सम्पादकीय

कांग्रेस के लिए नया नहीं है प्रियंका गांधी वाड्रा का सॉफ्ट हिंदुत्व, नेहरू- इंदिरा और राजीव ने भी खूब भुनाया

Gulabi
12 Feb 2021 8:02 AM GMT
कांग्रेस के लिए नया नहीं है प्रियंका गांधी वाड्रा का सॉफ्ट हिंदुत्व, नेहरू- इंदिरा और राजीव ने भी खूब भुनाया
x
कांग्रेस के ऊपर ऐसे आरोप इसके पहले भी लगते रहे हैं

सहारनपुर में कांग्रेस की रैली में पहुंचने से पहले प्रिंयंका गांधी वाड्रा (Priyanka gandhi vadra) का पहले शाकंभरी देवी मंदिर में पूजा अर्चना, फिर हाथ में रुद्राक्ष लपेटे तस्वीरों का सामने आना. उत्तर प्रदेश दौरे पर दूसरे दिन प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगातीं और शंकराचार्य से आशीर्वाद लेती प्रियंका की तस्वीरें वायरल हो गईं. क्या सब कुछ अनायास है या प्रियंका को कांग्रेस पार्टी हिंदुत्व का झंडाबरदार बनाने की नई प्लानिंग कर रही है? इस सवाल का जवाब इतना आसान नहीं है जितना हम समझ रहे हैं. क्योंकि कांग्रेस के ऊपर ऐसे आरोप इसके पहले भी लगते रहे हैं.


राहुल गांधी भी एक बार देश भर में मंदिरों की यात्रा कर रहे थे तो यही कहा गया कि कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर आ गई. हालांकि कांग्रेस को राहुल की इन धार्मिक यात्राओं का कितना फायदा मिला यह आज भी बहस का विषय है. पर अगर प्रियंका भी एक बार उसी रास्ते की राही बन रही हैं तो निश्चित है कि कांग्रेस पार्टी में यह सब अनायास ही नहीं हो रहा है. वैसे भी आजादी के पहले और बाद में एक कांग्रेस की छवि हिंदू पार्टी की रही है. उसने अपने इस छवि का भरपूर फायदा भी उठाया है.


नेहरू का हिंदुत्व

देश की आजादी के पहले से ही कांग्रेस पर हिंदुओं की पार्टी होने का ठप्पा लग चुका था. अंग्रेजी हुकूमत के सामने मुस्लिम लीग और कांग्रेस एक तरह से मुसलमानों और हिंदुओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. अंग्रेजों ने इस अपने फायदे के लिए भरपूर इस्तेमाल भी किया. हालांकि एक बात और थी कि जवाहरलाल नेहरू वैचारिक तौर पर वामपंथी बताए जाते थे. वे कितना धर्म को मानते थे ये कहना मुश्किल है. उन्होंने अपनी आस्था को ज्यादा सार्वजनिक नहीं किया. सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन में देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के शामिल होने की बात हो या बनारस की यात्रा दोनों मौकों पर नेहरु ने नाराजगी जगजाहिर थी. ठीक इसके उलट उन पर हैदराबाद को निजाम से मुक्त कराने में करीब 40 हजार मुसलमानों के कत्ल करवाने का आरोप लगाए गए. भारत सरकार ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई पर उसकी रिपोर्ट कभी प्रकाशित नहीं हो सकी. हालांकि इस कमेटी के एक सदस्य ने एक किताब लिखकर रिपोर्ट की बहुत सी बातों का खुलासा किया था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार उस रिपोर्ट में बताया गया था कैसे हैदराबाद में मुसलमानों को लाइन में खड़ाकर गोली मारी गई थी. ये भारत सरकार का एक पुलिस एक्शन था. इसलिए दुनिया के दूसरे देश भी शोर भी नहीं मचा सका. पुरुषोत्तम दास टंडन जैसे कट्टर हिंदूवादी नेता को भारत रत्न से सम्मानित करने पर भी उन पर हिंदुओं को उनको एक हिंदुत्व के समर्थक की छवि प्रदान करने में सहायक बना था. पार्टी में भी वल्लभभाई पटेल, मदनमोहन मालवीय, राजेंद्र प्रसाद जैसे हिंदूवादी चेहरों को बनाए रखा गया था. शायद यही कारण था कि तत्कालीन जनसंघ का उभरने का मौका नहीं मिला.

