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- पुत्र मोह का जाल:...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कांग्रेस किस तरह बदलने के लिए तैयार नहीं, इसका प्रमाण है सोनिया गांधी की शीर्ष नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद यह संदेश देने की कोशिश कि एक तो पार्टी में सब कुछ ठीक है और दूसरे, अधिकांश नेता राहुल गांधी को ही फिर से अध्यक्ष बनाना चाह रहे हैं। यह इसलिए हास्यास्पद है, क्योंकि सोनिया गांधी की यह बैठक उन वरिष्ठ नेताओं के साथ ही थी जिन्होंने करीब चार माह पहले पार्टी के कामकाज के साथ-साथ नेतृत्व के रवैये पर भी गंभीर सवाल उठाए थे। यह समझना कठिन है कि पार्टी के इन वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात करने की जहमत चार माह बाद क्यों उठाई गई? कहीं यह संदेश देने के लिए तो नहीं कि उनकी आपत्तियों का कोई मूल्य-महत्व नहीं। सच्चाई जो भी हो, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि इस बैठक के जरिये यह बताने का अतिरिक्त प्रयास हुआ कि पार्टी राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष पद पर आसीन होते हुए देखना चाहती है। यह प्रयास पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला के इस विचित्र बयान के ठीक अगले दिन किया गया कि उनके समेत कांग्रेस के 99.9 प्रतिशत नेता राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में हैं। यह चाटुकारिता संस्कृति को खाद-पानी देने और पार्टी से ज्यादा परिवार को महत्वपूर्ण बताने के अलावा और कुछ नहीं।