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कांग्रेस कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक के जरिए नेतृत्व ने न केवल पार्टी के अंदर के असंतुष्टों को सख्त संदेश दिया बल्कि उनके उठाए मुद्दों को भी संबोधित किया।
कांग्रेस कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक के जरिए नेतृत्व ने न केवल पार्टी के अंदर के असंतुष्टों को सख्त संदेश दिया बल्कि उनके उठाए मुद्दों को भी संबोधित किया। बैठक में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जिस लहजे में बात रखी, वह खास तौर पर ध्यान देने लायक था। उन्होंने साफ-साफ कहा कि वह पार्टी की पूर्णकालिक अध्यक्ष हैं और साफगोई पसंद करती हैं। इसलिए किसी को उनसे मीडिया के जरिए संवाद करने की जरूरत नहीं है।
यह जी-23 के रूप में रेखांकित किए गए कपिल सिब्बल जैसे उन नेताओं को जवाब था, जो अक्सर कहते रहे हैं कि पार्टी को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत है। हालांकि इसके साथ ही सोनिया ने यह भी कहा कि उन्हें अच्छी तरह अहसास है, वह एक अंतरिम अध्यक्ष हैं। इसलिए पार्टी ने 30 जून तक एक नियमित अध्यक्ष चुनने का फैसला किया था। मगर कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए चुनाव स्थगित करने पड़े। कार्यसमिति ने अगले साल अगस्त-सितंबर तक नया अध्यक्ष चुनने का भी संकेत दिया। एक और महत्वपूर्ण संकेत राहुल गांधी की तरफ से आया, जब पार्टी नेताओं द्वारा दोबारा पार्टी अध्यक्ष पद स्वीकार करने के औपचारिक आग्रह के जवाब में उन्होंने कहा, वह इस पर विचार करने को तैयार हैं।
इसका मतलब एक तो यह हुआ कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए जिस चुनाव की बात हो रही है वह औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं होगा। अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद के प्रत्याशी हुए तो हो सकता है कोई और खड़ा ही न हो, वह निर्विरोध निर्वाचित हो जाएं। अगर कोई खड़ा हुआ तो भी लड़ाई सांकेतिक ही होगी क्योंकि राहुल का चुना जाना लगभग तय है। इसका दूसरा मतलब यह है कि पार्टी के गांधी परिवार की पकड़ से बाहर आने की जो संभावना पिछले कुछ समय से बताई जा रही थी, उसे समाप्त मान लेना चाहिए। यानी पारिवारिक वर्चस्व आदि जिन कमजोरियों के लिए कांग्रेस पार्टी जानी जाती रही है, उनसे उसके निजात पाने की अब निकट भविष्य में कोई सूरत नहीं दिख रही।
देखना होगा कि मौजूदा चुनौतियों के संदर्भ में आने वाले समय में ये उसकी ताकत साबित होती हैं या कमजोरी। लेकिन जहां तक पार्टी की रोज-रोज की बयानबाजी जैसे सिरदर्द की बात है तो जी-23 नेताओं का मुंह बंद करने की कोशिशों के बावजूद पार्टी की यह परेशानी दूर नहीं होने वाली। इसका ताजा उदाहरण पंजाब से आया, जहां दो दिन पहले पार्टी नेतृत्व पर पूरा विश्वास जताने वाले सिद्धू ने फिर सोनिया गांधी को लंबा पत्र लिखते हुए ऐसे 13 मुद्दे गिनाए, जिन पर उनके मुताबिक राज्य सरकार को अपने वादे पूरे करने चाहिए।
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