सम्पादकीय

क्वाड का संदेश

Gulabi
14 March 2021 10:27 AM GMT
क्वाड का संदेश
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लगभग 15 वर्षों की कोशिशों के बाद चार देशों भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान का ‘क्वाड’ समूह साकार हुआ है

लगभग 15 वर्षों की कोशिशों के बाद चार देशों भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान का 'क्वाड' समूह साकार हुआ है। चारों देशों के नेताओं ने पहली शिखर बैठक में हिस्सा लिया। महामारी कोरोना के चलते यह बैठक आनलाइन हुई। क्वाड समूह को शुुरू करने का लक्ष्य हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सामरिक सुरक्षा और व्यापारिक सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना था। भारत चाहता है कि यह समूह संस्थागत स्वरूप हासिल करे। फिलहाल कोरोना वैक्सीन की बात की गई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के लिए भारत एजैंडा वैक्सीन और जलवायु परिवर्तन बताया।

उन्होंने स्पष्ट किया है कि क्वाड देशों की भावना उन्हें भारत की प्राचीन अवधारणा 'वसुधैव कुटम्बकम' से मिलती-जुलती लगती है। इस समय क्वाड देशों का वैक्सीन इलिशियेटिव सबसे महत्वपूर्ण कदम है। चारों देशों ने लोगों की जानें बचाने और महामारी पर काबू पाने के ​लिए अपने वित्तीय संसाधनों, उत्पादन क्षमता सहित अन्य सुविधाओं के जरिये सहयोग की बात की है। इस बैठक में दो महत्वपूर्ण संदेश भी दिए गए। एक संदेश तो चीन के लिए दिया गया। इसे आप कड़ी चेतावनी भी कह सकते हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिंद सुगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और खुला रखने का संदेश दिया है। दरअसल इस बैठक से पहले ही चीन भांप गया था कि उसके दादागिरी वाले व्यवहार पर निशाना साधा जा सकता है। चीन ने बैठक से पहले ही कहा था कि देशों को आपस में मिलने के दौरान आपसी मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए न कि किसी थर्ड पार्टी को निशाना बनाना चाहिए। दरअसल क्वाड की बैठक से चीन परेशान हो उठा है।

चीन का पूर्वी चीन सागर में कभी जापान के साथ तो कभी फिलीपींस के साथ टकराव रहा है। नेविगेशन की स्वतंत्रता को बाधित किया जाता है। वहीं भारत का दृष्टिकोण हमेशा समावेशी और अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुपालन का समर्थक रहा है। भारत चाहता है कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी तरह के टकराव की स्थिति न रहे। चीन जिस तरह से अन्तर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघ करता रहा उससे अनेक देश प्रभावित हैं। आस्ट्रेलिया और जापान के साथ चीन के अपने झमेले हैं। अमेरिका के साथ कई वर्षों से कई मुद्दों पर टकराव चल रहा है। अमेरिका और चीन में ट्रेड-वार तो चल ही रहा है। आसियान देशों से भी भारत के काफी अच्छे ​रिश्ते हैं। आसियान देशों में भी चीन को लेकर नाराजगी है। छोटे-छोटे देश भी चीन से आतंकित रहते हैं।


भारत आैर चीन में लद्दाख में सैन्य गतिरोध से तनाव काफी बढ़ गया लेकिन अब तनाव कम हुआ है, क्योंकि चीन ने अपनी सेनाएं हटा ली हैं और तनाव पूरी तरह खत्म तब होगा जब चीन अपने सैनिक फिंगर-8 से भी पीछे ले जाएगा। चीन हमारा धूर्त पड़ोसी है मगर व्यापारिक भागीदारी भी है। चीन के आर्थिक और सामरिक वर्चस्व के विस्तार ने अन्तर्राष्ट्रीय नियमों पर आधारित बहुपक्षीय विश्व के भविष्य के लिए खतरा पैदा कर दिया है। दक्षिण व पूर्वी चीन सागर में तथा अन्य पड़ोसियों के ​विरुद्ध चीन की सैन्य आक्रामकता पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी हो गया है। उसने कई देशों को भारी-भरकम ऋण और मदद देकर उनके संसाधनों को कब्जाना शुरू कर दिया है। कोरोना काल में भी चीन ने वही किया जिससे उसे फायदा हो।

क्वाड बैठक की दूसरी महत्वपूर्ण बात जो सामने आई है वह यह कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद ऐसी आशंकाएं जन्म लेने लगी थीं कि जो बाइडेन के सत्ता में आने के बाद भारत-अमेरिका के रिश्ते शायद उतने मजबूत न रहे जितने ट्रंप के शासन काल में थे लेकिन हमने देखा कि बाइडेन प्रशासन में भी भारतवंशियों की भूमिका बढ़ी है। बाइडेन ने कई महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय मूल के लोगों को नियुक्त किया है। इससे साफ है कि अमेरिका को भारतीयों पर विश्वास है और वह भारत के साथ संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए आगे बढ़ेगा। जिस तरह से बाइडेन ने ताइवान के मुद्दे पर चीन को चेतावनी दी है, उससे यह दिखाई दिया कि वह पूर्व राष्ट्रपति आेबामा की नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं।

जो बाइडेन ने भारत की बढ़ती ताकत की तारीफ भी की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देखकर खुशी व्यक्त की और कहा कि वह इस समूह के साथ काम करने को लेकर विशेष रूप से इच्छुक हैं। यद्यपि बाइडेन ने कहा है कि यह समूह किसी देश के ​विरुद्ध नहीं है लेकिन चीन को दिये गए संदेश से उसकी ​​ ​तिलमिलाहट सामने आ चुकी है। चीन की घेराबंदी कैसे की जाएगी यह भविष्य ही बात है परन्तु क्वाड अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।


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