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- राहुल गांधी की सांसदी
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By: divyahimachal
सर्वोच्च अदालत ने ‘मोदी मानहानि मामले’ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत और उच्च न्यायालय के फैसलों को खारिज करते हुए सवाल किया है कि मानहानि के संदर्भ में 2 साल की अधिकतम सजा सुनाने के कारण और आधार क्या हैं? यदि एक दिन कम की भी सजा सुनाई गई होती, तो राहुल गांधी की सांसदी रद्द नहीं की जाती। यह मात्र एक सांसद की सदस्यता का सवाल नहीं है, बल्कि एक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व छीनने का मामला है। संसदीय क्षेत्र के जिन लाखों लोगों ने वोट देकर उन्हें सांसद चुना था, उनके मताधिकार के अपमान का सवाल है, लिहाजा संवैधानिक सरोकार भी है। सर्वोच्च अदालत ने एक जन-प्रतिनिधि के नाते राहुल गांधी को भी नसीहत दी है कि वह सार्वजनिक मंच से सोच-समझ कर बयान दें, क्योंकि सांसद के बयान, कथन का असर व्यापक होता है। उससे जन-व्यवस्था असंतुलित हो सकती है और किसी व्यक्ति, जाति, समुदाय, संगठन का अपमान भी होता है। किसी के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का हनन भी होता है। बहरहाल सर्वोच्च अदालत के फैसले को कांग्रेस नेताओं ने सत्य, न्याय, संविधान और लोकतंत्र की जीत करार दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा से लेकर पार्टी प्रवक्ताओं तक ने ऐसी ही टिप्पणियां की हैं। अब राहुल समेत संपूर्ण कांग्रेस को आश्वस्त हो जाना चाहिए कि देश में संविधान, लोकतंत्र और न्यायपालिका अब भी जिंदा हैं और प्रभावशाली भी हैं। बहरहाल राहुल गांधी कुछ अतिरिक्त संयत लगे, जबकि कुछ प्रवक्ता तो ‘तानाशाहों’ तक पहुंच गए।
बेशक कांग्रेस के लिए ये गदगद होने और जश्न मनाने के पल हैं। राहुल की सांसदी ही समाप्त नहीं की गई थी, बल्कि वह 8 सालों के लिए चुनाव के ‘अयोग्य’ हो जाते। अब वह नए उत्साह, नए जोश के साथ विपक्षी गठबंधन को आगे दौड़ाने में जुटेंगे और 2024 का चुनाव लड़ अपने नेतृत्व का दावा भी जिंदा रखेंगे। अभी से उन्हें ‘इंडिया’ का कप्तान मान लेना और प्रधानमंत्री पद की ‘स्वाभाविक पसंद’ मानना ‘अपरिपक्व राजनीति’ है। आपको याद दिला दें कि 13 अप्रैल, 2019 को राहुल गांधी ने कर्नाटक की एक चुनावी जनसभा में सवाल उठाया था-‘मोदी सरनेम वाले सभी चोर क्यों होते हैं?’ दरअसल उनके निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी थे, जिनके खिलाफ कांग्रेस ने दुष्प्रचार अभियान छेड़ा हुआ था-‘चौकीदार चोर है।’ बहरहाल आपराधिक मानहानि का वह केस आज भी अदालत में है। शीर्ष अदालत ने सिर्फ सजा पर रोक लगाई है। राहुल गांधी के खिलाफ 13 अन्य आपराधिक मामले भी अदालत के विचाराधीन हैं। एक कथित घोटाले में वह जमानत पर हैं। सर्वोच्च अदालत ने संवैधानिक सरोकारों के मद्देनजर अधिकतम सजा पर रोक लगाई है। जाहिर है कि अब उनकी सांसदी बहाल होगी। उस संदर्भ में लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अदालती आदेश की प्रति और सांसदी बहाल करने की अनुरोध की चि_ी लोकसभा सचिवालय में जमा कर दी है। संभावना है कि सोमवार को स्पीकर ओम बिरला कागजात का अध्ययन कर फैसला ले सकते हैं। कांग्रेस बेहद उत्सुक है कि मंगलवार-बुधवार, 8-9 अगस्त, को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में राहुल गांधी जरूर बोल सकें और मोदी सरकार को बेनकाब कर सकें। यह स्पीकर के फैसले पर ही आश्रित है। राहुल के सांसद के तौर पर सक्रिय होने के बाद राजनीति के तेवर और समीकरण भी बदलेंगे। 2024 की लड़ाई को प्रधानमंत्री मोदी बनाम राहुल मानना भी ‘अति उत्साह’ है, क्योंकि 2019 में राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे, जब आम चुनाव में पार्टी के 52 सांसद ही जीत पाए थे। बहरहाल राहुल गांधी लोकसभा में होने चाहिए। अब वह अमेठी के पुराने संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव में उतर सकते हैं। ऐसा कांग्रेस प्रवक्ताओं का ‘ऑफ दि रिकॉर्ड’ मानना है। यह संदर्भ सामने आया है, तो इस तथ्य पर भी विमर्श करना चाहिए कि सदन में करीब 70 फीसदी सांसदों पर आपराधिक केस हैं। यदि सभी को अधिकतम सजा दी जाने लगे, तो संसद ही खाली हो जाएगी, लिहाजा 2 साल की सजा और सांसदी रद्द होने के कानून पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। अब राहुल गांधी को संसद में सकारात्मक विपक्ष की तरह अपनी भूमिका निभानी चाहिए तथा जनहित के मसलों पर सरकार को घेरना चाहिए।
Rani Sahu
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