सम्पादकीय

Punjab Election Result : पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत देश की राजनीति को बदल सकती है

Gulabi
11 March 2022 5:59 AM GMT
Punjab Election Result : पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत देश की राजनीति को बदल सकती है
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भले ही आम आदमी पार्टी ने 2020 दिल्ली में तीसरी बार जीत हासिल की हो, लेकिन
सयंतन घोष.
चुनाव परिणामों के रुझानों से, ये साफ हो गया है, कि पंजाब (Punjab) में आम आदमी पार्टी (AAP) विधानसभा चुनाव (Assembly Election), जीतकर राजनीति की नई इबारत लिखने को तैयार है, पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत को राष्ट्रीय संदर्भ में देखने की भी जरूरत है, दिल्ली के बाद दूसरे राज्य पंजाब में, आम आदमी पार्टी ने अपना परचम लहराया है, ये जीत अरविंद केजरीवाल को एक भरोसेमंद विपक्ष का चेहरा भी बनाती है, बंगाल में जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जीं मजबूत विपक्षी नेता के रूप में सामने आई थीं, लेकिन आम आदमी पार्टी की पंजाब जीत के बाद, अरविन्द केजरीवाल का कद उनके सामने बढ़ गया है.
भले ही आम आदमी पार्टी ने 2020 दिल्ली में तीसरी बार जीत हासिल की हो, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा न होने के कारण दिल्ली की जीत राष्ट्रीय राजनीति में इतनी मायने नहीं रखती, जितनी पंजाब की जीत मायने रखती है, पंजाब पहला ऐसा पूर्ण राज्य है, जहां आम आदमी पार्टी ने इतनी बड़ी जीत हासिल की. आम आदमी पार्टी ने पंजाब में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के, दिल्ली मॉडल पर चुनाव लड़ा था, इस मॉडल में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी के कनेक्शन जैसी सुविधाएं शामिल हैं, इस चुनाव में आप ने 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को आर्थिक मदद देने का भी वादा किया था.
पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत महत्वपूर्ण क्यों है?
यूनियन टेरिटरी होने के कारण, दिल्ली में पुलिस, जमीन और नौकरशाही पर आप का नियंत्रण नहीं है, लेकिन पंजाब में हालात अलग होंगे, वहां पुलिस, कानून-व्यवस्था और नौकरशाही पर पार्टी का पूरा नियंत्रण होगा. इससे पार्टी को अपना, भ्रष्टाचार विरोधी रुख दिखाने का भी मौका मिलेगा, जिसे लेकर आम आदमी पार्टी राजनीति में आई. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई का कहना है, "आप ने यह चुनाव विकास के एजेंडे के नाम पर लड़ा है. लेकिन पंजाब में आम आदमी की प्रचंड जीत सिर्फ विकास मॉडल के नाम पर नहीं हो सकती, ऐसा लगता है कि पंजाब की जनता एक विकल्प चाहती थी, जो उसने आम आदमी पार्टी के रूप में देखा. पिछली बार भी पंजाब के लोग बदलाव चाहते थे. लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी को एक साथ रखने में कामयाब रहे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को लाकर पंजाब में अपना, दलित कार्ड खेला जिसे, वहां की जनता ने नकार दिया. जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिला.
कैसे राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष की आवाज बन सकती है आप?
पंजाब की जीत ने आम आदमी पार्टी को अलग राजनैतिक मुकाम पर पहुंचा दिया है, सत्ताधारी पार्टी को हराकर आप ने साबित कर दिया, कि भारतीय राजनीति में विपक्ष की तस्वीर किस तेजी से बदल रही है. इस बार आप ने न सिर्फ पंजाब में बीजेपी के विजयरथ को रोका, बल्कि कांग्रेस पार्टी और शिरोमणि अकाली दल दोनों का अहम वोटर बेस भी छीन लिया.
