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- टीकाकरण में नस्लभेद

divyahimachal ब्रिटेन ने कोविशील्ड टीके को मान्यता देने पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया है। यदि आप भारतीय हैं और कोरोना वायरस के संदर्भ में आपने कोविशील्ड टीके की दोनों खुराकें ली हैं, तो हवाई यात्रा के बाद ब्रिटेन पहुंचने पर उस टीकाकरण को स्वीकार नहीं किया जाएगा। आपको तय ब्रिटिश नियमों के मुताबिक क्वारंटीन में रहना होगा। ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय विमान-यात्रा के नियमों में संशोधन किया गया है, जो 4 अक्तूबर से लागू होंगे। कमोबेश भारत और विकासशील देशों के लिए यह निर्णय 'नस्लभेद' से कम नहीं है। भारत के टीकाकरण में कोविशील्ड का करीब 90 फीसदी योगदान है, लिहाजा इतनी बड़ी आबादी को ब्रिटेन ने 'टीकाहीन' करार देने का फैसला लिया है। भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और चेतावनी दी है कि भारत आने वाले ब्रिटिश और यूरोपीय यात्रियों के साथ ऐसा ही 'पलट व्यवहार' किया जा सकता है। हालांकि भारत सरकार ने मान्यता संबंधी नए नियमों को खारिज करने का आग्रह किया है। कोविशील्ड टीके का उत्पादन भारत का 'सीरम इंस्टीट्यूट' करता है। यह विश्व में सर्वाधिक टीके बनाने वाली कंपनी है, यह ब्रिटेन भी बखूबी जानता है।