सम्पादकीय

पंजाब जनादेश 2022 : नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने कॉमेडी से पंजाब कांग्रेस की राजनीति को ट्रेजडी शो बना दिया

Rani Sahu
10 March 2022 9:06 AM GMT
पंजाब जनादेश 2022 : नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने कॉमेडी से पंजाब कांग्रेस की राजनीति को ट्रेजडी शो बना दिया
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नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने कॉमेडी से पंजाब कांग्रेस की राजनीति को ट्रेजडी शो बना दिया

प्रवीण कुमार

पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का एक मशहूर डायलॉग आज मुझे बार-बार याद आ रहा है- "मैं अड़ूंगा और लड़ूंगा, सबकुछ लुटता है तो लुट जाए." इस डायलॉग के बारे में सिद्धू का कहना था कि ये उनकी रूह की आवाज है और वे पंजाब की प्रगति के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे. लेकिन आज पंजाब की जनता ने बता दिया कि हमें नहीं चाहिए आपके रूह की आवाज. हमें नहीं चाहिए "थोथा चना बाजे घना". वाकई सिद्धू ने अड़कर और लड़कर अपना तो सब-कुछ लुटाया ही, कांग्रेस (Congress) का भी सब-कुछ लुटा दिया. सिद्धू एक पूर्व क्रिकेटर रहे हैं पर उनकी पहचान उनके कॉमेडी शो के लिए आज ज्यादा है.
पंजाब का जो जनादेश आया है उसमें किसी के लिए यह देखना और समझना मुश्किल नहीं है कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के कॉमडी शो सूबे में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी दिल्ली की कामयाबी दोहरा दी है. दूसरे नंबर के लिए कांग्रेस और अकाली दल में टक्कर है, लेकिन दोनों मिलाकर भी आम आदमी पार्टी के करीब भी पहुंचती नजर नहीं आ रही है. आप की सुनामी में पंजाब के तमाम दिग्गज नेता अपनी सीटों पर हार गए हैं. सीएम चऩ्नी भदौड़ और चमकौर साहिब दोनों ही सीटों पर पीछे चल रहे हैं. अमृतसर ईस्ट सीट से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू और पटियाला से कैप्टन अमरिंदर सिंह हार चुके हैं. 90 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल चुनाव हार चुके हैं.
जल्दबाजी में सिद्धू ने अपनी विश्वसनीयता खोई
इसमें कोई शक नहीं है कि सिद्धू जब भाषण देते हैं तो अपने भावुक, आक्रामक और दिलचस्प अंदाज से आज भी वह लोगों को आकर्षित करते हैं. लेकिन जरूरी नहीं कि उनमें से अधिसंख्य लोग उनके लिए या उनकी वजह से कांग्रेस पार्टी के लिए वोट करें. मेरा साफतौर पर मानना है कि नवजोत सिंह सिद्धू का ग्राफ जिस तरीके से चढ़ रहा था, उन्हें थोड़ा संयम बरतना चाहिए था. लेकिन कांग्रेस के आंतरिक उठापटक को सार्वजनिक मंच पर जिस तरह से इजहार किया, उन्हें लग रहा था कि यही सब करने से वह हाईकमान को झुका देंगे. उन्हें यह भी लगता था कि जिस तरह से उन्होंने पंजाब प्रधान का पद हासिल किया, सीएम का पद भी हासिल कर लेंगे. शायद इसी जल्दबाजी में सिद्धू ने अपनी विश्वसनीयता तो खोई ही, कांग्रेस को पूरी तरह से डुबो दिया.
