सम्पादकीय

Punjab Election Result : आम आदमी पार्टी ने जीता पंजाब का विश्वास, अब उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी

Rani Sahu
10 March 2022 2:05 PM GMT
Punjab Election Result : आम आदमी पार्टी ने जीता पंजाब का विश्वास, अब उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी
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आम आदमी पार्टी ने जीता पंजाब का विश्वास, अब उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी

अरूप घोष

पंजाब में बनेगी आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के लिए यह एक बहुत बड़ी जीत है. लेकिन यह हुआ कैसे? 'आप' ने पंजाब (Punjab) के लोगों से ऐसा क्या वादा किया था? और पंजाब के शासन में आगे क्या चुनौतियां आएंगी? ये कुछ ऐसे सवाल है जिनका जवाब जानना जरूरी है. कांग्रेस ने अपनी आंतरिक कलह से अपना नुकसान कर लिया. वहीं कृषि कानूनों को लेकर शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन से किसान नाराज थे. इसी वजह से आम आदमी पार्टी इनसे आगे निकल गई.
AAP ने पहले ही कह दिया था कि वे जीतने पर एक सिख को ही मुख्यमंत्री बनाएंगे. वे NRI की मोटी फंडिंग से दूर रहे जो आगे चलकर उनके लिए दोधारी तलवार साबित हो सकते थे. इन NRI के तार कट्टरवादी खालिस्तान ग्रुप से जुड़े हो सकते हैं जो कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन से अपनी गतिविधियां जारी रखते हैं. केजरीवाल इतने स्मार्ट थे कि दूसरे मुद्दों में उलझने की जगह उन्होंने अपना पूरा फोकस चुनावी रणनीति पर रखा. इसलिए शिक्षा, स्वास्थ्य और सुसाशन पर जोर देने वाले अपने दिल्ली मॉडल को यहां लाने की बात की.
AAP को भारी विॉ
पंजाब की युवा जनता यही सुनना चाहती है. लेकिन AAP को यहां भारी वित्तीय घाटे से बुरी तरह प्रभावित प्रदेश से जूझना होगा. AAP ने 2017 में पंजाब की 117 में से 20 सीटें हासिल की थीं, वह कांग्रेस से काफी पीछे थी, जिसने तब 77 सीटें जीती थीं. पंजाब राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए कुल 59 सीटों की जरूरत है. इस बार पंजाब के मतदाता कांग्रेस के भीतर चल रही आंतरिक कलह, अमरिंदर सिंह के नई पार्टी स्थापित करने और भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही शिरोमणि अकाली दल से निराश और थक चुके थे.
चुनाव सबसे पहले जरूरतों के आधार पर लड़े जाते हैं और विचारधारा दूसरे स्थान पर आती है. AAP ने दिल्ली मॉडल की तरह ही पंजाब में अच्छी स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा देने का भरोसा देकर पंजाब के मतदाताओं को संतुष्ट किया. AAP ने अब तक केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की शहरी आबादी की जरूरतों को काफी हद तक पूरा किया है. अब पंजाब में बहुसंख्यक ग्रामीण मतदाताओं से निपटना उनके लिए एक नई चुनौती होगी.
AAP ने पंजाबी मतदाताओं को कई मुफ्त चीजें और रियायतें देने का वादा किया. लेकिन अब जब वो जीत गए हैं तो उन्हें अलग मानसिकता अपनाने की जरूरत होगी. क्योंकि वादा करना एक बात है और उसे पूरा करना दूसरी. केजरीवाल द्वारा प्रचारित उनके विकास का दिल्ली मॉडल पंजाब में भी असर दिखा गया, जो कि बेरोजगारी, ड्रग्स, महंगाई, स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढांचे की दयनीय स्थिति से जूझ रहा है.
"दिल्ली मॉडल" का पंजाबी लोगों द्वारा टेस्ट किया जाना बाकी है
AAP ने अपना चुनावी एजेंडा तय कर लिया था जबकि बाकी पार्टियां इसमें पीछे रहीं. उनके द्वारा ऑफर किए गए पैकेज ने सस्ती दरों पर विश्व स्तरीय स्कूलों और अस्पतालों का वादा किया; फलों और सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ कृषि के विविधीकरण (Diversification) पर जोर देने की बात कही. AAP ने बेअदबी और उग्रवाद के खतरे से मामलों को नजरअंदाज कर दिया गया. उनका सारा जोर विकास पर था. बेरोजगारी, अवैध बालू खनन, नशा माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया, केबल माफिया, किसानों का संकट, भ्रष्टाचार और राज्य का बढ़ता कर्ज जैसे मामले सीधे मतदाताओं से जुड़े हुए हैं. आप ने मुख्य रूप से दो मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया – शिक्षा और अवैध रेत खनन. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अवैध रेत खनन को रोककर पंजाब 20,000 करोड़ रुपये कमा सकता है.