अरविन्द केजरीवाल हिंदी भाषी राज्यों में सरकार बनाकर विपक्ष पर बढ़त बनाए हुए हैं, पंजाब में हुई शानदार जीत ने केजरीवाल की पहुंच बढ़ा दी है, और अब आप, कांग्रेस को छोड़कर, एकमात्र राजनीतिक दल बन गई है, जो हिंदी पट्टी के आसपास के दो प्रमुख राज्यों में सत्ता में है. पंजाब, सात सांसदों को संसद के उच्च सदन में भेजता है. आम आदमी पार्टी के पास पहले से ही दिल्ली से तीन राज्यसभा सांसद हैं. राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है, और पंजाब से इस महत्वपूर्ण जीत के साथ आम आदमी पार्टी, ज्यादा सांसदों को राज्यसभा भेज कर, महत्वपूर्ण विपक्ष की भूमिका निभाएगी.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज एंड लोकनीति नेटवर्क के प्रो. मो. संजीर आलम ने कहा,कि 2024 के लोकसभा चुनावों में क्षेत्रीय दलों का विपक्ष के रूप में दबदबा रहेगा. पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत काफी अहम हैं, लेकिन भविष्य में आम आदमी पार्टी प्रमुख विपक्ष बन पाएगा, इसका अंदाजा लगाना अभी जल्दबाजी होगा, क्योंकि पांच राज्यों में हुए, विधानसभा चुनावों ने, ये साबित कर दिया है, कि मोदी फैक्टर अब भी सबसे ऊपर है, और विपक्षी दल मोदी का सामना करने में नाकाम रहे हैं. जब तक विपक्ष को मोदी का तोड़ नहीं मिल जाता. तब तक विपक्ष में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती.
केजरीवाल कैसे मोदी के खिलाफ अधिक विश्वसनीय चेहरा बन सकते हैं?
पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों में, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमों ममता बनर्जीं ने ऐतिहासिक जीत हासिल की. उन्होंने भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व अभियान को बंगाल में पूरा नहीं होने दिया. इस जीत के बाद वो राष्ट्रीय राजनीति में भी काफी सक्रिय हो गयी, और ये चर्चा आम हो गई कि आने वाले समय में वो विपक्ष का प्रमुख चेहरा बनेंगीबनेंगी. लेकिन पंजाब जीत के बाद अरविन्द केजरीवाल विपक्षी नेताओं की पंक्ति में सबसे आगे नज़र आते हैं. उनकी पार्टी ने न सिर्फ पंजाब चुनाव जीता है, बल्कि गोवा में भी अपना खाता खोला है. यानी अब दिल्ली के अलावा दो राज्यों की विधानसभा में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी होगी.
किदवई जैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है, कि बीजेपी के सामने विपक्ष के लिए अपनी जगह तलाश करना फिलहाल नामुमकिन है, जिससे बीजेपी को मजबूती मिलेगी, इस बात में कोई शक नहीं कि पंजाब जीत के बाद, अरविन्द केजरीवाल प्रमुख विपक्षी नेताओं में सबसे महत्वपूर्ण बन गए है. लेकिन ये विपक्ष को तय करना होगा कि कौन उनका नेता होगा, और विपक्षी पार्टियों की ये दुविधा भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी.
दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस का विकल्प बन सकती है आप
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कांग्रेस के प्रदर्शन में हद से ज्यादा गिरावट आई है, जिन पांच राज्यों में चुनाव हुए हैं, उन सभी में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है. राजनीति के जानकारों का मानना है, कि पंजाब के नतीजे आने के बाद, आम आदमी पार्टी के पास ये मौका है, कि वो देश के बाकी राज्यों में भी कांग्रेस के विकल्प के रूप में खुद को आगे रखें.
पंजाब के परिणाम बताते हैं, कि मतदाताओं ने कांग्रेस के विकल्प के रूप में, आम आदमी पार्टी को चुना है, सिर्फ पंजाब में ही नहीं आम आदमी पार्टी गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में जाएगी, जहां उसका मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस से होगा. कांग्रेस पार्टी के लगातार खराब प्रदर्शन और आंतरिक समस्याओं के चलते जनता अब कांग्रेस पार्टी का विकल्प तलाश करने लगी है, और पंजाब में आम आदमी पार्टी को इसका फायदा मिला है. इससे पहले दिल्ली में भी पार्टी अपने आप को साबित कर चुकी है, और आइंदा भी राज्य चुनावों में आप कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने में अहम भूमिका निभाएगी.
2014 में बीजेपी के सत्ता में काबिज होने के बाद से कांग्रेस का वोट दूसरी पार्टियों की तरफ शिफ्ट हुआ है. जैसे बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी ने कांग्रेस पार्टी का वोट पूरी तरह से छीन लिया है. इसी तरह आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की, वाईएसआरसीपी ने कांग्रेस का वोट हथिया लिया है. इसी तरह के रुझान दूसरे राज्यों में आप के साथ देखे जा सकते हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को मजबूत करेगा।
(लेखक कोलकाता में स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार और दिल्ली विधानसभा अनुसंधान केंद्र में पूर्व नीति अनुसंधान साथी हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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