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- राजनाथ : कोरोना से...
देश में जब भी संकट आता है, भारतीय सेना के जवान अपनी जिन्दगी की परवाह किए बिना हमारे सामने चट्टान की तरह खड़े हो जाते हैं। युद्ध हो या शांति काल, प्राकृतिक आपदाएं हों या महामारी, हमारी सेना के जवानों ने हमेशा कर्त्तव्यपरायणता का परिचय दिया है। सेना के जवान देवदूत बनकर हमेशा से ही भारतीयों की रक्षा में तत्पर रहे हैं। हर विपदा की घड़ी में मदद का हाथ हमेशा सेना ने ही बढ़ाया है। हर भारतीय की सेना में अटूट आस्था है। देश में काेरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ाैतरी के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना से कहा है कि वह मरीजों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं देने सहित इस महामारी से निपटने में राज्य प्रशासनों का सहयोग करें। रक्षा मंत्री ने सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे और डीआरडीओ के अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की। रक्षा मंत्रालय का सेना के तीनों अंगों के वरिष्ठ अधिकारियों से सम्पर्क बना हुआ है। वायुसेना और नौसेना को तैयार रहने को कह दिया गया है। इसके बाद छावनी बोर्डों द्वारा चलाए जा रहे 67 अस्पतालों को निर्देश दे दिया गया है कि वे छावनी क्षेत्र में रहने वालों के साथ ही बाहर के लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए। डीआरडीओ ने दिल्ली हवाई अड्डे के निकट मरीजों के उपचार के लिए चिकित्सा सुविधा केन्द्र फिर से खोल दिया है। इसकी क्षमता 250 बिस्तरों की है। अब इसकी क्षमता एक हजार बेड की जा रही है। डीआरडीओ लखनऊ में भी ऐसी सुविधा देने जा रहा है। कोरोना काल में कई यूरोपीय देशों में कोरोना संक्रमण से पैदा हुए हालात को सम्भालने के लिए सेना की मदद ली जा रही है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के फैलते ही सेना ने मदद के लिए हाथ बढ़ा दिया था। तब उसने मानेसर, जैसलमेर और जोधपुर समेत 8 क्वारंटीन केन्द्र बनाए थे। उसने अपने जहाजों से लोगाें की जिन्दगी देनी शुरू कर दी थी। लाॅकडाउन की स्थिति में जब कई शहरों में सैम्पल जांच के लिए परिवहन सुविधाएं ठप्प हो गई थीं तो सेना के हैलीकाप्टर ने सैम्पल लेकर जांच प्रयोगशालाओं में पहुंचाने का काम किया। कोरोना से प्रभावित भारतीय नागरिकों को विदेशों से सुरक्षित वापिस लाने में वायुसेना और नौसेना की भूमिका काफी प्रशंसनीय रही है। कोरोना संक्रमण के दौरान जब बुहान जाने की चुनौती थी और उसकी भयानकता की शुरूआत ही हुई थी और बुहान में जहां वहां हमारे भारतीयों को निकालना था तो वायुसेना के जवान सबसे पहले आगे आए हैं। कुछ ऐसे देश भी थे जिन्होंने अपने लोगों को बुहान में नसीब पर ही छोड़ दिया था लेकिन भारत ने न सिर्फ अपने हर नागरिक को वहां से निकाला बल्कि कई अन्य देशों की भी हमारे एयरफोर्स के जवानों ने मदद की। आप्रेशन समुद्र सेतु के जरिये भी विदेशों से हजारों भारतीय हमारी नौसेना के कारण सुरक्षित भारत लौट आए। देश ही नहीं बल्कि मालदीव, मारिशस, अफगानिस्तान से लेकर कुुवैत, कांगो और दक्षिणी सूडान सहित अनेक मित्र देशों की मदद में भी वायुसेना सबसे आगे है। वायुसेना के सहयोग से ही सैंकड़ों टन की राहत सामग्री जरूरतमंदों तक समय पर पहुंच पाई है।