सम्पादकीय

जनसंख्या कानून के पहले जन समर्थन जरूरी

Gulabi
30 July 2021 5:13 PM GMT
जनसंख्या कानून के पहले जन समर्थन जरूरी
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जनसंख्या कानून

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू करने के फैसले ने इस विषय को राजनैतिक गलियारों में चर्चा से लेकर आम लोगों के बीच सामाजिक विमर्श का केंद्र बना दिया है। राजनैतिक दल और अन्य संगठन अपने अपने वोटबैंक और राजनैतिक नफा नुकसान को ध्यान में रखकर इसका विरोध अथवा समर्थन कर रहे हैं। लेकिन अगर राजनीति से इतर बात की जाए तो यह विषय अत्यंत गम्भीर है जिसे वोटबैंक की राजनीति ने संवेदनशील भी बना दिया है। दरअसल आज भारत जनसंख्या के हिसाब से विश्व में दूसरे स्थान पर आता है और यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2027 तक भारत विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनकर इस सूची में पहले स्थान पर आ जाएगा। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि जनसंख्या के विषय में पहले स्थान पर आने वाले भारत के पास इतने संसाधन और इतनी जगह है जिससे यह भारतमूमि अपने सपूतों को एक सम्मान एवं सुविधाजनक जीवन दे सके ? तो आइए इसे कुछ आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं।


भारत के पास विश्व की कुल भूमि क्षेत्र का मात्र 2.4 प्रतिशत है जबकि भारत की आबादी दुनिया की कुल आबादी का 16.7 प्रतिशत है। कल्पना कीजिए कि जब भारत यूएन की रिपोर्ट के अनुसार इन्हीं सीमित संसाधनों के साथ चीन को पछाड़ कर विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा तो क्या स्थिति होगी। क्या इन परिस्थितियों में कोई भी देश गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसी समस्याओं से लड़कर अपने नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने की कल्पना भी कर सकता है? लेकिन इसे भारत का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इस देश की राजनीति उस मोड़ पर पहुंच गई है जहाँ हर विषय वोटबैंक से शुरू हो कर वोटबैंक पर ही खत्म हो जाता है। खेती किसानी हो या फिर शिक्षा, स्वास्थ्य अथवा जनसंख्या जैसे मूलभूत विषय ही क्यों न हों सभी को वोटबैंक की राजनीति से होकर गुजरना पड़ता है। हमारे राजनेता अपने राजनैतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर कुछ सोच ही नहीं पाते।

जैसे हमने प्लास्टिक को कानून का रूप देकर प्रतिबंधित करने से पूर्व देश में प्लास्टिक मुक्ति को जन आंदोलन बनाया, उसी प्रकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी कानून के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियान चलाए जाएं, ताकि लोग स्वेच्छा से इसमें भागीदार बनें और विपक्ष अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके। जम्मू-कश्मीर इसका सबसे बेहतर उदाहरण है। चूँकि वहाँ के लोग जागरूक हो चुके थे इसलिए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के समय विपक्षी दलों के विरोध को जनता का समर्थन नहीं मिला। इसी प्रकार जम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद के चुनावों में भी स्थानीय लोगों ने राजनैतिक स्वार्थ से प्रेरित गुपकार गठबंधन को नकार दिया था। इसलिए जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणामों और सीमित परिवार के फायदों के प्रति अगर लोग जागरूक होंगे तो कोई दल कोई संगठन वोट बैंक की राजनीति नहीं कर पाएगा। अत: वर्तमान परिस्थितियों में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून जितना जरूरी है उतना ही जनसमर्थन भी जरूरी है जो जनजागरण से ही संभव है।

सच कहूं


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