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- आत्मनिर्भरता का आधार...
आत्मनिर्भरता का मंत्र नए भारत के निर्माण का एक नया मूलमंत्र बन गया लगता है।इसकी अभिव्यक्ति वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट में भी दिखाई दी और प्रधानमंत्री के संसद में दिए गए संबोधन में भी। इसमें उन्होंने निजीकरण का सहयोग लेने की वकालत करते हुए कहा कि यह सोच बीते युग की बात है कि सब कुछ सरकार करेगी। वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार के जिस विजन को रखा, उसे समझने का प्रयास करें तो हमारे सामने आत्मनिर्भर भारत का स्पष्ट रोड मैप दिखाई देता है।
सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उद्योग, वाणिज्य, अवसंरचना, आर्थिक सुधारों की गति तेज करने और नई अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए निजीकरण एवं विनिवेश आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता हैं। इससे एक तरफ रोजगार के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी तो दूसरी ओर समाज के सभी वर्गों के बेहतर जीवन स्तर के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, जल, स्वच्छता और कौशल की उपलब्धता के साथ-साथ ग्रामीण विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा। श्रम की उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की कुशलता में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। इसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर की तरफ ही नहीं बढे़गी, बल्कि भारतीय युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप नए भारत का निर्माण भी करेगी।