उन्होंने दावा किया कि अवैध रेत खनन में मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस विधायकों, मंत्रियों और उनके करीबी सहयोगियों के सीधे तौर पर शामिल होने के गंभीर आरोप हैं. केजरीवाल ने कहा कि अवैध रेत खनन को रोककर मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए किया जा सकता है. उन्होंने वादा किया कि एक बार पंजाब में AAP की सरकार बनने के बाद, अवैध रेत खनन सहित सभी तरह के माफिया का सफाया हो जाएगा. AAP ने पंजाब के मतदाताओं से क्या वादा किया और उस पर मतदाताओं की क्या प्रतिक्रिया रही ये हमने जान लिया. अब, उन्हें पूरा करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में सोचने की AAP को जरूरत है.
सच यह है कि "दिल्ली मॉडल" का पंजाबी लोगों द्वारा टेस्ट किया जाना बाकी है. यहां शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों सुविधाएं चरमरा रही हैं. जो अस्पताल गांवों से कुछ दूरी पर स्थित हैं, वहां इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं मौजूद नहीं हैं. पंजाब कुल मिलाकर एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां 50,000 वर्ग किमी से अधिक के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि होती है. पंजाब के कम से कम 62 प्रतिशत मतदाता इन क्षेत्रों में रहते हैं. गंभीर कृषि मुद्दों से जुड़ा यह एक किसान प्रधान राज्य है. इन मुद्दों को सुलझाना इतना आसान नहीं जिसकी वजह से कांग्रेस और शिरोमणी अकाली दल दोनों ने उससे किनारा कर लिया. राज्य के किसान अब AAP से उम्मीद लगाए हैं.
AAP ने ग्रामीण इलाकों में चुपचाप, लेकिन प्रभावी ढंग से काम किया
सत्ता-विरोधी मुद्दे ने चुनाव में एक बड़ी भूमिका निभाई. शिक्षा, स्वास्थ्य, लोगों के लिए बेहतर मूलभूत सुविधाओं का इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अहम मुद्दों को यहां नजरअंदाज कर दिया गया था. तीसरे विकल्प की अनुपस्थिति एक बहुत ही महत्वपूर्ण वजह थी. पहले मतदाता SAD और कांग्रेस के बीच झूलते रहने के लिए मजबूर थे. उन्होंने जनता को कुछ भी नया नहीं दिया. AAP ने आकर तीसरे विकल्प की कमी को पूरा किया. राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने से नाराज AAP के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने केजरीवाल पर पलटवार करते हुए खालिस्तान का मुद्दा खड़ा कर दिया.
पंजाब पर नजर रखने वालों ने कहा कि यह बीजेपी के इशारे पर किया गया था. केजरीवाल कुछ समय के लिए परेशान हो गए. लेकिन उन्होंने अपने दिल्ली शासन के बारे में बात करके इसे बखूबी संभाल लिया. छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाएं हुईं क्योंकि COVID प्रतिबंधों के कारण बड़ी चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. AAP ने ग्रामीण इलाकों में चुपचाप, लेकिन प्रभावी ढंग से काम किया. और केजरीवाल अर्ध-शहरी (Semi-urban) क्षेत्रों में छोटे उद्योगों से भी जुड़े.
केजरीवाल इस बात पर जोर देते रहे कि वह एक बाहरी व्यक्ति हैं जो पंजाब में राज्य की बेहतरी के लिए काम करना चाहते हैं. AAP नेता भगवंत मान, जो आप की पंजाब इकाई के प्रमुख हैं, और संगरूर संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद रहे हैं, पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के दिग्गज और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा को हराकर मान तेजी से उभरे थे. मान एक जाने-माने पंजाबी कॉमेडियन और अभिनेता हैं, और अब उनके सामने उनकी पार्टी पर विश्वास करने वाले वोटरों की कसौटी पर खरा उतरना एक बड़ी चुनौती होगी.
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