सम्पादकीय

बरसात का आगाज

Subhi
1 July 2022 5:51 AM GMT
बरसात का आगाज
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बरसात का आगाज हो गया है और मौसम सुहाना हो गया है। इस बार हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे प्रदेश में भी भीषण गर्मी पड़ी और करोड़ों रुपए की वन संपदा जलकर राख हो गई, लेकिन वर्षा जल से अब जंगलों की आग से राहत की उम्मीद की जा सकती है।

Written by जनसत्ता; बरसात का आगाज हो गया है और मौसम सुहाना हो गया है। इस बार हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे प्रदेश में भी भीषण गर्मी पड़ी और करोड़ों रुपए की वन संपदा जलकर राख हो गई, लेकिन वर्षा जल से अब जंगलों की आग से राहत की उम्मीद की जा सकती है। जल सभी प्राणियों के लिए बहुत अधिक अमूल्य है। इसकी बर्बादी करना हमारे लिए बहुत हानिकारक होगा। इस चिंता के मद्देनजर जल संग्रहण के लिए हमें टैंक बनाकर बरसात के जल को संग्रहित करना चाहिए, ताकि बरसात के बाद हम इसका प्रयोग कर सकें। यों भी बहुत से पुराने जल स्रोत सूख चुके हैं।

अगर हम जल के महत्त्व को वक्त पर नहीं समझे तो इसका खमियाजा हमें ही भुगतना पड़ेगा। जल संग्रहण से तो भूमि का जलस्तर बढ़ता और जल स्रोतों को पुनर्जीवन मिल जाता है। आजकल लोग अपने घरों में या बाहर नल से पानी लेकर नल को खुला छोड़ दिया करते हैं। उससे बहुत अधिक मात्रा में जल बर्बाद हो जाता है। इसे हर हाल में रोकना हमारा दायित्व होना चाहिए।

इन दिनों हिमाचल प्रदेश का सियासी बाजार गरम है, क्योंकि आगामी चंद महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लाजिमी है कि भाजपा, कांग्रेस, नई-नई आई आम आदमी पार्टी और तमाम अन्य राजनीतिक दल जनता को अपने पक्ष में करना चाहते हैं। और सत्ता का मोह किसी से अछूता नहीं रहता। मसलन, हाल ही में दो निर्दलीय विधायक क्रमश: देहरा तथा जोगिंदर नगर विधान सभा क्षेत्र से होशियार सिंह और प्रकाश राणा ने भाजपा का दामन थाम लिया है, जो दल-बदल विरोधी कानून की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा करता है।

निर्दलीय विधायक का इस प्रकार किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाना लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ नहीं तो क्या है? क्या उन्हें लोकतंत्र से माफी नहीं मांगनी चाहिए? इसी के चलते नेता प्रतिपक्ष का दल परिवर्तित हुए विधायक के खिलाफ अयोग्यता का प्रस्ताव लाना संसदीय व्यवस्था में उनके कर्त्तव्य को रेखांकित करता है। देखने की बात होगी कि इस सियासी खेल में निर्णायक अधिकारी (विधान सभा अध्यक्ष) दल-बदल अधिनियम कीसाख को कितना बचा पाते हैं या फिर लड़ाई न्यायालय की शरण लेंगे?

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता में आने से पहले जब विपक्ष में थे, तब उन्होंने उस वक्त के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर आतंकवाद, महंगाई और देश में बढ़ गई बदहाली के लिए काफी बढ़-चढ़ कर आरोप लगाए थे। इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप के चलते उन्हें पाकिस्तान की सत्ता की चाबी मिल गई थी। आज इन्हीं सब बातों को दोहराते हुए विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ ने भी इमरान खान से पाकिस्तान की सत्ता हासिल कर ली। उन्होंने भी विपक्ष में रहते हुए इमरान खान पर तरह-तरह के आरोप लगाए। उन्हें देश को बेचने वाला तक कह दिया। बढ़ते हुए आतंकवाद के लिए भी उनको जमकर कोसा था। अब यह भी देखना होगा कि शाहबाज शरीफ की सरकार कितने दिन और चलेगी।


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