सम्पादकीय

Quad Summit: मोदी के नेतृत्व में भारतीय राजनय का एक और पताका

Gulabi
12 March 2021 3:10 PM GMT
Quad Summit: मोदी के नेतृत्व में भारतीय राजनय का एक और पताका
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आज शुक्रवार को दुनिया के 4 महत्वपूर्ण देशों के प्रमुख क्वाड के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में एक दूसरे से मुख़ातिब हो रहे हैं

आज शुक्रवार को दुनिया के 4 महत्वपूर्ण देशों के प्रमुख क्वाड के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में एक दूसरे से मुख़ातिब हो रहे हैं. इन देशों के प्रमुखों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden), ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) और जापानी पीएम सुगा योशिहिडे (Suga YoshiHide) शामिल हैं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन चुनाव जीतने के बाद पहली बार एक दूसरे का आमना-सामना करेंगे. कहने को तो ये सम्मेलन कोरोना महामारी से बचाव और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों के लिए एक कॉमन साझा कार्यक्रम की शुरूआत करने के लिए है, लेकिन जब 4 देश किसी खास देश के खिलाफ मिल कर बैठक कर रहे हों तो उस देश के लिए चिंता होना लाजिमी है.


हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहले ही यह स्पष्ट कर रखा है कि क्वाड देशों के लीडर एक दूसरे के सामान्य हितों के रीजनल और वैश्विक विषयों पर बात करेंगे और एक स्वतंत्र, ओपेन और समावेशी एशिया पैसिफिक रीजन को बनाए रखने की दिशा में सहयोग के व्यावहारिक क्षेत्रों पर विचार करेंगे.' इसके बावजूद चीनी नेताओं के जिस तरह के बयान आ रहे हैं इससे यही लगता है भारत की कूटनीति सही निशाने पर है. इसके पहले भी जब क्वाड देशों के साथ भारतीय नौसेना ने अभ्यास किया था तो चीन को मिर्ची लगी थी.

2007 में नरम पड़ गया था भारत, पर अब नहीं
आज से 14 साल पहले वैश्विक परिस्थितियां या देश का नेतृत्व इतना मजबूत नहीं था, इसलिए क्वाड सम्मेलन की पहली बैठक मनीला में हुई और उसी साल क्वाड देशों और सिंगापुर के साथ बंगाल की खाड़ी में भारतीय नौसेना का एक युद्धाभ्यास भी हुआ जिस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी. चीन ने क्वाड देशों से पूछा था कि क्या यह उसके खिलाफ बन रहे किसी संगठन की तैयारी है? लेफ्ट के सपोर्ट से चल रही यूपीए-1 की सरकार ने चीन को क्लैरिफाई किया कि यह किसी भी प्रकार सामरिक सहयोग संगठन नहीं है. नतीजा यह हुआ कि अगले साल फिर होने वाला नौसैनिक अभ्यास बाइलैटरल हो गया और जगह भी बदलकर बंगाल की खाड़ी के बजाय अरब सागर हो गया. उसके बाद क्वाड ठंडे बस्ते में चला गया.

क्वाड बैठक के जरिए बदलते वैश्विक परिवेश का दूरगामी संदेश
क्वाड की बैठक में जिस तरह से उसमें शामिल देशों के प्रमुख खुद अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं इससे कुछ बातें स्वतः स्पष्ट हो रही हैं. इसमें एक ये कि लोकतांत्रिक देश भारत को वैश्विक स्तर पर अब कोई देश सामरिक और आर्थिक दृष्टि से कितना भी बड़ा हो, नजरअंदाज नहीं कर सकता हैं. भारत ने भी अब अपनी ताकत दिखाई है कि अगर राष्ट्रीय सुरक्षा की बात होती है तो वह किसी तरह का कोई समझौता नहीं करता है. दूसरी बात ये है कि क्वाड सम्मेलन दिखाएगा कि अमेरिका वैश्विक हित के चलते अपने जैसे देशों के साथ गठबंधन बनाना चाहता है.

