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किसी भी अन्य भारतीय नागरिक की तरह कांग्रेस पार्टी (Congress) के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी अपना निजी जीवन जीने के हकदार हैं
अजय झा
किसी भी अन्य भारतीय नागरिक की तरह कांग्रेस पार्टी (Congress) के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी अपना निजी जीवन जीने के हकदार हैं और वे जब चाहे जहां की चाहें यात्रा कर सकते हैं और उस पर किसी को भी सवाल उठाने का अधिकार नहीं है. इसीलिए इसमें कोई बड़ी बात नहीं है कि वह इस समय नेपाल में है और एक वायरल वीडियो के अनुसार एक नाइट क्लब में उन्हें पार्टी करते देखा गया था. हालांकि एक सार्वजनिक व्यक्ति होने के कारण इन मामलों को लेकर उन्हें कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. दरअसल राहुल गांधी एक पब्लिक पर्सनालिटी हैं इसलिए वे यह नहीं सोच सकते कि वे अपने निजी जीवन में कहां रहते हैं, क्या करते हैं इस पर कोई भी बहस नहीं होगी. फिलहाल उनकी निजी काठमांडू यात्रा पर जो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है, वह यह है कि राहुल गांधी अक्सर विदेशी यात्राओं पर रहते हैं, खास तौर पर उस वक्त भी जब कांग्रेस पार्टी को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने नवंबर 2019 में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (संशोधन) विधेयक पर एक बहस का जवाब देते हुए संसद में बताया था कि राहुल गांधी ने 2015 और 2019 के बीच एसपीजी को सूचित किए बिना 247 बार विदेश की यात्रा की थी. इन आंकड़ों पर कोई बहस नहीं हो सकती क्योंकि यह संसद में एक मंत्री द्वारा दिया गया था या आंकड़े अनुमानों पर आधारित नहीं हो सकते क्योंकि एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन डेस्क होता है जो गृह मंत्रालय द्वारा संचालित होता है. इसके साथ ही डिपार्चर एंड अराइवल डेस्क पर पासपोर्ट को स्कैन किया जाता है, जहां से यह आंकड़े सामने आ जाते हैं.
राहुल गांधी में समर्पण और प्रतिबद्धता के स्तर की कमी है
इस अवधि के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 108 बार विदेश की यात्रा की थी, जो कि राहुल गांधी की तुलना में लगभग 139 यात्राएं कम हैं. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने अब तक 116 बार विदेश यात्राएं की हैं. नवंबर 2019 में जब अमित शाह ने राहुल गांधी की विदेश यात्राओं का डाटा दिया था, उसके बाद भी कई बार राहुल गांधी अब तक यात्राएं कर चुके हैं. उनमें से कुछ दिसंबर 2019, फरवरी 2020, दिसंबर 2020, दिसंबर 2021 की है, जब वह अपनी नानी के साथ नया साल बिताने इटली गए थे.
राहुल गांधी की शैक्षिक योग्यता पर हमेशा बहस होती रहती है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि 400 साल पुराने एक प्रसिद्ध मुहावरे (जिनके खुद के घर शीशे के हों वे कांच के घरों में रहने वालों पर पत्थर नहीं फेंकते) का अर्थ पढ़ने और समझने में शायद वह अभी तक विफल रहे हैं. क्योंकि उन्होंने नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर उन्हें चिढ़ाते हुए एक एनआरआई पीएम कहा था. राहुल गांधी को अक्सर भारत से बाहर जाने की आदत है, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं की टीम उनकी विदेश यात्राओं को सही ठहराने की भरपूर कोशिश करती है, जैसा कि उसने मंगलवार को उनके नाइटक्लब वीडियो के वायरल होने के बाद किया.
अक्सर यह कहा जाता है कि राहुल गांधी में समर्पण और प्रतिबद्धता के स्तर की कमी है जो एक उभरते हुए राजनेता के लिए आवश्यक है, वह भी तब जब उनकी पार्टी की किस्मत दिन-ब-दिन डूबती जा रही है. वे चुनावों के दौरान अति-सक्रिय हो जाते हैं और बाकी समय के लिए, अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से ही पीएम मोदी पर हमलावर रहते हैं. उन्हें कांग्रेस पार्टी के हलकों में एक अनुपस्थित और अनिच्छुक नेता के रूप में जाना जाता है, जबकि उनके राजनीतिक विरोधी अक्सर उन्हें एक मौसमी नेता कहते हैं, जो केवल चुनावों के दौरान सक्रिय दिखते हैं. ये आरोप पूरी तरह से निराधार नहीं हैं. राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता के रूप में पहचाना और देखा जाता है, जो वहां सभी निर्णय लेते हैं और किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं क्योंकि उनकी मां सोनिया गांधी फिलहाल आधिकारिक तौर पर पार्टी अध्यक्ष हैं.
राहुल गांधी की विदेश यात्राओं की वजह से कांग्रेस को नुकसान होता है
कांग्रेस पार्टी के तमाम नेता मार्गदर्शन के लिए उनकी ओर देखते हैं और अक्सर जब उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, तो वे निजी यात्राओं पर चले जाते हैं. कुछ अवसर तो ऐसे भी रहे हैं जब राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के चलते कांग्रेस पार्टी को अपना प्रोग्राम कैंसल करना पड़ा है. इसी साल 3 जनवरी को कांग्रेस पार्टी को राहुल गांधी द्वारा शुरू किए जाने वाले पंजाब में अपने अभियान की शुरुआत को स्थगित करना पड़ा, क्योंकि वे तब तक इटली से नहीं लौटे थे. हालांकि, अगर वे समय पर भी आ जाते तो भी पंजाब में कांग्रेस पार्टी की स्थिति नहीं सुधरती.
फरवरी 2020 में जब कांग्रेस पार्टी ने पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों पर राजनीतिक लाभ लेने की योजना बनाई थी, तब राहुल गांधी विदेश में थे और उस वक्त भी वे अमेरिका में थे, जब संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान तीन विवादास्पद कृषि कानून पारित किए थे. उसी साल 28 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को तब शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी, जब नई दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय में कांग्रेस के स्थापना दिवस पर राहुल गांधी को झंडा फहराना था और वह विदेश के लिए रवाना हो गए थे.
दिसंबर 2019 में राहुल गांधी विदेश यात्रा कर रहे थे, जब कांग्रेस पार्टी विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में सड़कों पर उतरी थी. राहुल गांधी उस वक्त भी विदेश यात्रा पर थे जब कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार को घेरने और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी किसानों के समर्थन के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. इस तरह के आपको कई उदाहरण मिल जाएंगे. राज्य के विधानसभा चुनावों में लगातार मिल रही हार के बाद कांग्रेस पार्टी अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रही है, हालांकि इसके लिए पार्टी के पास चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर से एक प्रस्ताव भी आया था जिसके तहत वे साल 2024 के आम चुनाव तक कांग्रेस पार्टी को एक लड़ने लायक संगठन बनाने की बात कर रहे थे, इसके लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी के तमाम टॉप लीडर और राहुल गांधी के सामने एक प्रेजेंटेशन भी दी थी.
हालांकि बाद में पार्टी ने जब प्रशांत किशोर के प्रेजेंटेशन पर और उसकी बारीकियों पर चर्चा की तो उस दौरान भी राहुल गांधी गायब थे. लेकिन इससे पहले कि कुछ बातचीत होती चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होने और उसके लिए काम करने की अपनी योजना को रद्द कर दिया और उन्होंने इसके लिए राहुल गांधी की उदासीनता को भी एक कारण बताया.
Rani Sahu
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