सम्पादकीय

तरक्की का सिलसिला

Subhi
11 Jun 2022 3:05 AM GMT
तरक्की का सिलसिला
x
जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले कुछ सालों में जिस तेजी से तरक्की की है, भारत के लिए वह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। आठ साल के भीतर यह क्षेत्र आठ गुना बढ़ गया। यह इस बात का संकेत है

Written by जनसत्ता: जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले कुछ सालों में जिस तेजी से तरक्की की है, भारत के लिए वह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। आठ साल के भीतर यह क्षेत्र आठ गुना बढ़ गया। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले वक्त में देश की अर्थव्यवस्था में जैव प्रौद्योगिकी और इससे सृजित होने वाली जैव अर्थव्यवस्था की भूमिका बढ़ती जाएगी। इसीलिए प्रधानमंत्री ने गुरुवार को दिल्ली में बायोटेक र्स्टाटअप एक्सपो के उद्घाटन के मौके पर इसे विकास का बड़ा जरिया बताया।

गौरतलब है कि आठ साल पहले देश की अर्थव्यवस्था में जैव अर्थव्यवस्था की भागीदारी सिर्फ दस अरब डालर की थी, जो अब अस्सी अरब डालर से भी ऊपर निकल चुकी है। भारत के लिए यह सुखद संकेत इसलिए भी है कि अब हम दुनिया के उन देशों में शुमार हो सकेंगे जो जैव प्रौद्योगिकी में पहले से परचम लहरा रहे हैं।

हालांकि भारत को इस दिशा में अभी काफी काम करना है, पर जैव अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार से यह तो सुनिश्चित हुआ ही है कि हमारे यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हम इस क्षेत्र में आगे निकलने के लिए वे सारी योग्यताएं रखते हैं और उन मानदंडों पर खरे उतरते हैं जो वैश्विक कारोबार के लिए जरूरी हैं।

देखा जाए तो जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र भारत के लिए ज्यादा पुराना नहीं है। लेकिन कुछ ही सालों में इस क्षेत्र का जिस तेजी से विस्तार हुआ है, वह इसके भविष्य की संभावनाओं को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है। आज तमाम दवा कंपनियां, चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनियां, टीका निर्माता कंपनियां आदि सब जैव प्रौद्योगिकी के विकास की बदौलत ही कामयाबी के शिखर पर हैं।


Next Story