सम्पादकीय

मुनाफा: फिनटेक से हो रहा है बैंकों को लाभ

Neha Dani
1 Nov 2021 3:25 AM GMT
मुनाफा: फिनटेक से हो रहा है बैंकों को लाभ
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जिसकी मदद से किसी नई प्रौद्योगिकी को अमल में लाने से पहले नियामक की देखरेख में उसके इस्तेमाल के तरीके को सीखा जा सकता है।

फिनटेक कंपनियों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। यह वित्तीय प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त रूप है। इसके तहत पारंपरिक वित्तीय सेवाओं को सरल व सुलभ बनाया जा रहा है। इसकी मदद से वित्तीय समावेशन की संकल्पना को भी साकार किया जा रहा है। इसी वजह से पारंपरिक सरकारी बैंक फिनटेक कंपनियों से करारनामा करके नवाचार को अपना रहे हैं। बदले परिवेश के कारण चीन को पछाड़कर भारत फिनटेक सेवाओं के मामले में एशिया का सबसे बड़ा और विश्व में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है।

फिनटेक का इस्तेमाल आज अर्थव्यवस्था के अहम क्षेत्रों जैसे, आयात-निर्यात, रोजगार सृजन, बीमा, ऋण वितरण, भुगतान, जमा आदि क्षेत्रों में किया जा रहा है। ये कंपनियां वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता भी ला रही हैं। इससे क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन का कार्य भी हो रहा है। इसके अंतर्गत ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से लेनदेन के रिकॉर्ड को भी सुरक्षित रखा जा रहा है। शिक्षा, खुदरा बैंकिंग, पूंजी जुटाने, निवेश प्रबंधन आदि क्षेत्रों में भी फिनटेक के प्रयोग में तेजी आ रही है।
आधार कार्ड और जनधन खातों की मदद से फिनटेक के विकास को बल मिला है। अगस्त, 2021 तक देश में 43 करोड़ से अधिक जनधन खाते खुल चुके थे। देश में 1.2 अरब से अधिक स्मार्टफोन उपभोक्ता हैं। फिनटेक की वजह से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के प्रयोग में भी निरंतर इजाफा हो रहा है। अब एटीएम का चलन कम हो गया है और इसकी जगह लोग यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के अस्तित्व को कायम रखने के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम की एक रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र में आवश्यकता और उपलब्ध पूंजी का अंतर लगभग 397.5 अरब डॉलर है। ऐसे में एमएसएमई क्षेत्र की जरूरतों को फिनटेक के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, क्योंकि तकनीक की मदद से फिनटेक आसानी से पूंजी की कमी को दूर कर सकता है। बैंक फिनटेक के महत्व को समझ चुके हैं। फिनटेक कंपनियों की मदद से बैंकों का ग्राहक आकार निरंतर व्यापक हो रहा है, बैंकिंग परिचालन के व्यय में भी कमी आ रही है।
हाल ही में आरबीएल बैंक ने 90 से अधिक फिनटेक स्टार्टअप्स के साथ करारनामा किया है। आरबीएल बैंक के पास 28 लाख ग्राहक हैं और इनमें से 30 प्रतिशत ग्राहक सिर्फ फिनटेक कंपनियों की मदद से बैंक को मिले हैं। यस बैंक ने भी फिनटेक कंपनियों के साथ करारनामा किया है। यस बैंक को फिनटेक की मदद से लगभग 25 प्रतिशत ग्राहक मिले हैं।
हालांकि देश में जिस तरह से हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की स्वीकार्यता बढ़ रही है, उसी तरह से साइबर चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। वित्तीय प्रक्रियाओं के संचालन में डेटा चोरी का खतरा हमेशा बना रहता है। डेबिट व क्रेडिट कार्ड कंपनियों और बैंकों को साइबर हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है। वित्तीय डेटा का दुरुपयोग न हो, इसकी व्यवस्था करना बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
एक तरफ फिनटेक कंपनियों से बैंकिंग क्षेत्र को लाभ हो रहा है, तो दूसरी तरफ उसे इनसे नुकसान भी हो रहा है। ग्राहकों को डिजिटल उत्पादों के इस्तेमाल करने के क्रम में बहुत ही ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। बाजार में कई फिनटेक कंपनियां एप के जरिये ऋण की सुविधा दे रही हैं, लेकिन इस तरह के ऋण लेने से पहले ग्राहकों को सबसे पहले फिनटेक कंपनी के साख की जांच करने की जरूरत है, मसलन, क्या फिनटेक कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत है या नहीं, फिनटेक कंपनियों की रेटिंग देखने की भी जरूरत है, ताकि गलत कंपनी से ऋण लेकर ग्राहक ठगी का शिकार न हों।
भारतीय रिजर्व बैंक, फिनटेक कंपनियों से जुड़े जोखिमों से अनजान नहीं है। फिनटेक कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक, 'विनियामक सैंडबॉक्स' को सामने लेकर आने वाला है। यह एक ऐसा उपाय है, जिसकी मदद से किसी नई प्रौद्योगिकी को अमल में लाने से पहले नियामक की देखरेख में उसके इस्तेमाल के तरीके को सीखा जा सकता है।

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