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वो साल 2017 था! लू से भी भयानक मोदी लहर चल रही थी! एक के बाद एक कांग्रेस के तंबू उखड़ते जा रहे थे
अंकुर झा। वो साल 2017 था! लू से भी भयानक मोदी लहर चल रही थी! एक के बाद एक कांग्रेस के तंबू उखड़ते जा रहे थे! कांग्रेस मुक्त भारत के संकल्प को मोदी और शाह की जोड़ी सिद्ध करने में जुटी थी! पांच राज्यों में चुनाव हुआ था! तब पंजाब में कैप्टन ने अपने दम पर बीजेपी के अश्वमेध के घोड़े की लगाम थाम ली थी! कैप्टन ने केजरीवाल के ख्वाब को भी खत्म कर दिया था! कैप्टन मतलब कैप्टन अमरिंदर सिंह! वही अमरिंदर सिंह जिन्हें सरकार के पांच साल पूरा होने से ठीक पांच महीने पहले इस्तीफा देना पड़ा !
चंडीगढ़ में राज्यपाल को इस्तीफा सौंपकर जैसे ही बाहर निकले, बाहर मीडिया खड़ी थी! कैमरों के चमकते फ्लैश पर जब कैप्टन ने बोलना शुरू किया तो शब्द-शब्द में अपमान का आक्रोश था! धोखे का दर्द था! विश्वास के बिखर जाने की नाराजगी थी! भविष्य की रणनीति का जिक्र था! कैप्टन ने कहा कि "यह तीसरी बार है जब दो महीनों के भीतर विधायक दल की बैठक हो रही है! मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं! मेरे लिए भविष्य के विकल्प खुले हैं" कांग्रेस के साथ सियासत की शुरुआत करने वाले कैप्टन अकाली दल का झंडा भी उठा चुके हैं! अपनी पार्टी बनाकर देख ली! फिर कांग्रेस में लौटे तो 2-2 बार मुख्यमंत्री बने! ठसक के साथ राजनीति की! लेकिन फिर से कांग्रेस के किनारे आकर खड़े हैं! सवाल है कि अब कैप्टन विकल्प के तौर पर क्या चुनेंगे? जब 5 महीने बाद चुनाव है तब उनके पास क्या विकल्प है? क्या अमरिंदर सिंह फिर उसकी अकाली दल के आंगन में जाएंगे जिसे हराकर दो-दो बार सत्ता पर काबिज हुए या बीजेपी में जाएंगे? या फिर खुद पार्टी खड़ा करेंगे?
अपनी पार्टी बनाने का विकल्प
तल्ख तेवर के लिए विख्यात अमरिंदर सिंह के मौटे तौर पर दो विकल्प हैं! पहला ये कि वो खुद अपनी पार्टी बना सकते हैं! किसी बड़ी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकते हैं! दूसरा ये कि खुद किसी पार्टी में शामिल हो सकते हैं! हालांकि सियासी पारी के आखिरी सेशन में कैप्टन दूसरी पार्टी में शामिल नहीं होना चाहेंगे! क्योंकि 79 बरस के कैप्टन अमरिंदर सिंह पिछले 4 दशकों में पंजाब की पॉलिटक्स को मथ चुके हैं! 1992 से 1998 वाली स्थिति बदल चुकी है! 2017 का चुनाव अपने दम पर कांग्रेस को जिता चुके हैं! मोदी लहर के बावजूद 2014 में अरूण जेटली जैसे बड़े नेता को हराकर अपनी ज़मीनी ताकत साबित कर चुके हैं! ऐसे में आत्मविश्वास से भरे अमरिंदर सिंह फिर से अपनी पार्टी बना सकते हैं!
नई पार्टी का विकल्प इसलिए भी मुफीद है क्योंकि इससे सम्मान भी शेष रहेगा और अरमान को भी नया आयाम मिलेगा! अगर कैप्टन अपनी सियासी टीम अलग खड़ी करेंगे तो ये भी तय है कि वो गलती नहीं करेंगे जो उन्होंने 90 के दशक में की थी! कैप्टन इस बार मजबूत हाथ पकड़ने की कोशिश करेंगे! ताकि फिर सत्ता की सीढ़ी चढ़ने में सहूलियत हो! और ऐसे में उनके सामने बीजेपी से बेहतर दूसरा विकल्प नहीं है! क्योंकि बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है! अकाली से अलगाव के बाद बीजेपी को भी एक भरोसेमंद साथी की तलाश है! राजनीति के हरफनमौला खिलाड़ी बन चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी को विकल्प के तौर पर उसी वक्त से देखना शुरू कर दिया था, जबसे सिद्धू ने गुगली फेंकनी शुरू कर दी थी!
मोदी की तारीफ करते रहे हैं कैप्टन
इसी साल मार्च में जब पूरी कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर थे, तब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनकी तारीफों के पुल बांधे थे! कैप्टन ने उन्हें वो निश्चयी व्यक्ति कहा था! कहा था कि पीएम मोदी ने कोई भटकाव नहीं है! फिर जून में जब नरेंद्र मोदी ने 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन का ऐलान किया तब भी पार्टी लाइन से अलग जाकर कैप्टन ने पीएम को शुक्रिया किया था! फिर जुलाई में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से बातचीत करने को लेकर पीएम मोदी से अपील की, जबकि उसी वक्त तीखे तेवर के साथ राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर हमलावर थे! अगस्त में अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी के साथ मुलाकात भी की थी! और फिर सितंबर के पहले हफ्ते में मोदी के सबका साथ वाले सिद्धांत की खुलकर तारीफ की थी! और सितंबर के तीसरे हफ्ते में कैप्टन विकल्प खोज रहे हैं!
चंडीगढ़ में राजभवन के सामने जब कैप्टन विकल्प खोजने की बात कर रहे थे, उसी वक्त बीजेपी की तरफ से बयान भी है! कांग्रेस से इस्तीफे के बीजेपी को कैप्टन के अक्स में राष्ट्रभक्ति झलकने लगी! 65 का युद्ध का जिक्र होने लगा! जफर इस्लाम ने कहा कि "जिस तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाया गया और अपमानित किया गया, वह जनता देख रही है! कैप्टन अमरिंदर सिंह देश भक्त हैं! आप इतिहास उठाकर देख लीजिए जब भी देश के लिए खड़ा होने की जरूरत हुई वह राहुल गांधी के खिलाफ जाकर भी देश के साथ खड़े रहे।"
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