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- समस्या कहना है, या...
उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने पिछले हफ्ते सदन में सदस्यों से कहा कि वे ऐसा कुछ ना कहें, जिससे भारत की छवि को नुकसान पहुंचता हो और जिसका इस्तेमाल देश के दुश्मन कर सकते हों। सदन के नए सदस्यों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने जोर दिया कि चर्चा, तर्क-वितर्क और निर्णय लेना लोकतंत्र के मंत्र हैं। मगर सदस्यों को सदन में व्यवधान का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। सदस्यों नियमों का हवाला देकर सदन में व्यवधान पैदा नहीं करना चाहिए। फिर उन्होंने कहा- 'हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। हम एक दूसरे का विरोध करते हैं, परंतु जब देश की बात आती है तो उस समय हमें ऐसा कुछ नहीं करना या कहना चाहिए, जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचे तथा देश के शत्रु उसका इस्तेमाल करें और कहें कि ऐसा भारत की संसद में कहा गया है।' मगर क्या सरकार को कोई ऐसा कदम उठाना चाहिए, जिससे ऐसी बातें कहने की नौबत आती है? या फिर पीठासीन अधिकारियों को ऐसा व्यवहार करना चाहिए, जिससे कड़वाहट पैदा होती है?