इंदिरा गांधी : मंदिरों और संतों के दर्शन का पुण्य लाभ

इंदिरा गांधी ने एक पारसी फिरोज से शादी की थी. इसलिए वो सार्वजनिक जीवन में हमेशा अपने हिंदू होने का प्रदर्शन करती थीं. देश में जहां भी दौरे पर जाती थीं वहां की खास मंदिरों में दर्शन करने जरूर जाती थीं. हालांकि कहा जाता है जगन्नाथ मंदिर में उन्हें दूसरे धर्म का बताकर मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. देवरहा बाबा की वो भक्त थीं. शंकराचार्यों और संतों के दर्शन करतीं थीं. सर पर भारतीय महिलाओं की तरह साड़ी का पल्लू रखना और गले में रुद्राक्ष की माला उन्हें एक पारंपरिक भारतीय महिला की छवि प्रदान करता था. पंजाब में आतंकवाद के दौर में उनके भाषणों में हिंदुओं पर हो रहे हमलों का जिक्र मिलता है.

राजीव गांधी : अयोध्या में राम मंदिर का ताला खुलवाने में भूमिका

कहा जाता है कि विवादित रामजन्म भूमि का 1986 में ताला खुलवाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बड़ी भूमिका थी. इतना ही नहीं बाद में राजीव गांधी ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत अयोध्या से करके हिंदुओं के तुष्टिकरण की कोशिश में अपने हाथ जला लिए थे. माना जाता है कि उनके इस कदम के बाद ही मुसलमान कांग्रेस से नाराज हो गए और कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी. दरअसल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोधी जो दंगे हुए उससे कांग्रेस को बहुत फायदा हुआ था. सिखों के खिलाफ हिंदुओं का मोबलाइजेशन कांग्रेस के ऐतिहासिक विजय का कारण रहा. जिसे बाद में राजीव गांधी ने रामजन्म भूमि का ताला खोलकर फिर से उभारना चाहा था.

सोनिया गांधी-राहुल गांधी : कुंभ और मानसरोवर की यात्रा

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी ने 2001 में विपक्ष में रहते हुए और 2013 में यूपीए की सत्ता के दौरान दो महाकुंभ में संगम तट पर स्नान किया. अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी वह पूजा में शामिल होती रही हैं. वहीं राहुल गांधी को पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस कर जनेऊधारी ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र का शिवभक्त बताया था. राहुल ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी की थी. मंदिरों में जाने की अपनी तस्वीर वह शेयर करवाते रहते हैं.

पंजाब में हिंदू कांग्रेस

1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद पंजाब में सिखों का वोट नहीं मिलता है फिर भी इस राज्य में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल होती है. जब अकालियों की सरकार बनती है तो कांग्रेस मुख्य विपक्ष की भूमिका में होती है. कहने का मतलब है कि आज भी पंजाब में कांग्रेस देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले मजबूत स्थित में है. इसका सबसे कारण यही है कि वहां कैप्टन अमरिंदर समय-समय पर कई मुद्दों पर बीजेपी वाला स्टैंड लेते देखे गए हैं. इसके लिए कई बार अमरिंदर पर बीजेपी का साथ देने का आरोप भी लग जाता है. अभी लाल किले पर बवाल के मुद्दे पर भी सीएम अमरिंदर ने अपनी पार्टी का स्टैंड नहीं लिया. इसका सबसे बड़ा कारण ये ही है कि पंजाब में कांग्रेस हिंदू कांग्रेस है. बीजेपी को वहां के हिंदुओं का वोट नहीं मिलता.


Next Story