सम्पादकीय

पंजाब : छल्ले-मुंदरी से गोली-बंदूक तक, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के पीछे की वजहें

Neha Dani
31 May 2022 1:41 AM GMT
पंजाब : छल्ले-मुंदरी से गोली-बंदूक तक, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के पीछे की वजहें
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यह राजनीतिक संरक्षण ही है कि लारेंस बिश्नोई, जिस पर सैंकड़ों मामले विचाराधीन हैं, आज भी तिहाड़ जेल से अपना नेटवर्क चला रहा है।

रविवार को जाने-माने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी गई। कथित तौर पर हत्यारे लारेंस बिश्नोई व गोल्डी बराड़ गुट के बताए जाते हैं। शनिवार को ही पंजाब पुलिस ने शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला समेत 424 लोगों की सुरक्षा वापस ले ली थी और अगले ही दिन उसकी हत्या हो गई। इससे समझा जा सकता है कि अपराधियों के हौसले कितने बढ़ गए हैं। आज बहुत से पंजाबी गायक और कलाकार गैंगस्टरों के निशाने पर हैं।

हाल के महीनों में इन गैंगस्टरों द्वारा फिरौती वसूलने के मामले में कथित तौर पर काफी वृद्धि हुई है। हीर-रांझा, मिर्जा, जुगनी, छल्ला व मुंदरी, लौंग व कैंठा पंजाब की गायकी की जान रहे हैं, लेकिन वक्त की करवट के साथ गायकी में बंदूक, कब्जा, वैली, गंडासा व जट्ट हावी हो गया। गायकी में गन कल्चर हावी हुआ और साथ ही गैंगस्टर भी। पहले पारंपरिक रचनाओं का उपयोग करके गाने गाए जाते थे, लेकिन अब गैंगस्टर व हथियारों के प्रोमोशन के लिए।
पंजाबी लोकगीतों का एक बड़ा हिस्सा जन्म से लेकर मृत्यु तक की घटनाओं का चित्र प्रस्तुत करता रहा है, लेकिन इसके बीच बंदूक की गोली कब घुस आई, पता ही नहीं चला। गायकी में जैसे-जैसे ग्लैमर आया, वैसे ही पैसा व शोहरत भी। पैसा व शोहरत आई, तो गैंगस्टर का भी दबदबा गायकी में दिखने लगा और इसके पीछे रही पंजाब की राजनीति। पंजाब की लहराती फसलें, गांवों में लगने वाले मेले का लोग उत्सुकता से इंतजार करते थे, क्योंकि पंजाबी गायक वहां पर भांगड़ा व गिद्दा और किक्कली का समां बांध देते थे।
आसा सिंह मस्ताना, सरदूल सिकंदर, सुरजीत बिंदरखिया, गुरदास मान, मनमोहन वारस, कमल हीर आदि गायकों ने पंजाब की संस्कृति को हमेशा बुलंदियों पर रखा। पंजाबी गायकी का बोलबाला कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन व अन्य यूरोपीय देशों में भी पहुंचा, और बड़े-बड़े कलाकार शो करने के लिए वहां जाने लगे। डॉलरों की चमक-दमक में खोए गीतकार पंजाब की सभ्यता-संस्कृति को भूलकर हथियारों की संस्कृति की तरफ बढ़ गए।
ऐसे ही दौर में बब्बू मान से लेकर सिद्धू मूसेवाला की गायकी में एंट्री हुई। विदेशों में शो व एलबम रिलीज से करोड़ों रुपये आने लगे, तो इस पर गैंगस्टरों की नजर लग गई। गायकों से फिरौती वसूलने का सिलसिला शुरू हो गया। सबसे पहला शिकार बना पंजाब का उभरता गायक परमीश वर्मा। गैंगस्टरों ने उससे फिरौती मांगी और न चुकाने पर 14 अप्रैल, 2018 को उस पर हमला कर दिया। संयोग से गोली उसके पैर में लगी।
बाद में इस हमले की जिम्मेदारी दिलप्रीत ढाहा बाबा ने ली और धमकी दी कि अगली बार नहीं बचोगे। दिलप्रीत बाबा गैंगस्टर ने ही पंजाबी गायक गिप्पी ग्रेवाल से भी रंगदारी मांगी थी। गैंगस्टरों के निशाने पर मनकीरत औलख भी हैं। गायक बलकार सिद्धू से भी दस लाख रुपये की फिरौती मांगी गई थी। गायक रॉय जुझार को भी अश्लील पंजाबी गीतों को लेकर जान से मारने की धमकी दी जा चुकी है। मोहाली के डेराबस्सी में पंजाबी गायक नवजोत की हत्या कर दी गई थी, जिसकी गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है।
गैंगस्टरों ने पंजाबी संगीत उद्योग में अपना जो खौफ पैदा किया है, उसके पीछे राजनीतिक ताकतों का भी हाथ रहा है। नेताओं की दखलंदाजी के कारण पुलिस की ढीली कार्रवाई गैंगस्टरों का हौसला बढ़ाती रही है। 2019 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तत्कालीन डीजीपी दिनकर गुप्ता को नेताओं व गैंगस्टर गठजोड़ की जांच के आदेश दिए थे, जो आज तक पूरे नहीं हुए हैं। तब गुरदासपुर जिले के पूर्व अकाली सरपंच दलबीर ढिलवां की हत्या के बाद हंगामा हुआ था। फाजिल्का के रहने वाले गैंगस्टर रॉकी की जब दूसरे गैंगस्टरों ने हत्या की, तो उसकी शोकसभा में तमाम राजनीतिक पार्टियों के लोग शरीक हुए थे। यह राजनीतिक संरक्षण ही है कि लारेंस बिश्नोई, जिस पर सैंकड़ों मामले विचाराधीन हैं, आज भी तिहाड़ जेल से अपना नेटवर्क चला रहा है।

सोर्स: अमर उजाला

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