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- पेड़-पौधों की रक्षा:...

भाई-बहन रक्षाबंधन के मौके पर एक दूसरे को राखी पहनाते हैं। राखी का धागा एक अटूट रिश्ता बनाता है। यदि बहन पर कोई कष्ट आ गया, तो भाई दौड़े-दौड़े मदद करने पहुंच जाता है। इसमें यह जरूरी नहीं कि किसी का अपना भाई या बहन ही हो। यदि जीवनपर्यंत किसी का भाई-बहन का संबंध बन जाता है, तो भी वे राखी के धागे की डोर में बंधकर एक दूसरे के दुख-सुख में खड़े रहते हैं। भारत का ऐतिहासिक पर्व रक्षाबंधन केवल हाथों में राखी बांधकर समाप्त नहीं होता है, बल्कि हिमालय क्षेत्र में तो कई वर्षों से वनों से चारा-पत्ती व ईंधन के रूप में लकड़ी लेने वाली महिलाएं भी पेड़ों पर रक्षासूत्र बांध रही हैं। वे पेड़-पौधों की रक्षा के लिए सैनिकों के रूप में खड़ी रहती हैं, क्योंकि पहाड़ के गांव में खेती और पशुपालन में वनों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसी के चलते पेड़ों से महिलाओं का एक तरह से जन्म-जन्मांतर का रिश्ता बना हुआ है।