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- ज्ञान का अभिमान

सच तो यह है कि इस सच को समझने में मुझे काफी देर लगी। मैंने इसे बहुत बाद में समझा, पर जब समझ आ गई तो मेरी प्रगति के नए रास्ते खुलते चले गए। हम में से कोई भी ऐसा नहीं है जिसके पास दुनिया का पूरा ज्ञान हो, जो सब कुछ जानता हो, लेकिन हम सब कुछ न कुछ ऐसा जानते हो सकते हैं जिसे बाकी लोग नहीं जानते। जब हम नौकरी में या व्यवसाय में उन्नति करते हैं और हम पर टीम का नेतृत्व करने की जि़म्मेदारी होती है तो अक्सर वह इसलिए होता है क्योंकि हम दूसरों से कुछ ज्यादा काबिल हैं, कुछ ज्यादा ज्ञानवान हैं और कुछ ज्यादा अच्छे निर्णय लेते हैं। हमारी काबलियत और हमारा ज्ञान ही हमारी उन्नति का कारण बनता है। अक्सर हमारी टीम के लोग हमारे पास अपनी समस्याएं लेकर आते हैं या कई बार कोई नया सुझाव देते हैं। हमारा कोई सहकर्मी जब किसी समस्या का जि़क्र करता है तो हम तुरंत उसे कोई समाधान सुझाकर खुश हो जाते हैं। दूसरी ओर, जब हमारा कोई साथी कोई सुझाव लेकर आता है और हमें पता है कि सुझाव कच्चा है और उसमें इतनी कमियां हैं कि उससे फायदा होने के बजाय नुक्सान होगा, तो हम तुरंत उस विचार को काट देते हैं और अपना कोई नया विचार सामने रख देते हैं। जब हम समस्या का समाधान सुझाते हैं तो वह एक समस्या तो हल हो जाती है, लेकिन अपने इस व्यवहार से हम एक नई समस्या को जन्म देते हैं और वह समस्या है सारा काम खुद करने की, हर समस्या का समाधान खुद करने की, परिणाम यह होता है कि टीम का हर सदस्य हर छोटी-बड़ी समस्या हमारे सामने रखता है और हमारा सारा समय उन समस्याओं के हल में बीतता है।
