सम्पादकीय

जीवन की गुणवत्ता ही समृद्धि का प्रतिबिंब है

Gulabi Jagat
24 March 2022 8:56 AM GMT
जीवन की गुणवत्ता ही समृद्धि का प्रतिबिंब है
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ओपिनियन
एन. रघुरामन का कॉलम:
कल्पना करें...शहर की व्यस्ततम सड़क के बीचों बीच, जहां कार का हॉर्न सुने बिना सड़क पार करना दूभर हो, वहां हॉर्न के शोरगुल से दूर आप न सिर्फ शांति से चल रहे हैं बल्कि बाकी लोगों को साइक्लिंग, स्केटिंग और योग करते देख रहे हैं। बच्चे अपने पसंदीदा खेल खेल रहे हैं! यह कल्पना हकीकत होने जा रही है। आने वाले रविवार को मैं मुंबई की व्यस्ततम सड़कों जैसे नरीमन पॉइंट, कोलाबा और बांद्रा में सी लिंक जोड़ने वाली सड़क पर यह सब करूंगा।
मैं वॉक पर जाऊंगा, शाहरुख खान के बंगले का एक्सटीरियर इस तरह देखूंगा कि रिश्तेदारों को इसे बेहतर तरीके से बता पाऊं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस रविवार को तीन घंटे के लिए मुंबई में 13 मार्गों पर ट्रैफिक बंद रहेगा और सड़कें विशेष रूप से लोगों के लिए खुली रहेंगी ताकि वे खुशी देने वाली गतिविधियों का लुत्फ उठा सकें। ट्रैफिक पुलिस प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ऐसा कर सकती है, लेकिन कई रचनात्मक लोगों के लिए यह सड़कों की एक वैकल्पिक कल्पना है। सड़क पार करते हुए कारें देखकर मैं थक चुका हूं। अब समय आ गया है कि हम इमारतें, पर्यावरण की सुंदरता, पेड़ों-पक्षियों को भी देखें।
खुली सड़कों पर गतिविधियों की प्रेरणा 'सिसलोविया' से मिली थी, जो 1974 में कोलंबिया के बगोटा में शुरू हुआ था। शुरुआत में सिर्फ कुछ किमी सड़क पर ही ट्रैफिक बंद होता था, फिर यह 121 किमी से ज्यादा तक पहुंचा, जिसमें अब सात रास्ते कवर करते हुए हर रविवार व राष्ट्रीय अवकाश के दिन सुबह 7 से दोपहर 2 तक पैदल वालों के लिए रास्ते खोल दिए जाते हैं।
सड़कें सिर्फ कारों के लिए नही हैं। ये खुली जगह का सबसे बड़ा नेटवर्क हैं जहां लोग चलते हैं, मिलते हैं, बातें करते हैं और जश्न मनाते हैं। दुर्भाग्य से लोग हर सड़क को ट्राफिक जाम से जोड़कर देखते हैं। भारत में 'राहगीरी' गतिविधि हरियाणा में अच्छी चली, वहीं मुंबई में 'इक्वल स्ट्रीट्स' भी लोकप्रिय था।
बेंगलुरु पैदल यात्रियों व साइकिल सवारों को मुख्य-व्यस्त सड़कों से बचाने व वैकल्पिक रास्ता देने के लिए 'स्लो स्ट्रीट कैंम्पेन' का अभ्यास कर रहा है। अमूमन साइकिल लेन शहर की मुख्य सड़कों पर केंद्रित होती हैं। पर बेंगलुरु, शहर के बीच में वैकल्पिक रास्ता बनाते हुए उन्हें मुख्य सड़कों से जोड़ने की कोशिश कर रहा है, ताकि साइकिल सवार-पैदल वालों की सुरक्षा और सुविधा बढ़े, साथ ही मोटर वाहनों पर निर्भरता कम हो।
उसी शहर बेंगलुरु में ट्रैफिक पुलिस अब 'क्वालिटेटिव वॉयलेशन' के हिसाब से प्राथमिकता तय करके लोगों को पकड़ेगी जैसे ओवर स्पीडिंग, बिना हेलमेट चलाना, तीन सवारी, सीट बेल्ट नहीं पहनना, सिग्नल तोड़ना और कुछ अन्य नियम तोड़ना शामिल हैं, जिसमें चालक के साथ पैदल चलने वालों की सुरक्षा सीधी जुड़ी है। किसी भी शहर के पुलिसवाले छोटे-मोटे नियम उल्लंघन पर रोक लेते हैं, फिर कागजात मांगते हैं।
चूंकि पेपर्स 'डिजी लॉकर्स' में भी होते हैं ऐसे में पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वे पेपर न मांगें। दोषपूर्ण नंबर प्लेट, या मिरर नहीं होने पर भी सवाल न करें। बेंगलुरु पुलिस ने 20 ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन कैमरे (एएनपीआर) लगाए हैं। इससे पुलिस को बार-बार नियम तोड़ने वाले चालक रोकने में मदद मिलती है।
एएनपीआर कैमरा नंबर प्लेट स्क्रीन पर पढ़ता है, देखता है कि कहीं पहले भी नियम तो नहीं तोड़े गए और फिर निकटतम टीम को सतर्क करने से पहले, उन वाहनों की सूची अलग करता है जिनके पांच से अधिक अपराध लंबित हैं।
फंडा यह है कि किसी शहर की रिचनेस दिखाने के लिए स्थानीय प्रशासन और सरकार को खुद को झोंकना होगा ताकि वहां के नागरिकों की जिंदगी में गुणवत्ता बढ़ा सकें।
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