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भूपेंद्र सिंह| लाकडाउन से बाहर आए राज्यों में सार्वजनिक स्थलों पर चहल-पहल दिखना स्वाभाविक है, लेकिन यह चिंता की बात है कि इस दौरान न तो मास्क के सही इस्तेमाल को लेकर अपेक्षित सजगता दिखी और न ही शारीरिक दूरी बनाए रखने की परवाह ढंग से की गई। जब पहले ही दिन ऐसी बेपरवाही दिखी तो यह कल्पना सहज ही की जा सकती है कि आने वाले दिनों में क्या स्थिति बनेगी? यह समझ आता है कि करीब 50 दिनों के लाकडाउन के चलते लोग ऊब गए थे, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इसकी चिंता न की जाए कि थोड़ी सी भी असावधानी संक्रमण को नए सिरे से सिर उठाने का मौका दे सकती है। नि:संदेह संक्रमण के मामलों में तेजी से कमी आई है और प्रतिदिन संक्रमण के मामले घटकर एक लाख से भी कम रह गए हैं, लेकिन ये इतने भी कम नहीं हुए हैं कि जरूरी सावधानी का परिचय देना बंद कर दिया जाए। बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के करीब 85 हजार मामले मिलना और दो हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि कोविड महामारी अभी भी जानलेवा बनी हुई है।