स्याही का इस्तेमाल किया था ताकि क्रॉस वोटिंग से उत्पन्न होने वाली कानूनी जटिलताओं से बचा जा सके. लेकिन भाजपा ने अपनी योजना बनाते हुए उनको राज्यसभा का सदस्य बनवा ही दिया. सुभाष चंद्रा ने इस बार राजस्थान से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है, जबकि कार्तिकेय ने कांग्रेस के लिए अपनी दावेदारी के साथ एक नई चुनौती खड़ी कर दी है.
हरियाणा विधानसभा की कुल संख्या 90
हरियाणा विधानसभा की कुल संख्या 90 है, ऐसे में जीतने के लिए उम्मीदवारों को न्यूनतम 31 मतों की आवश्यकता होगी. उधर, भाजपा की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि पार्टी उम्मीदवार के.एल. पंवार आराम से राज्यसभा में अपनी सीट पक्की कर सकते हैं. जबकि पार्टी की ओर से अपने बचे बाकी नौ वोट कार्तिकेय को देने का वादा किया गया है. भाजपा के गठबंधन का हिस्सा और सत्ता में सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी), जिसके 10 विधायक हैं, ने भी कार्तिकेय को अपना समर्थन देने का वादा किया है. सात निर्दलीय उम्मीदवारों में से छह भाजपा के साथ हैं, जिनमें लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा भी शामिल हैं.
उम्मीद जताई जा रही है कि इंडियन नेशनल लोक दल के एकमात्र विधायक अभय चौटाला भी कार्तिकेय को ही अपना समर्थन देंगे. वहीं महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने अपने एक बयान में कहा है कि उन्होंने अभी तक मन नहीं बनाया है कि वे अपना वोट किसको वोट देंगे. लेकिन कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ उनके खटास भरे रिश्ते को देखकर यही अनुमान लगाया जा रहा है कि वे भी कार्तिकेय के पक्ष में ही वोट देंगे. इससे कार्तिकेय के पक्ष में 28 वोट होने की संभावना बढ़ रही है और अगर कांग्रेस के तीन सदस्य भी क्रॉस वोटिंग कर देते हैं तो उनकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी.
31 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी एकदम हाशिये पर
कार्तिकेय के पिता विनोद शर्मा ने कांग्रेस पार्टी में 40 साल बिताए हैं और पार्टी के कई लोगों से अभी भी उनके संबंध बहुत अच्छे हैं. कार्तिकेय के ससुर हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा हैं. वह 2019 में भले ही अपनी गन्नौर सीट हार गए, लेकिन आज भी पार्टी के एक प्रमुख गैर-जाट नेता के तौर पर जाने जाते हैं. विनोद शर्मा एक सफल व्यवसायी हैं और विधायकों को आराम से अपने बेटे के पक्ष में करने में सक्षम हैं. जहां तक कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार अजय माकन का सवाल है तो 31 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी एकदम हाशिये पर खड़ी है. सवाल यह है कि कांग्रेस को क्या उसके ही विधायक धोखा दे जाएंगे और उसकी गाड़ी बीच में फंस जाएगी?
विपक्ष के नेता होने के नाते हुड्डा का पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जिस तरीके से अपने करीबी सहयोगी उदय भान को पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कराया है और केंद्रीय नेतृत्व ने जैसे उनकी बात मानी है – उससे कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के विधायकों का एक वर्ग खासा नाराज है. विपक्ष के नेता होने के नाते हुड्डा का पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण है. लेकिन उदय की नियुक्ति के फैसले का पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने सार्वजनिक रूप से विरोध किया था. वहीं कार्तिकेय ने भी इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है कि माकन दिल्ली के नेता हैं और इस तरीके से वे हरियाणा के लिए बाहरी आदमी हैं. वह राजस्थान के प्रभारी महासचिव हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें हरियाणा से मैदान में उतारने का विकल्प चुना और हरियाणा में जन्मे राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को राजस्थान से टिकट दिया. ये फैसला हुड्डा और सुरजेवाला के बीच कटु संबंधों को देखते हुए लिया गया था.
अजय माकन का हरियाणा से एकमात्र संबंध यह है कि वह हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर के बहनोई हैं, जो अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. कांग्रेस पार्टी का अन्य राज्यों के लोगों को चुनावों में उतारने का मुद्दा एक बड़ा विवाद बनने की कगार पर है और ये मामला इस आग को और भड़का सकता है. माकन की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अब एक तरीके से हुड्डा पर है क्योंकि हरियाणा कांग्रेस में वे पहले से भी ज्यादा मजबूत होकर उभरे हैं और पार्टी ने अभी तक उनकी सभी मांगों को स्वीकार भी किया है. अगर अजय माकन हारते हैं तो बेशक हरियाणा कांग्रेस के निर्विवाद रूप से मजबूत नेता की हुड्डा की छवि धूमिल हो सकती है.

सोर्स-tv9hindi.com

Rani Sahu

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