सम्पादकीय

राहुल गांधी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान की गई टिप्पणी से ना तो भारत को मदद मिल रही और ना ही विपक्षी नेता के रूप में उनकी छवि को

Rani Sahu
27 May 2022 1:59 PM GMT
राहुल गांधी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान की गई टिप्पणी से ना तो भारत को मदद मिल रही और ना ही विपक्षी नेता के रूप में उनकी छवि को
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) परंपरा-विरोधी नेता हैं, यह एक ऐसा गुण है

अजय झा

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) परंपरा-विरोधी नेता हैं, यह एक ऐसा गुण है जो उन्हें शायद अपने पिता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) से विरासत में मिली है. राजीव से पहले, किसी ने कभी, किसी प्रधानमंत्री को परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टी लेने और पिकनिक पर जाते नहीं सुना था. राजीव ने सुरक्षा प्रोटोकॉल भी तोड़ा था, जो उन पर भारी पड़ा और 1991 में उनकी हत्या कर दी गई. उस वक्त राहुल गांधी 21 वर्ष के थे. अपने पिता की तरह, अब 52 वर्षीय राहुल पर अक्सर यह आरोप लगते हैं कि वह भारत में और विदेश यात्राओं के बारे में अपनी सुरक्षा में लगे लोगों को सूचित नहीं करने करते. उन्हें यात्रा करने का शौक है और हर महीने औसतन कम से कम पांच बार विदेश जाते हैं. 2019 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों से यह पता चलता है.
संसद में विशेष सुरक्षा समूह (SPG) विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए शाह ने बताया था कि 2015 से 2019 के बीच राहुल ने एसपीजी को बताए बिना भारत में 1,892 बार और विदेश में 247 बार यात्रा की थी. और अभी भी राहुल का यही रवैया बना हुआ है. यह चिंता का विषय है कि वे अपनी सुरक्षा का ध्यान रखे बिना अपने घर से बाहर निकल जाते हैं और अपने जीवन को खतरे में डालते हैं. लेकिन इससे भी बड़ी समस्या यह है कि जब भी वह विदेश जाते हैं, विवाद खड़ा कर देते हैं. इस महीने की शुरुआत में उन्हें नेपाल के काठमांडू के एक नाइट क्लब में देखा गया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट करना पड़ा था कि यह एक पत्रकार मित्र की शादी में शामिल होने के लिए एक निजी यात्रा थी.
कांग्रेस का यह कथन खोखला लगता है
अब, राहुल ब्रिटेन में हैं. और एक बार फिर से, कभी न खत्म होने वाले विवादों में पड़ गए हैं. कांग्रेस पार्टी के भविष्य पर चिंतन करने के लिए उदयपुर सम्मेलन में शामिल होने के बमुश्किल कुछ ही दिनों बाद, वे 19 मई को भारत से विदेश के लिए निकल गए. इस सम्मेलन के दौरान, उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को समझाया कि कैसे लोगों तक पहुंचा जाए. भविष्य की रणनीतियों पर कांग्रेस अध्यक्ष और मां सोनिया गांधी को सलाह देने के लिए उन्हें एक समिति में भी शामिल किया गया. उनकी ब्रिटेन यात्रा का कारण, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में 'आइडियाज ऑफ इंडिया' प्रोग्राम में वक्तव्य देना, प्रवासी भारतीयों के साथ मुलाकात करना और शुक्रवार को कैम्ब्रिज के छात्रों के साथ 'India At 75' कार्यक्रम में भाग लेना था.
कोई कह सकता है कि यह तरोताजा और आराम करने के लिए उनकी अधिकतर विदेशी यात्राओं की तरह एक निजी यात्रा नहीं थी, बल्कि उनकी पार्टी के विचारों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखने और भारत में खोई हुई राजनीतिक जमीन को दोबारा प्राप्त की कोशिशों में से एक थी. उनकी पार्टी का यह कहना है कि उन्हें इसके लिए सरकार से राजनीतिक मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि यह आधिकारिक यात्रा नहीं थी. लेकिन कांग्रेस का यह कथन खोखला लगता है.
राहुल गांधी की एक संपादित क्लिप वायरल हुई है
'आइडियाज फॉर इंडिया' कार्यक्रम में उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिसे राष्ट्रीय हित के खिलाफ समझा गया. उन्होंने विदेशों में उच्चायोगों और दूतावासों में तैनात भारतीय अधिकारियों को अहंकारी होने के लिए फटकार लगाई. केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, जो आमतौर पर राजनीतिक बहस में नहीं पड़ते और चुपचाप काम करना पसंद करते हैं, ने राहुल गांधी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, हां, भारतीय विदेश सेवा बदल गई है. हां, वे सरकार के आदेशों का पालन करते हैं. हां, वे दूसरों के तर्कों का विरोध करते हैं. इसे 'अहंकार' नहीं, बल्कि इसे कॉन्फिडेंस कहते हैं. और इसे राष्ट्रीय हित की रक्षा करना कहते हैं.
बाद में, राहुल को लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन के साथ देखा गया, जिन्हें भारत में पसंद नहीं किया जाता. वे जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानने पर सवाल खड़े करते हैं. कैम्ब्रिज में 'इंडिया एट 75' कार्यक्रम की राहुल गांधी की एक संपादित क्लिप वायरल हुई है. जहां अपने पिता की मृत्यु के बारे में पूछे जाने पर वे निशब्द हो गए. ऐसे ही जब उनसे "भारतीय समाज में हिंसा और अहिंसा है" के बारे में सवाल किया गया तो भी वे कुछ न बोल पाए. इस क्लिप में एक लंबी चुप्पी के बाद, राहुल कहते हैं, "मन में जो शब्द आता है, वह है क्षमा", और फिर चुप हो जाते हैं. इस तरह के और भी विवाद सामने आ सकते हैं क्योंकि वह शुक्रवार को कैम्ब्रिज में अपने "पूर्व साथियों" के साथ बातचीत करने वाले हैं.
अब यह कांग्रेस पार्टी पर छोड़ दिया गया है कि वह उनके विवादास्पद बयानों को सही ठहराए और यह समझाए कि यह उनकी आधिकारिक यात्रा नहीं थी, जिसके लिए पूर्व राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता थी. यह याद किया जा सकता है कि पिछले साल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विदेश मंत्रालय द्वारा उनकी विदेश यात्राओं को दो बार मंजूरी नहीं दिए जाने के बाद अपने ट्रेडमार्क शैली में विदेश कार्यालय से नाराजगी व्यक्त की थी. लेकिन राहुल के विपरीत, वह इस तरह की मंजूरी लेने की आवश्यकता को पहले से जानती थीं.

सोर्स -tv9hindi.com

Rani Sahu

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