सम्पादकीय

राजनाथ : कोरोना से लड़ने को सेना भी तैयार

Gulabi
22 April 2021 3:25 PM GMT
राजनाथ : कोरोना से लड़ने को सेना भी तैयार
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देश में जब भी संकट आता है, भारतीय सेना के जवान अपनी जिन्दगी की परवाह किए बिना हमारे सामने चट्टान की तरह खड़े हो जाते हैं

देश में जब भी संकट आता है, भारतीय सेना के जवान अपनी जिन्दगी की परवाह किए बिना हमारे सामने चट्टान की तरह खड़े हो जाते हैं। युद्ध हो या शांति काल, प्राकृतिक आपदाएं हों या महामारी, हमारी सेना के जवानों ने हमेशा कर्त्तव्यपरायणता का परिचय दिया है। सेना के जवान देवदूत बनकर हमेशा से ही भारतीयों की रक्षा में तत्पर रहे हैं। हर विपदा की घड़ी में मदद का हाथ हमेशा सेना ने ही बढ़ाया है। हर भारतीय की सेना में अटूट आस्था है। देश में काेरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ाैतरी के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना से कहा है कि वह मरीजों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं देने सहित इस महामारी से निपटने में राज्य प्रशासनों का सहयोग करें। रक्षा मंत्री ने सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे और डीआरडीओ के अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की। रक्षा मंत्रालय का सेना के तीनों अंगों के वरिष्ठ अधिकारियों से सम्पर्क बना हुआ है। वायुसेना और नौसेना को तैयार रहने को कह दिया गया है। इसके बाद छावनी बोर्डों द्वारा चलाए जा रहे 67 अस्पतालों को निर्देश दे दिया गया है कि वे छावनी क्षेत्र में रहने वालों के साथ ही बाहर के लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए। डीआरडीओ ने दिल्ली हवाई अड्डे के निकट मरीजों के उपचार के लिए चिकित्सा सुविधा केन्द्र ​फिर से खोल दिया है। इसकी क्षमता 250 बिस्तरों की है। अब इसकी क्षमता एक हजार बेड की जा रही है। डीआरडीओ लखनऊ में भी ऐसी सुविधा देने जा रहा है। कोरोना काल में कई यूरोपीय देशों में कोरोना संक्रमण से पैदा हुए हालात को सम्भालने के लिए सेना की मदद ली जा रही है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के फैलते ही सेना ने मदद के लिए हाथ बढ़ा दिया था। तब उसने मानेसर, जैसलमेर और जोधपुर समेत 8 क्वारंटीन केन्द्र बनाए थे। उसने अपने जहाजों से लोगाें की जिन्दगी देनी शुरू कर दी थी। लाॅकडाउन की स्थिति में जब कई शहरों में सैम्पल जांच के ​लिए परिवहन सुविधाएं ठप्प हो गई थीं तो सेना के हैलीकाप्टर ने सैम्पल लेकर जांच प्रयोगशालाओं में पहुंचाने का काम किया। कोरोना से प्रभावित भारतीय नागरिकों को विदेशों से सुरक्षित वापिस लाने में वायुसेना और नौसेना की भूमिका काफी प्रशंसनीय रही है। कोरोना संक्रमण के दौरान जब बुहान जाने की चुनौती थी और उसकी भयानकता की शुरूआत ही हुई थी और बुहान में जहां वहां हमारे भारतीयों को निकालना था तो वायुसेना के जवान सबसे पहले आगे आए हैं। कुछ ऐसे देश भी थे जिन्होंने अपने लोगों को बुहान में नसीब पर ही छोड़ दिया था लेकिन भारत ने न सिर्फ अपने हर नागरिक को वहां से निकाला बल्कि कई अन्य देशों की भी हमारे एयरफोर्स के जवानों ने मदद की। आप्रेशन समुद्र सेतु के जरिये भी विदेशों से हजारों भारतीय हमारी नौसेना के कारण सुरक्षित भारत लौट आए। देश ही नहीं बल्कि मालदीव, मारिशस, अफगानिस्तान से लेकर कुुवैत, कांगो और दक्षिणी सूडान सहित अनेक मित्र देशों की मदद में भी वायुसेना सबसे आगे है। वायुसेना के सहयोग से ही सैंकड़ों टन की राहत सामग्री जरूरतमंदों तक समय पर पहुंच पाई है।


डीआरडीओ हो या हमारी तीनों सेना हो, बीएसएफ सहित हमारे सभी पैरामिलिट्री फोर्स ने कोविड से जुड़े उपकरण लेकर क्वांरटीन और इलाज तक में जिस तरह से युद्ध स्तर पर काम किया वो अभूतपूर्व रहा। जब शुरूआत में सैनेटाइजर और फेस मास्क तक की चुनौती थी तब देश की इन जरूरतों को पूूरा करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं ने उठाई। प्रोटेक्शन किट हों, वेंटिलेटर्स हों, मेडिकल आक्सीजन से जुड़ी सुविधाएं हों, अस्पताल हों, हर स्तर पर सेना ने अहम योगदान दिया। सेना के त्याग और तपस्या से जगमगाते जीवन से प्रेरणा लेते हुए देशवासियों ने दीपावली पर दीप रोशन कर सेना का गौरव गान किया था।

ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण से सैन्य बल प्रभावित नहीं हुए लेकिन सेना के तीनों अंगों ने अपनी-अपनी आप्रेशनन्स यूनिट को किसी भी हालत में प्रभावित नहीं होने दिया। कोरोना काल में ही भारतीय सेना ने युद्धाभ्यास भी किए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहुत ही परिपक्व और अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। पिछले वर्ष उन्होंने खुद पहल कर कृषि क्षेत्र पर लगी पाबंदियों में ढील दिलवाई थी और किसानों को खेतों में जाकर बचाव के उपाय अपनाते हुए काम करने को प्रेरित किया था। वक्त की जरूरत को देखते हुए उन्होंने सेना को राज्य सरकारों की मदद करने को कहा है। यह सही है कि सेना को ज्ञात शत्रु से युद्ध नहीं बल्कि अदृश्य शत्रु से लड़ना पड़ रहा है। यह युद्ध किसी एक का नहीं बल्कि इस युद्ध को हम मिलजुल कर लड़ कर ही जीत सकते हैं।


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