चीन को उसकी औकात बताना
ये शिखर सम्मेलन दुनिया को, विशेष रूप से चीन के पड़ोसी देशों को स्पष्ट रूप से एक संदेश भेजेगा कि विस्तारवादी चीन से डरने की जरूरत नहीं है. अब दुनिया के देश अपनी व्यक्तिगत हितों को भूलकर चीन के किसी भी चाल में नहीं आने वाले हैं. पिछली बार 2007 की बैठक के बाद भारत ही नहीं ऑस्ट्रेलिया भी चीन की धमकी के आगे नरम पड़ गया था. चीन के पड़ोसी लोतांत्रिक देश अब समझ लें कि वे अकेले नहीं हैं उनकी विदेश नीतियों पर वीटो करने की अनुमति अब चीन को नहीं मिलने वाली है.

बाइडन सरकार भी चीन के खिलाफ सख्त
जैसा पहले से ही उम्मीद था ठीक वैसा ही हुआ, अमेरिका की जो बाइडन सरकार चीन के खिलाफ लगातार सख्ती दिखा रही है. अमेरिका के प्रभावशाली सीनेटरों ने सीनेट में कई प्रस्ताव पेश कर साउथ चाइना सी में बढ़ती सैन्य गतिविधियों के लिए चीन की कड़े शब्दों में निंदा की है. चीन की आर्थिक गतिविधियों से निपटने के लिए भी सीनेट में प्रस्ताव पेश किया गया है, जिससे विश्व के बहुत से देशों के साथ-साथ अमेरिकी बिजनेस को भी नुकसान होता है. सीनेटर रिक स्कॉट, जोश हाउले, डैन सुलीवान, थॉम टिलीस और रोजर विकर ने प्रस्ताव पेश कर अमेरिकी नौसेना और तटरक्षक बलों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि चीन की सीमा के बाहर उसकी विस्तारवादी नीतियों को अमेरिका कभी बर्दाश्त नहीं करेगा.

भारतीय वैक्सीन कूटनीति से चाइना पर मिलेगी बढ़त
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत द्वारा बनाए गए क्वाड समूह में इस बात पर प्रयास तेज हो रहे हैं कि ग्लोबल वैक्सीनेशन प्रोग्राम में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई जाए. क्वाड गठबंधन से भारतीय वैक्सीन कूटनीति को और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. चीन के सॉफ्ट पावर में आई तेजी को इस तरह कंट्रोल किया जा सकेगा. अमेरिका-जापान हो या ऑस्ट्रेलिया सबको एहसास है कि भारत दुनिया में टीका बनाने वाला सबसे बड़ा केंद्र है. यह एक बहुत बड़ा अवसर है जो भारत को मिलने वाला है, यह भारत के लिए केवल कूटनीतिक ही नहीं बल्कि व्यापारिक रूप से भी बहुत लाभदायक होने वाला है. वहीं वैश्विक व्यापार की दृष्टि से हिंद महासागर का समुद्री मार्ग चीन के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है, ऐसे में इस क्षेत्र में क्वाड का सहयोग भारत को एक रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगा.

फोन और इलेक्ट्रिक मार्केट में भी चीन के प्रभाव को कम करेंगे
क्वाड देश अब रेअर अर्थ की कमी पूरी करने के लिए एक प्रोक्योरमेंट चेन बनाएंगे और मोबाइल बनाने वाली कंपनियों से लेकर मोटर्स और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी बनाने वाली कंपनियों तक सप्लाई करेंगे जो चीन के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा. 2020 में चाइना ने तकरीबन दुनिया में पाए जाने वाले 60% रेअर अर्थ को प्रोड्यूस किया है इसीलिए क्वाड के मेंबर्स इन मेटल्स पर चाइना के ग्रिप को ढीला करने के लिए नए प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को फंडिंग कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय नियमों को ड्राफ्ट करने के रास्ते में आगे बढ़ रहे हैं. आपको बता दें साल 2016 में भारत में 90% रेअर अर्थ का इंपोर्ट चाइना द्वारा किया गया था
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