सम्पादकीय

चुनाव पर सवाल

Rani Sahu
25 Dec 2021 7:02 PM GMT
चुनाव पर सवाल
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ओमीक्रोन की छाया सामान्य जनजीवन और चुनावों पर पड़ने लगी है

ओमीक्रोन की छाया सामान्य जनजीवन और चुनावों पर पड़ने लगी है। उत्तर प्रदेश में रात्रिकालीन कफ्र्यू की वापसी हो गई है और अब आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी संशय की स्थिति बन गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से आगामी विधानसभा चुनावों को स्थगित करने, चुनावी रैलियों और सभाओं को रोकने का आग्रह किया है। इसके बाद देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र ने कहा है कि चुनाव के संबंध में अंतिम निर्णय अगले सप्ताह लिया जाएगा। दिसंबर बीतने को है और अगर फरवरी में चुनाव होने हैं, तो तिथियों की घोषणा दस दिन के अंदर ही हो जानी चाहिए। पिछले विधानसभा चुनाव 2017 की घोषणा जनवरी के पहले सप्ताह में हुई थी और उत्तर प्रदेश में मतदान का पहला दौर 11 फरवरी को संपन्न हुआ था। तब सात चरणों में मतदान के बाद 11 मार्च को मतगणना हुई थी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश में अगर चुनाव को कुछ समय के लिए टालने का फैसला होता है, तो स्वाभाविक ही बाकी चार राज्यों में भी चुनाव की तिथियां आगे सरकेंगी।

चुनाव आयोग की अपने स्तर पर पूरी तैयारी है, लेकिन आयोग अगले सप्ताह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में स्थितियों का जायजा लेना चाहता है। जमीनी हकीकत को देखते हुए ही चुनाव के बारे में कोई फैसला लेना चाहिए। एक महीने पहले तक ओमीक्रोन जैसा कोई तनाव नहीं था, लेकिन अब जिस तरह से चिंता जताई जा रही है, उस पर गौर करना ही चाहिए। अदालत ने भी आग्रह किया है, लेकिन इसके बावजूद अगर चुनाव कराए जाते हैं, तो यह पूरी तरह से चुनाव आयोग और सरकार की जिम्मेदारी पर होंगे। क्या उत्तर प्रदेश में लोग कोरोना संबंधी दिशा-निर्देशों की पालना पूरी तरह से कर रहे हैं? क्या प्रशासन सुरक्षित चुनाव कराने की स्थिति में है? क्या राजनीतिक दलों का काम बिना बड़ी सभाओं के चल जाएगा? क्या सभी राजनीतिक दल सख्ती से सुरक्षा निर्देशों की पालना करेंगे? इन सवालों के जवाब चुनाव आयोग को सोच लेने चाहिए। केंद्र सरकार भी फैसला चुनाव आयोग पर छोड़ने के पक्ष में दिखती है। क्या चुनाव आयोग अदालत के आग्रह के विरुद्ध जाएगा?
गौरतलब है कि दिल्ली में हर वयस्क को वैक्सीन की पहली खुराक दे दी गई है, जबकि उत्तर प्रदेश अभी पीछे है। वैसे ओमीक्रोन दोनों टीका लेने वालों की सुरक्षा में भी सेंध लगा दे रहा है। भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों का अनुमान है, भारत में फरवरी में संक्रमण बढ़ सकता है। भारत में ओमीक्रोन के रोगियों की संख्या 350 से अधिक हो गई है, खतरा यह है कि यह डेल्टा से भी कई गुना ज्यादा तेजी से फैलता है। ऐसे में, अदालत ने बिल्कुल सही कहा है, 'यदि संभव हो, तो चुनाव स्थगित करने पर विचार करें, क्योंकि अगर हम जिंदा रहे, तो रैलियां और बैठकें बाद में भी हो सकती हैं।' अब फैसला चुनाव आयोग को लेना है, उसे चिकित्सा विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही कदम आगे बढ़ाना चाहिए। बड़ी सभाओं से तो हर हाल में परहेज करना होगा। जब रेल यातायात पूरी तरह से नहीं खुला है, जब स्कूल पूरी तरह से नहीं खुल पा रहे हैं, तब आम जनजीवन को पूरी तरह से कैसे खुलने दिया जाए? जनहानि और जन-परेशानी को रोकना प्राथमिकता होनी चाहिए।

हिन्दुस्तान

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