सम्पादकीय

युद्ध बंद कराना मकसद

Subhi
9 April 2022 4:56 AM GMT
युद्ध बंद कराना मकसद
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यूक्रेन में रूसी सैनिकों द्वारा आम नागरिकों के कथित नरसंहार संबंधी आरोपों के आधार पर आखिर रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया गया। भारत एक बार फिर वोटिंग से अलग रहा।

नवभारत टाइम्स: यूक्रेन में रूसी सैनिकों द्वारा आम नागरिकों के कथित नरसंहार संबंधी आरोपों के आधार पर आखिर रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया गया। भारत एक बार फिर वोटिंग से अलग रहा। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से यह लगातार दसवां मौका है, जब भारत उससे संबंधित मसले पर संयुक्त राष्ट्र में होने वाली वोटिंग से दूर रहा। लेकिन इस बार खास बात यह रही कि दोनों पक्षों से भारत को अपनी तरफ खींचने की कोशिशें पूरी शिद्दत से की गईं। अमेरिका लगातार कभी संकेतों में तो कभी खुलकर यह बात कहता आ रहा है कि भारत को यूक्रेन मामले को लेकर पश्चिमी देशों के साथ खड़ा होना चाहिए। दूसरी तरफ रूस ने भी अब तक दिखाए जा रहे संयम को लगभग तिलांजलि देते हुए यह कह दिया था कि अगर कोई देश गुरुवार की वोटिंग से बाहर रहता है तो उसे गैर-दोस्ताना व्यवहार माना जाएगा। रूस चाहता था कि भारत इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दे। उसकी वजह यह थी कि संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक इस प्रस्ताव के पास होने के लिए उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत की जरूरत थी। मतदान से गैरहाजिर रहने वाले देश नहीं गिने जाते। वैसे, इस मामले पर जिस तरह से वोटिंग हुई है, उसमें भारत अगर रूस के साथ खड़ा भी हो जाता तो उसका निलंबन नहीं रुकता।

इस प्रस्ताव पर भारत का रुख क्या रहता है, इसमें सबकी दिलचस्पी बनी हुई थी। यह सवाल उठ रहा था कि अभी तक भारत दोनों खेमों के बीच अपने तटस्थ रुख के साथ जो संतुलन बनाए हुए है, क्या वह उसे छोड़ देगा? खैर, ऐसा नहीं हुआ। भारत ने यूक्रेन युद्ध को लेकर न्यूट्रल रहने की नीति बरकरार रखी है। इसके साथ उसने फिर से यह संकेत दिया है कि वह इस मामले में राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए ही आगे बढ़ेगा। दूसरी बात यह कि भारत ने सिद्धांतों के आधार पर यूक्रेन युद्ध और रूस की उसमें भूमिका को लेकर एक राय बनाई है। और सिद्धांतों से समझौता उसे मंजूर नहीं है। जल्द ही भारत और अमेरिका के बीच 2 प्लस 2 बातचीत होने वाली है। उससे पहले एक बार फिर भारत ने यह बात कही है कि वह रूस के साथ संबंध खत्म नहीं करने जा रहा। भारत इस बारे में लगातार अमेरिका और पश्चिमी देशों को अपना रुख बता रहा है। दूसरी तरफ, मानवाधिकार परिषद की वोटिंग में चीन ने रूस के हक में मतदान किया। इससे अमेरिका और पश्चिमी देशों को यह बात समझनी चाहिए कि भारत का रुख जहां सिद्धांतों से प्रेरित है, वहीं चीन मौकापरस्ती कर रहा है। वह अमेरिका के साथ वर्चस्व की लड़ाई के लिए इस मामले का इस्तेमाल कर रहा है।


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