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
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दबंग दिल्ली सीजन आठ की चैंपियन बन गई है
बेंगलुरु. दबंग दिल्ली (Dabang Delhi) सीजन आठ की चैंपियन बन गई है. पहली बार उसने खिताब जीता और प्रो कबड्डी लीग (Pro Kabaddi League) चैंपियन बनने वाली छठी टीम बनी. कल रात खेले गए फाइनल में उसने तीन बार की चैंपियन पटना पायरेट्स (Patna Pirates) को सिर्फ एक पॉइंट के फासले से शिकस्त दी. ऐसा पहली बार हुआ जब लीग में सबसे मजबूत दिखाई देने वाली पायरेट्स की टीम फाइनल में पहुंचने के बावजूद खिताब से वंचित रह गई. इससे पहले पायरेट्स ने जब भी फाइनल खेले खिताब उनके ही नाम रहा. दिल्ली पहले पांच सीजन मे एक बार भी प्लेऑफ मे नहीं पहुंच सकी थी, लेकिन उसके बाद लगातार तीन बार प्लेऑफ मे पहुंचकर 7वें और 8वें सीजन मे फाइनल में जगह बनाई. पिछली बार उसे बंगाल वारियर्स के हाथों शिकस्त खानी पड़ी, लेकिन इस बार उसने बेहद कड़े मुकाबले में पायरेट्स को हराकर खिताब अपने नाम किया.
फाइनल की शुरुआत थोड़ी अलग थी, और अब तक पटना का डिफेंस जो सीजन मे टॉप पर था, ज्यादा ही एहतियात बरतता दिखाई दिया। वजह शायद यह रही हो कि इससे पहले सेमीफाइनल में यूपी योद्धा के खिलाफ पटना के डिफेंस ने कई खतरनाक एडवांस टैकल किए. हालांकि इस आक्रामक डिफेंस का उसे लाभ ही मिला, क्योंकि यूपी के रेडर्स शुरुआत से ही दबाव मे आ गए. लेकिन सच यह भी है कि इस कदर की आक्रामकता कई बार उलटी पड़ जाती है, और शायद यही सोचकर कोच राममेहर सिंह ने सतर्कता बरतने की नियत से डिफेंस पर नकेल कस दी.
परिणाम यह हुआ कि पायरेट्स की ताकत तो डिफेंस थी, लेकिन उसका वह इस्तेमाल नहीं कर पाए. फाइनल से पहले तक पटना के डिफेंडर्स ने 19 हाई फाइव लगाए, जबकि दिल्ली के डिफेंडर्स सिर्फ तीन हाई फाइव ही लगा सके. यही नहीं पटना के डिफेंस मे मौजूद हर खिलाड़ी ने यहां तक कि विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होने वाले शुभम शिंदे ने भी हाई फाइव लगाया था. दोनों के डिफेंस मे कितना बड़ा फासला था, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है.
आम तौर पर पटना का प्रति मैच टैकल पॉइंट का औसत साढ़े 12 था, लेकिन फाइनल में उसकी डिफेंस महज 4 टैकल पॉइंट ही ला सकी. परिणाम यह हुआ की दिल्ली के रेडर्स को जमने का मौका मिल गया. नवीन और विजय मालिक ने सुपर टेन लगा दिए, और उन्हे रोकने वाला कोई न था. नवीन तो एक बेहद सधे हुए खिलाड़ी हैं, उनसे सुपर टेन की उम्मीद भी थी, वैसे भी प्लेऑफ में नवीन ने अब तक 6 मुकाबले खेले हैं और सभी मे सुपर टेन लगाए हैं. लेकिन विजय का इस बेहद हाई प्रेशर मुकाबले में 13 रेड पॉइंट्स लेना मुकाबले को दिल्ली के हक मे झुका दिया. विजय ने कुल 5 और नवीन ने 2 बोनस लिए. पायरेट्स ने फेल्ड टैकल मे मल्टीपॉइंट नुकसान से बचने के लिए बोनस लाइन को थोड़ा खुला भी छोड़ दिया था. दिल्ली की मजबूती हमेशा से ही उसकी रेडिंग रही है, इसलिए वह चले और पटना की मजबूती उसका डिफेंस रहा है, पर वह नहीं चला.
इतना ही नहीं, पायरेट्स ने इस बड़े मुकाबले में दबाव मे एक ऐसी गलती कर दी, जिसका बड़ा खमियाजा उसे चुकाना पड़ा। प्रो कबड्डी मे कोच को 5 बार जरूरत के मुताबिक अपने खिलाड़ियों को सबस्टीट्यूट करने का मौका मिलता है. करीब 7 मिनट पहले सुपर टैकल की स्थिति मे पायरेट्स ने अपने प्रमुख रेडर्स की जगह डिफेन्डर्स अंदर भेजे. उससे स्थिति तो संभल गई, लेकिन तब तक सबस्टीट्यूट करने के पांचों अवसर खत्म हो चुके थे, मतलब जो मैट पर थे, बाकी समय उन्ही के साथ निकालना था. उनके मेन रेडर्स बाहर बैठे रहे, और पायरेट्स अंदर लड़ाई लड़ते रहे, आखिर सिर्फ एक पॉइंट से मुकाबला हारना पड़ा.
अगर ऐसा नहीं होता, तो शायद तस्वीर कुछ और भी हो सकती थी. दबंग दिल्ली के लिए नवीन और विजय के अलावा डिफेंस मे मंजीत छिल्लर और संदीप नरवाल सिर्फ 2-2 पॉइंट ही ला सके. डिफेंस की हालत यह कि सिर्फ 2 पॉइंट्स के साथ मंजीत छिल्लर बेस्ट डिफेन्डर चुन लिए गए. पटना के लिए सचिन और गुमान सिंह दोनों ही सिर्फ 1 पॉइंट से सुपर टेन चूक गए. डिफेंस मे शादुलू का जलवा नहीं चला. नीरज, सजिन को 1-1 पॉइंट मिला, जबकि शादुलू सिर्फ 2 पॉइंट ही जोड़ सके.
