सम्पादकीय

देश का गर्व

Triveni
7 Aug 2021 3:59 AM GMT
देश का गर्व
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यह भारतीय हॉकी का बेहतरीन दौर है।

यह भारतीय हॉकी का बेहतरीन दौर है। गुरुवार को पुरुष हॉकी टीम ने जहां 41 साल बाद ओलंपिक में पदक जीता, वहीं महिला टीम पहली बार चौथे स्थान तक पहुंची है। शुक्रवार को कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में महिला टीम हर तरह से जीत की हकदार थी, लेकिन खेलों में हार-जीत का क्रम बना रहता है। कांस्य पदक हाथ से निकलने का अफसोस तो हमेशा रहेगा, लेकिन इस सर्वोच्च प्रतियोगिता का जो कुल हासिल है, उस पर हमें जरूर गौर करना चाहिए। शायद यह पहला ओलंपिक है, जिसमें हमारे खिलाड़ी आसानी से हार मानने को तैयार नहीं हैं। पहले के ओलंपिक के ज्यादातर खेलों में शुरू में ही हार मानने का क्रम चालू हो जाता था। यह कदापि कम नहीं कि भारतीय महिला हॉकी टीम ओलंपिक के इतिहास में पहली बार मेडल जीतने से रह गई है। भारतीय महिलाओं ने तो एक समय जोरदार वापसी की और चार मिनट के अंदर ही तीन गोल दागकर 3-2 की बढ़त बना ली थी, लेकिन गौर करने की बात है कि यह बढ़त कायम नहीं रह पाई और ब्रिटेन की टीम 4-3 से जीत गई। यह कहा जा रहा है कि ब्रिटेन की टीम ने दूसरे हाफ में जीतने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, तो भारतीय टीम ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। जिस मोर्चे पर कमी रह गई, इस पर कोच और टीम प्रबंधन को अब काम करना चाहिए। इस ऊंचाई पर खेलने से जो अनुभव होते हैं, उससे भविष्य के लिए टीमें तैयार होती हैं।

रानी रामपाल के नेतृत्व वाली इस शानदार टीम के एक-एक सदस्य को बधाई। इस टीम को हमेशा याद किया जाएगा। उसके संघर्ष, उसकी आलोचना, उसके अभाव के किस्से खूब सुने-सुनाए जाएंगे। टीम के कोच सोर्ड मारजेन ने बिल्कुल सही कहा है कि आम तौर पर जब भारतीय महिला टीम 0-2 से पीछे होती थी, तो हमेशा 0-3, 0-4 से पिछड़ती थी, लेकिन अब यह टीम लड़ती है और इस मैच में भी लड़ती रही। एक समय हमने मैच में वापसी की और हम एक गोल से आगे भी थे। अब कोच के शब्द हमेशा के लिए दर्ज हो गए हैं, 'सुनो, मैं तुम्हारे आंसू नहीं पोंछ सकता। उसके लिए कोई शब्द मदद नहीं करेगा। हमने पदक नहीं जीता, लेकिन मुझे लगता है कि हमने कुछ बड़ा हासिल किया है। यह देश को प्रेरणा दे रहा है और गौरवान्वित कर रहा है। मुझे लगता है, दुनिया ने एक नई भारतीय टीम देखी है और मुझे वास्तव में इस टीम पर बहुत गर्व है।' आमतौर पर हारने वाली टीम से हमारे नेता मुंह चुरा लेते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिला हॉकी टीम से बात की और करोड़ों भारतीयों का दिल जीतने के लिए बधाई दी और साथ ही, यह भी कहा कि आंसू बहाना बंद करें, आप पर देश को गर्व है। जीतने वालों को दुनिया सलाम करती है, पैसे की भी बारिश होती है, लेकिन भारतीय महिला हॉकी टीम भी ऐसे सौगातों की हकदार है। टीम की कई खिलाड़ी बेहद गरीब घरों से आती हैं, उन्हें वाजिब आर्थिक सहायता पाने का अधिकार है। आमतौर पर हम मौसमी ढंग से खिलाड़ियों की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हैं और फिर सब कुछ भुला बैठते हैं, लेकिन अब यह नया दौर है, इसमें मीडिया और आम लोगों को भी खिलाड़ियों के हित में सजग रहना चाहिए। तभी हम अपने प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को देश का गौरव बढ़ाने की ओर प्रेरित कर पाएंगे।


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