अभी हाल ही में नवजोत सिंह सिद्धू का एक इंटरव्यू पढ़ रहा था. सिद्धू से कांग्रेस के पंजाब मॉडल पर सवाल किया गया था. जवाब पढ़कर मैं हैरान रह गया. थोड़ी देर के लिए मैं सोचने लगा कि क्या ये शख्स पंजाब में कांग्रेस को खाक जिताएगा. सिद्धू ने सवाल का जवाब कुछ यू दिया- "देखिए…एक बात समझ लीजिए. मैंने कह दिया कि यह मेरा मॉडल नहीं है. यह हाईकमान का मॉडल है (पोस्टर की तरफ हाथ करते हुए). आप देख रहे हैं ना पोस्टर में फोटो किसकी लगी है? देखो-देखो हाईकमान की है. मैंने ठेका नहीं ले रखा कि वह मुझ पर ही भरोसा करें. वह किसी और को ताकत दें, लेकिन जिसे दें इसे वही लागू करेगा.
चीफ मिनिस्टर से कम कोई इसे लागू नहीं कर पाएगा. जो खुद खनन करता है, जो राजा खुद व्यापारी है, जो खुद माइनिंग करता है, जो खुद शराब की डिस्टलरियां चलाता है, जो खुद गंदे सिस्टम का हिस्सेदार है, वह कैसे नया सिस्टम खड़ा करेगा? हाईकमान को सब पता है. वह मैच्योर है, सही निर्णय लेगा और वह जो निर्णय लेगा, हम उसे मानने के लिए बाध्य होंगे. क्या आप सोच सकते हैं जिसके कंधों पर पंजाब कांग्रेस की सत्ता को बचाने की जिम्मेदारी हो वह इस तरह की भाषा में बात करेगा तो फिर ऐसी कांग्रेस और उसके नेताओं पर जनता क्यों भरोसा करे जब उसके सामने आम आदमी पार्टी का विकल्प मौजूद हो.
नवजोत सिंह सिद्धू अब क्या मुंह दिखाएंगे
एक सवाल जब ओपिनियन पोल पर सिद्धू से सवाल किया गया तो छूटते ही सिद्धू बोले- यह सब तो 50-50 लाख रुपए में होते हैं. पिछली बार भी ओपिनियन पोल में केजरीवाल को 110 सीटें दिखाई जा रही थीं, मगर चुनाव में झाड़ू मुर्गी के पंखों की तरह बिखर गया. आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बिना सिद्धू ने कहा- उनकी 20 सीटों में से 12 तो हमारे पास आ गई हैं. उनके पल्ले अब 8 सीटें भी नहीं हैं. सिद्धू ने एक कहावत सुनाते हुए ठठाए, 'पल्ले न तेल न कढ़ाही, बनाने चले मिठाई'. ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल का खेल क्या होता है यह एक अलग विषय है और अगर 50-50 लाख में रुपये में ही होता है तो आप भी करवा लेते. किसने रोका था. लेकिन चुनावी रण में जो राजनीतिक दल सामने खड़ा है उसका सम्मान तो करना ही चाहिए.
आज पंजाब ने जो जनादेश दिया है और जिस तरह से आम आदमी पार्टी की सुनामी में क्या सिद्धू, क्या चन्नी और क्या कैप्टन अमरिंदर सब बह चुके हैं, पंजाब कांग्रेस के कप्तान नवजोत सिंह सिद्धू अब क्या मुंह दिखाएंगे. बहरहाल, सब-कुछ गंवा के होश में आए कॉमेडियन सिद्धू ने एक दूसरे कॉमेडियन जिसने सधे तरीके से एक नेता के रूप में अपनी भूमिका को अदा किया उसे जीत की बधाई दे दी. आम आदमी पार्टी को जीत की बधाई देते हुए ट्वीट किया- जनता की आवाज ईश्वर की आवाज होती है. मैं विनम्रतापूर्वक पंजाब की जनता का आदेश स्वीकार करता हूं.
मुझे लगता है इस भाव में आने में सिद्धू ने बहुत देर कर दी. याद हो तो एक तरफ सीएम चन्नी लगातार मजबूती से कांग्रेस का एजेंडा रखते थे तो सिद्धू लगातार अलग-अलग मुद्दों पर सरकार को कोसते नजर आते थे. स्वाभाविक सी बात है, अगर प्रदेश अध्यक्ष लगातार अपनी ही सरकार पर सार्वजनिक रूप से हमला करता रहे तो एक कार्यकर्ता अपनी सरकार के कामों का विपक्षियों के सामने कैसे बचाव करेगा. लेकिन पार्टी हाईकमान की भी एक जिम्मेदारी होती है जिसका निर्वहन नहीं किया गया. कांग्रेस यहां अपने नेताओं को एक लाइन पर लाने में नाकाम रही.
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