सेमीफाइनल में पटना ने यूपी को बड़े अंतर से हराया था
इससे पहले सेमीफाइनल मे पटना ने यूपी योद्धा को 38-27 के बड़े अंतर से हराकर फाइनल मे जगह बनाई थी. पटना के किसी भी रेडर ने उस मैच में भी सुपर टेन नहीं लगाया, लेकिन पटना अपनी मजबूती पर खेला और सुनील तथा शादूलू दोनों ने ही हाई फाइव लगाए. दूसरे सेमीफाइनल मे दबंग दिल्ली ने बेंगलुरू बुल्स को 40-35 से पराजित किया. नवीन ने उस मैच में 14 रेड पॉइंट्स लिए. पवन सेहरावत ने हालाकी 18 रेड पॉइंट हासिल किए, लेकिन उन्हें और किसी का सपोर्ट नहीं मिल सका. यही नहीं डिफेंस में अनावश्यक प्रयासों की वजह से पवन से नुकसान भी हुआ.
इन चीजों के लिए याद रखा जाएगा सीजन 8
सीजन आठ को जिन बातों के लिए याद रखा जाएगा, उनमें यह भी कि जिनसे उम्मीदें थीं, उनमें से ज्यादातर ने निराश किया, लेकिन परिदृश्य में कुछ नए सितारे उभर कर भी आए. दबंग दिल्ली के लिए अजय ठाकुर और कुछ हद तक जीवा कुमार ने निराश किया. पुणेरी पलटन के लिए राहुल चौधरी का समुचित इस्तेमाल ही नहीं हुआ, वैसे भी वह फॉर्म मे नहीं थे. सिद्धार्थ देसाई और रोहित कुमार तेलुगू टाइंटस के लिए नाम मात्र चले. परदीप नरवाल का फॉर्म भी नरम गरम रहा.
पवन सेहरावत लगातार दूसरे सीजन 300 के आंकड़े तक पहुंचे
फजल अत्राचली बाद के मैचों मे थोड़ा ठीक ठाक खेले, लेकिन नाम के साथ न्याय नहीं कर पाए. जाहिर है इनमें से कुछ पर अगले सीजन गाज गिरना लगभग तय है. हालाकि पवन सेहरावत लगातार दूसरे सीजन 300 के आंकड़े को पार कर गए, तीसरे सीजन भी वह लीग के टॉप स्कॉरर रहे. नवीन चोट की वजह से 7 मैच नहीं खेल सके, लेकिन उनका औसत साढ़े 12 के आस पास रहा. मनिंदर सिंह अकेले ही डिफेंडिंग चैंपियन बंगाल वारियर्स के झंडाबरदार बने रहे. टीम भले ही अच्छा नहीं कर पाई हो, लेकिन मनिंदर ने अपना रोल बखूबी निभाया, 262 रेड पॉइंट के साथ वह तीसरे नंबर पर रहे.
जयपुर के अर्जुन देसवाल ने चौंकाने वाला प्रदर्शन किया और लीग मे दूसरे नंबर पर रहे. यूपी योद्धा के सुरिंदर गिल तो अपनी टीम के परदीप नरवाल से भी आगे निकल गए. यू मुंबा के अभिषेक सिंह और वी अजीथ कुमार और पायरेट्स के सचिन तंवर ने अपने नाम से बढ़कर काम किया. डिफेंस मे तमिल तलाईवाज़ के सागर, बुल्स के सौरभ नांदल और सुमित ने प्रभावित किया.
ईरान के शादुलू ने किया धमाल
अपना पहला सीजन खेल रहे ईरान के मोहम्मद रेज़ा शादुलू तो कमाल ही कर गए. उन्होंने कुल मिलाकर दस हाई फाइव लगाए, जो प्रो कबड्डी का नया रिकॉर्ड है. इससे पहले सुरजीत सिंह और सुरिंदर नाड़ा के नाम एक ही सीजन मे सबसे अधिक 9-9 हाई फाइव लगाने का रिकॉर्ड था, जो उन्होंने सीजन पांच में बनाया था. इतना ही नहीं शादुलू 89 टैकल पॉइट लेकर डिफेंडर्स की फेहरिस्त मे टॉप पर रहे. इसी तरह हरियाणा के लिए पहला सीजन खेल रहे जयदीप ने भी अपनी छाप छोड़ी और 66 पॉइंट्स के साथ चौथे नंबर पर रहे.
मोहित चुने गए बेस्ट डेब्यूटेंट
रेडर्स में अपना पहला सीजन खेल रहे मोहित गोयत को बेस्ट डेब्यूटेंट के खिताब से नवाजा गया, उन्हीं की टीम के असलम ईनामदार ने भी अपने पहले ही सीजन मे शीर्ष 10 में जगह बनाई. बहरहाल, इस लीग को कोरोना काल मे खासतौर पर तीसरी लहर के बीच सुचारु तरीके से सम्पन्न करा लेना कोई आसान काम नहीं था. इस दिशा में लीग कमिश्नर अनुपम गोस्वामी और उनकी टीम की सराहना करनी होगी. इस वजह से कुछ मुकाबले रिशेड्यूल भी करने पड़े, लेकिन अंत तक निर्धारित समय के भीतर बिना किसी व्यवधान के लीग का 8वांसीजन अंजाम तक पहुंच ही गया.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
संजय बैनर्जी ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर
ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर. 40 साल से इंटरनेशनल मैचों की कॉमेंट्री कर रहे हैं.
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