सम्पादकीय

सेमीकंडक्टर्स के लिए खींचतान

Triveni
27 July 2021 4:02 AM GMT
सेमीकंडक्टर्स के लिए खींचतान
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दुनिया में इस वक्त सबसे ज्यादा जिस चीज की मांग है, वह सेमीकंडक्टर है।

दुनिया में इस वक्त सबसे ज्यादा जिस चीज की मांग है, वह सेमीकंडक्टर है। इसकी कमी के कारण वैश्विक एक तरह से डगमगाई हुई है। कोरोना महामारी के कारण पहले इसका सप्लाई चेन टूटा। फिर अमेरिका और चीन के बीच बढ़े टकराव ने हालात और बिगाड़ दिए। नतीजा हुआ कि सेमीकंडक्टर की मांग और सप्लाई में बड़ा अंतर आ गया। इसका स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप और गाड़ियों सभी के उत्पादन पर असर पड़ा है। फिलहाल समस्या दूर होती नजर नहीं आती। आम अनुमान है कि सेमीकंडक्टर की सप्लाई एक से डेढ़ साल बाद ही सामान्य हो सकेगी। यानी कम से कम इस साल तो सेमीकंडक्टर की कमी बनी ही रहेगी। गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते ऐसे ज्यादातर प्रोडक्ट की बिक्री में जबरदस्त गिरावट आई, जिनमें सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल होता है। इसे देखते हुए कंपनियों ने उन्हीं प्रोडक्ट के लिए सेमीकंडक्टर के ऑर्डर दिए, जो कोरोना की पहली लहर के दौरान भी बिक रहे थे। लेकिन पहली लहर के बाद कई दूसरे प्रोडक्ट की मांग अचानक बढ़ी। इस मांग के मुताबिक सेमीकंडक्टर की सप्लाई नहीं हो सकी। फिर जापानी सेमीकंडक्टर कंपनी 'रेनेसां' में लगी आग ने इस कमी को और बढ़ाया। नतीजा है कि इस समय कंप्यूटरों के ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट जैसी मशीनों की भी भारी कमी है। अब तक दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर निर्माता कंपनियां अमेरिका, चीन और ताइवान में हैं।

दक्षिण कोरिया भी उसका एक केंद्र है। वैसे चीन में उपयोग ज्यादा है, इसलिए वह कुल मिला कर प्रोसेसर चिप और सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा आयातक भी है। पिछले साल अमेरिका ने हुआवे जैसी कई चीनी कंपनियों के लिए अमेरिकी सेमीकंडक्टर की सप्लाई को रोक दिया था। उसके बाद चीन ने इसके घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने की योजना बनाई। लेकिन योजना के पूरा होने में अभी वक्त लगेगा। सेमीकंडक्टर एक छोटा सा चिप होता है। उसको 'इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिमाग' कहा जाता है। कारों के इंफोटेनमेंट सिस्टम, पावर स्टीयरिंग, सेफ्टी फीचर्स और ब्रेक ऑपरेटर में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है। भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी तकनीकें जब सभी के लिए सुलभ होगीं, तो सेमीकंडक्टर्स की मांग कई गुना बढ़ जाएगी। अगर भारत के नीति निर्माताओं का इस तरफ ध्यान होता, तो ये एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें उसे काफी कामयाबी मिल सकती थी। लेकिन ऐसे प्रयास पहले सार्वजनिक क्षेत्र में करने होते हैं, जिसे भारत में ढाहा जा रहा है।


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