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- रक्षक ही भक्षक
Written by जनसत्ता: कहते हैं कि जहां कानून का राज होता है, वहां अपराध स्वत: समाप्त हो जाता है। मगर यूपी के ललितपुर में हुई घटना ने पूरे पुलिस प्रशासन को शर्मसार कर दिया है। ललितपुर में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित नाबालिक जब न्याय की गुहार लगाने पहुंची तो उसे पुलिस ने ही अपनी हवस का शिकार बना लिया। ललितपुर थाने के इंस्पेक्टर सहित छह पुलिसकर्मियों ने मिल कर सामूहिक दुष्कर्म किया।
सभी की जुबान पर एक ही प्रश्न है कि अपनी रक्षा के लिए अब जनता कहां जाएगी। यह सत्य है कि देश में पुलिस प्रशासन के कारण ही सामान्यजन सुरक्षित महसूस करता है, वहीं यह भी सत्य है कि पुलिस प्रशासन के ढीले रवैए के कारण अपराध में कमी नहीं आ रही। अगर पुलिस प्रशासन अपना काम पूरी ईमानदारी और तत्परता से करे, तो निश्चित ही आपराधिक घटनाएं खत्म हो जाएंगी। ललितपुर थाने की घटना से समाज की नजरों में पुलिस की छवि धूमिल हुई है। सरकार को इस घटना के आरोपियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई करके संदेश देना चाहिए कि यूपी में कानून हर अपराधी के लिए बराबर है।
पिछले एक हफ्ते से राहुल गांधी का एक विडियो चर्चा में बना हुआ है। देश के युवा शिक्षित हैं, अपने काम के समय काम और उसके बाद की जिंदगी अपने तरीके से बिताने की इच्छा रखते हैं। जो युवा विदेशों में पढ़ाई या काम कर देश लौटे हैं, उनमें यह प्रवृत्ति अधिक नजर आती है। मगर भारतीय समाज इतना परिपक्व नहीं हुआ है। अधिकतर लोग अपनी रूढ़िवादी सोच के अनुसार युवाओं की गतिविधियों को देखते हैं।
विशिष्ट व्यक्तियों के प्रति मीडिया और जनता विशेष रुचि रखते हैं। विशिष्ट व्यक्तियों के हजारों शुभेच्छु होते हैं। उनका आचरण का निश्चित ही समाज पर असर पड़ता है। उन्हें खुद तो अपने आचरण का ध्यान रखना ही चाहिए, लोगों को भी संकीर्ण नजरिए से उन्हें देखने से बचना चाहिए। दल सिंह खरत, गाजीपुर, दिल्ली
उचित परिवेश और अच्छी शिक्षा के कारण बच्चा जहां कहीं भी पैर रखता है, उसका प्रभाव झलकने लगता है। मगर बड़े अफसोस की बात है कि हमारे देश के लगभग तीस फीसद बच्चे, जो असहाय और गरीब हैं, उनको उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
कुछ लोगों की वजह से अब भी उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। कुछ बच्चे अपनी भूख शांत करने के लिए कई बार गलत काम करते हैं, जिसका जिम्मेदार परोक्ष रूप से कोई और ही होता है। जब एक बच्चा पढ़ता है, तो पूरा युग एक कदम आगे बढ़ता है। इस तथ्य को माता-पिता और व्यवस्था दोनों को ध्यान में रखने की जरूरत है।