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केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आयोजित की जा रहीं दूसरे चरण की परीक्षाएं जिस तरह तकनीकी समस्याओं के कारण बार-बार स्थगित हो रही हैं
सोर्स- Jagran
केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आयोजित की जा रहीं दूसरे चरण की परीक्षाएं जिस तरह तकनीकी समस्याओं के कारण बार-बार स्थगित हो रही हैं, उससे छात्र एवं अभिभावक तो परेशान हो ही रहे हैं, इन परीक्षाओं को संपन्न कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की क्षमता और प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न भी लग रहे हैं। चूंकि कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के तहत होने वाली परीक्षाओं में लाखों छात्रों ने पंजीकरण कराया है, इसलिए यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि तकनीकी कारणों से परीक्षा स्थगित होने के कारण बड़ी संख्या में छात्रों को असुविधा का सामना करना पड़ा होगा।
ध्यान रहे कि पहले चरण की परीक्षाओं में भी छात्रों को कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ा था। तब कई छात्रों को इसलिए परेशानी उठानी पड़ी थी, क्योंकि अंतिम समय में उनके परीक्षा केंद्र बदल दिए गए थे। यह ठीक है कि इसके कारण जिनकी परीक्षा छूट गई थी, उन्हें आगे परीक्षा में बैठने का अवसर प्रदान किया गया, लेकिन यह ठीक नहीं कि ये परीक्षाएं बार-बार तकनीकी बाधा से दो-चार होती रहें। अभी तक दूसरे चरण की तीन बार परीक्षाएं हुई हैं और तीनों बार किसी न किसी कारण कई शहरों में उन्हें स्थगित करना पड़ा है।
किसी परीक्षा में एक बार व्यवधान तो समझ आता है, लेकिन तीन बार ऐसा होना किसी बड़ी खामी की ओर संकेत करता है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को न केवल उन कारणों की तह तक जाना चाहिए, जिनके चलते परीक्षाओं में बार-बार व्यवधान उत्पन्न हो रहा है, बल्कि उनके बारे में देश को अवगत भी कराना चाहिए। केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से होगा, यह बहुत पहले ही तय हो गया था, लेकिन लगता है कि इसे लेकर आवश्यक तैयारी नहीं की गई। जो भी हो, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का गठन प्रश्न पत्र लीक होने और परिणाम घोषित होने में देरी को रोकने के साथ-साथ परीक्षाओं की विश्वसनीयता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।
एक अन्य उद्देश्य परीक्षाओं को सुगम तरीके से कराना भी था। यह निराशाजनक है कि ऐसा ही नहीं हो पा रहा है और कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के दूसरे चरण की परीक्षाएं छात्रों की परेशानी का कारण बन रही हैं। यह स्थिति तब है, जब अभी केवल 34 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ लगभग 90 विश्वविद्यालयों में ही प्रवेश के लिए परीक्षाएं कराई जा रही हैं। यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि सुगम तरीके से परीक्षाएं संपन्न कराने के मामले में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया जाए।
Rani Sahu
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