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- जंगल के बादलों से...

बारिश और बादल दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। जहां बादल, वहां वर्षा। हम मई-जून के महीनों की प्रचंड गर्मी के अंत और मानसून के आगमन का बेसब्री से इंतजार करते हैं, पर आपने कभी सोचा है कि बादल बनते कैसे हैं और समुद्री तटों से हजारों किलोमीटर दूर मैदानी इलाकों में कैसे पहुंचते हैं? यह तो आपने सुना और अनुभव भी किया होगा कि जहां पेड़ ज्यादा होते हैं या घने जंगल होते हैं वहां बारिश भी ज्यादा होती है। इन बादलों का बारिश से क्या रिश्ता है? पहाड़ी क्षेत्रों में आपने देखा होगा कि रोज शाम को बारिश होती है। सुबह जमीन पर और पेड़ों पर बादल बसे रहते हैं और जैसे-जैसे धूप चढ़ती है, बादल भी पेड़ों के ऊपर चढ़ना शुरू कर देते हैं। शाम के चार-पांच बजते ही वे बरसना शुरू कर देते हैं। बादल जहां बरसते हैं वहां न तो समुद्र है और न ही मानसूनी बादल। तो फिर यह रोज-रोज बारिश कैसी? और क्यों? इन प्रश्नों के उत्तर हमें पीटर वोह्लेबेन की किताब 'हिडन लाइफ ऑफ ट्रीज' में मिलते हैं। जंगल में पानी कैसे पहुंचता है या एक कदम पीछे चलें तो पानी जमीन पर कैसे पहुंचता है, यह सवाल लगता तो एकदम सरल है लेकिन इसका उत्तर उतना ही कठिन है। जमीन का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि यह जल से ऊंची होती है। गुरुत्व के कारण पानी सबसे निचले स्तर की ओर बहता चला जाता है। इसके कारण कालांतर में सारे महाद्वीप सूख सकते हैं, परंतु ऐसा होता नहीं है। इसके लिए बादलों द्वारा लगातार बरसाए जाने वाले पानी का हमें धन्यवाद करना चाहिए। जो बादल वाष्पीकरण के कारण समुद्र के ऊपर बनते और हवा द्वारा जमीन की ओर बढ़ा दिए जाते हैं, समुद्री तटों से कुछ किलोमीटर अंदर तक ही कार्यशील रहते हैं। जंगल के अंदर की ओर सूखा होता है, क्योंकि बादलों से पानी बरस चुका होता है और अब बादल गायब हो चुके होते हैं। जब आप समुद्री तट से करीब 650 किलोमीटर दूर जाते हैं तो वहां इतना सूखा होता है कि रेगिस्तान नजर आने लगता है। सभी पौधों की तुलना में फूलधारी पौधों की चौड़ी पत्तियों से ढका क्षेत्रफल सर्वाधिक बड़ा होता है। जंगल के प्रत्येक वर्ग मीटर में पत्तियां और चीड़, देवदार की सुईनुमा पत्तियां लगभग 27 वर्ग गज का एक बड़ा सा हरा छाता बनाती हैं। वर्षा का प्रत्येक हिस्सा इस बड़े छाते द्वारा रोक लिया जाता है और तुरंत ही वाष्पीकृत भी हो जाता है।
सोर्स- divyahimachal
