सम्पादकीय

गर्व करने वाली उपलब्धि, मगर बढ़ानी होगी टीकाकरण की रफ्तार

Rani Sahu
18 July 2022 3:03 PM GMT
गर्व करने वाली उपलब्धि, मगर बढ़ानी होगी टीकाकरण की रफ्तार
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केवल डेढ़ वर्ष में कोरोना रोधी टीके की दो सौ करोड़ डोज लगना एक ऐसी उपलब्धि है


सोर्स- Jagran
केवल डेढ़ वर्ष में कोरोना रोधी टीके की दो सौ करोड़ डोज लगना एक ऐसी उपलब्धि है जिस पर गर्व भी किया जाना चाहिए और एक ऐसा वातावरण भी तैयार किया जाना चाहिए जिससे टीकाकरण की गति और तेजी पकड़े। इसकी आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि डेढ़ सौ करोड़ से लेकर दो सौ करोड़ तक टीके लगने में अपेक्षा से कहीं अधिक समय लगा। टीकाकरण अभियान को गति देने की आवश्यकता इसलिए भी है, क्योंकि बूस्टर डोज के रूप में टीके की तीसरी डोज उस गति से नहीं लग रही है जैसी अपेक्षित है। संभवत: इसी को ध्यान में रखते हुए 75 दिनों तक टीके की तीसरी डोज मुफ्त लगाने का अभियान छेड़ा गया है। वास्तव में इसी अभियान के कारण दो सौ करोड़ टीके की डोज लगने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सका।
सभी को इस अभियान का लाभ उठाने में तत्परता का परिचय देना चाहिए, क्योंकि कोरोना संक्रमण की गति धीमी अवश्य पड़ी है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि उस पर पूरी तरह लगाम लग गई है और उसे लेकर सतर्कता का परिचय देने की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अभी भी संक्रमण के लगभग बीस हजार मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं। इसके अलावा कुछ लोग अपनी जान गंवा भी रहे हैं।
यह सही है कि कोविड महामारी का भय समाप्त हो गया है और उसके संक्रमण के गंभीर रूप लेने की आशंका खत्म हो गई है, लेकिन इसका अंदेशा बना हुआ है कि देश के कुछ हिस्सों में संक्रमण नए सिरे से सिर उठा सकता है। कोविड महामारी पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के लिए यह अनिवार्य है कि लोग न केवल टीके की तीसरी डोज लगवाने के प्रति उत्साहित हों, बल्कि उन लोगों को इसके लिए प्रेरित भी करें जिन्होंने अभी तक टीके की पहली डोज नहीं ली है अथवा दूसरी डोज समय पर नहीं लगवाई है।
इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि अभी करीब दस प्रतिशत आबादी का पूर्ण टीकाकरण नहीं हुआ है। इसी तरह यह भी एक तथ्य है कि अब तक करीब साढ़े पांच करोड़ लोगों ने ही टीके की तीसरी डोज ली है। इसी तरह बच्चों और किशोरों के बीच टीकाकरण की गति अपेक्षा से कम है। भारत का टीकाकरण अभियान केवल देश की बढ़ती क्षमता का परिचायक ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का पर्याय भी है। इस सफल अभियान ने देश-विदेश के उन लोगों और स्वास्थ्य क्षेत्र के तथाकथित विशेषज्ञों को गलत साबित किया है जो यह रेखांकित करने में लगे हुए थे कि भारत को अपनी आबादी का टीकाकरण करने में वर्षों लग जाएंगे।


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