सम्पादकीय

उचित कदम

Subhi
5 Aug 2022 5:30 AM GMT
उचित कदम
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आज के सूचना क्रांति के दौर में तकनीक के सहारे विरोधी देश दूसरे देशों के नागरिकों के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है, और उसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के विरोधी कार्यों में चीन सबसे आगे है। चीन अपने मोबाइल ऐप के जरिए दूसरे देशों का डाटा संग्रह करता है। भारत सरकार ने दूसरे देशों को डाटा भेजने वाले तीन सौ अड़तालीस चीन और अन्य देशों के मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाया है। यह अनिवार्य कदम है। भारत सरकार को स्वदेशी मोबाइल ऐप विकसित करने चाहिए।

Written by जनसत्ता: आज के सूचना क्रांति के दौर में तकनीक के सहारे विरोधी देश दूसरे देशों के नागरिकों के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है, और उसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के विरोधी कार्यों में चीन सबसे आगे है। चीन अपने मोबाइल ऐप के जरिए दूसरे देशों का डाटा संग्रह करता है। भारत सरकार ने दूसरे देशों को डाटा भेजने वाले तीन सौ अड़तालीस चीन और अन्य देशों के मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाया है। यह अनिवार्य कदम है। भारत सरकार को स्वदेशी मोबाइल ऐप विकसित करने चाहिए।

अल कायदा प्रमुख अल जवाहिरी को काबुल में अमेरिका ने ड्रोन हमले से मार गिराया। उसको मारने की पुष्टि अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वयं की। अल जवाहिरी 9/11 का मास्टरमाइंड था। ओसामा बिन लादेन के मरने के बाद अल कायदा का सरगना था। वह अफगानिस्तान, पाकिस्तान सहित अन्य देशों में अपना संगठन फैला रहा था। उसने मई में सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी कर कहा था कि भारत के कश्मीर से हिंदू को भगाना है। 2014 में भारत की तुलना फिलस्तीन से किया था। उसके मारे जाने से दुनिया ने राहत की सांस ली है।

केंद्र हो या राज्य सरकारें या निकाय या जनपद, सभी को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार व्यवस्था करने का अधिकार संविधान में दिया गया है। बहुत जरूरी हुआ तो टैक्स या कर्ज के जरिए अपनी आर्थिक पूर्ति करने की व्यवस्था भी है। लेकिन संविधान में किसी भी राजनीतिक दल को मंच से या घोषणापत्रों के जरिए मुफ्त की रेवड़ी बांट कर मतदाताओं को लुभाने का अधिकार नहीं है।

यह तो एक प्रकार से गलत परंपरा ही है, जो पिछले कई वर्षों से चली आ रही है। क्योंकि किसे मालूम कि कितनी आमदनी सरकारी खजाने में आएगी और कितनी विभिन्न कार्यों के लिए वितरित होगी। व्यर्थ की चुनावी घोषणा और बेवजह की सरकार द्वारा मुफ्त की रेवड़ियां बांटना अर्थव्यवस्था को बट्टा लगाना ही है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग, सरकार, नीति और वित्त आयोग, केंद्रीय बैंक, विपक्ष और अन्य सभी हितधारक संस्थाएं मिलकर मुफ्त रेवड़ियों के लाभ-हानि पर सुझाव दें, क्योंकि इसका अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ता है।

क्या मुफ्त होना चाहिए और क्या नहीं, इस पर राजनीति से परे संवैधानिक विचार होगा और वह संसद में बहस का मुद्दा होकर एक अध्यादेश का रूप भी ले सकता है, जिसके दिशा-निर्देशों के अनुसार सरकारें और अन्य सरकारी संस्थाएं जनकल्याण के कार्य कर सकेंगी, साथ ही स्वार्थपरक/ मुफ्तखोरी राजनीतिक घोषणाओं पर लगाम लग सकेगी।


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