सम्पादकीय

Quad Summit 2022: क्‍वाड पर निगाहें- चीन के 'माया' जाल से देशों को बचाने की भी बनेगी रणनीति!

Gulabi Jagat
23 May 2022 6:38 AM GMT
Quad Summit 2022: क्‍वाड पर निगाहें- चीन के माया जाल से देशों को बचाने की भी बनेगी रणनीति!
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जापान में होने जा रहे क्वाड शिखर सम्मेलन पर दुनिया की दिलचस्पी होना स्वाभाविक
जापान में होने जा रहे क्वाड शिखर सम्मेलन पर दुनिया की दिलचस्पी होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह सम्मेलन ऐसे अवसर पर होने जा रहा है, जब यूक्रेन पर रूस के हमले जारी हैं और उसके प्रमुख सहयोगी चीन के अड़ियल रवैये में कोई कमी आती नहीं दिख रही है। भले ही क्वाड केवल चार देशों-भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया की सदस्यता वाला समूह हो, लेकिन वह अपनी साझा रीति-नीति से पूरी दुनिया को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
चूंकि चीन भारत समेत इन सभी देशों के लिए किसी न किसी रूप में चुनौती बन गया है, इसलिए क्वाड शिखर सम्मेलन की ओर से उसे लेकर कोई कठोर बयान जारी किया जा सकता है। ऐसे किसी बयान मात्र से चीन की सेहत पर असर पड़ने के आसार कम ही हैं, इसलिए क्वाड को उन उपायों पर ध्यान देना होगा, जिससे चीन की अकड़ ढीली पड़े।
इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि चीन विभिन्न देशों की सुरक्षा के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा बन गया है। वह अंतरराष्ट्रीय नियम-कानूनों को धता बताने के साथ ही छोटे-छोटे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाकर उनका जिस तरह शोषण कर रहा है, उससे विश्व व्यवस्था के अस्थिर होने का खतरा पैदा हो गया है। शायद इसी कारण भारतीय प्रधानमंत्री के जापान रवाना होने के पहले विदेश मंत्रालय ने यह रेखांकित किया कि क्वाड सम्मेलन में अन्य मसलों पर चर्चा के साथ इस पर भी विचार होगा कि विभिन्न देशों को कर्ज के उस भार से कैसे बचाया जाए, जो उनके लिए असहनीय साबित हो रहा है।
चूंकि क्वाड देशों में भारत अकेला ऐसा देश है, जिसकी सीमाएं चीन से मिलती हैं और वह लद्दाख सीमा पर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, इसलिए भारतीय नेतृत्व को कहीं अधिक सक्रियता दिखाने की आवश्यकता है। भारत को क्वाड के जरिये ऐसे उपायों पर भी विशेष ध्यान देना होगा, जिससे आर्थिक-व्यापारिक मामलों में चीन पर निर्भरता कम की जा सके। यह ठीक नहीं कि तमाम प्रयासों के बाद भी चीन से आयात में कोई उल्लेखनीय कमी आती नहीं दिख रही है।
जब यह स्पष्ट है कि क्वाड का एक साझा उद्देश्य चीन की साम्राज्यवादी मानसिकता पर लगाम लगाना है, तब फिर सदस्य देशों को आर्थिक सहयोग के साथ अपने रक्षा संबंधों को सशक्त करने पर अधिक जोर देना होगा। इससे ही हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चीन की ओर से पैदा किए जा रहे खतरों से पार पाया जा सकता है। यह सही समय है कि क्वाड के विस्तार को गति दी जाए। जो भी देश स्वतंत्र एवं खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र के पक्षधर हैं और चीन की दादागीरी से त्रस्त हैं, उन्हें क्वाड का हिस्सा बनाने में देर नहीं की जानी चाहिए।

दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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