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- समझदारी जरूरी

हिजाब मामले में देश की सर्वोच्च अदालत का रुख प्रथम दृष्टया प्रशंसनीय और सांकेतिक है। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना के रुख से समाज में समझदारी का अनुपात बढ़ना चाहिए। अदालत का इशारा है कि मामले को ज्यादा सनसनीखेज न बनाया जाए। इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लाने वाले अधिवक्ता ने परीक्षाओं का हवाला देते हुए जल्दी सुनवाई की मांग की थी, पर अदालत को जल्दी नहीं है। अदालत ने कहा है कि परीक्षाओं का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है। परीक्षा देने संबंधी जो प्रावधान हैं, उनमें हिजाब जैसी कोई बात नहीं है। कर्नाटक में कई लड़कियों ने हिजाब पहनने की जिद के कारण परीक्षा में बैठने से इनकार कर दिया था। कर्नाटक सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि दोबारा परीक्षा नहीं ली जाएगी, जबकि कुछ लड़कियों की मांग है कि परीक्षा फिर से ली जाए, वरना साल बर्बाद हो जाएगा। यहां प्रश्न प्राथमिकता का है, हिजाब या परीक्षा? ऐसे कारणों से अगर परीक्षा दोबारा होने लगे, तो एक नई परिपाटी शुरू हो जाएगी, जिसे गलत मानने वाले भी अच्छी-खासी संख्या में होंगे। फिर भी उन लड़कियों के बारे में शिक्षा के कर्णधारों को स्थानीय स्तर पर कोई फैसला लेना चाहिए, ताकि उनका साल बर्बाद न हो।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान
