सम्पादकीय

तीसरी लहर की तैयारी: तीसरी लहर पाकिस्तान की गीदड़ भभकियों जैसे होगी या चीन की पुरानी तिकड़मों की तरह

Tara Tandi
22 Aug 2021 2:05 AM GMT
तीसरी लहर की तैयारी: तीसरी लहर पाकिस्तान की गीदड़ भभकियों जैसे होगी या चीन की पुरानी तिकड़मों की तरह
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सुना है कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है।

भूपेंद्र सिंह | सुना है कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है। पहली लहर तो घंटी बजाते, ताली बजाते, दीप जलाते, टेलीविजन पर 'रामायण', 'महाभारत' देखते, नए-नए पकवान बनाते, खाते-पीते बीत गई। दूसरी लहर मौत का विजिटिंग कार्ड लेकर आई। इतने लोग निपट गए कि अपने वजूद पर ही शक होने लगा। सवेरे आंखें खोलते तो पांच मिनट इस भ्रम में रहते कि आंख अपने पलंग पर खुली है या यमलोक में। अंतत: जब इत्मीनान हो जाता कि अभी पंचतत्व और आत्मा में तलाक नहीं हुआ है अर्थात जिंदा हैं तो चैन की सांस आती। चैन की सांस अभी जिस्म में ठीक से एडजस्ट भी न हो पाई थी कि तीसरी लहर की दुंदुभी बज गई। अब डेढ़ साल में कोरोना का तीसरा हमला। हे प्रभु, आखिर चाहते क्या हो! छह महीने बाद यूपी और ढाई साल बाद लोकसभा का चुनाव है। उनमें वोट डालने का मौका नहीं दोगे। एक-एक वोट की लड़ाई है। हालांकि हमने तो वैक्सीन की दोनों डोज भी लगवा ली हैं। फिर भी डर है कि मानता ही नहीं।

कैसी होगी तीसरी लहर

तीसरी लहर आ रही है, बस इतना सुना है। वह कैसी होगी, पाकिस्तान की गीदड़ भभकियों जैसी या चीन की पुरानी कारस्तानियों की तरह? जैसे-कोई नहीं जानता कि आक्सीजन की खोज होने के पहले आदमी जिंदा कैसे रहता था? दुनिया में पहले मुर्गी आई या अंडा? इसी प्रकार कोई नहीं जानता कि कोरोना कब तक हमारी छाती पर भांगड़ा करेगा! दुनिया भर के डाक्टर और विज्ञानी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। इधर वे वैक्सीन बनाते हैं, उधर कमबख्त कोरोना अपना रूप बदल लेता है। अलग-अलग नाम से, अलग-अलग महीने में, अलग-अलग लक्षण के भेष में आ जाता है।

तीसरी लहर से निपटने की तैयारी में लगे

हमारे एक पड़ोसी सारे काम छोड़कर आजकल सिर्फ तीसरी लहर से निपटने की तैयारी में लगे हैं। घर का डबल बेड बेचकर अस्पताल वाले दो पलंग खरीद लाए हैं। तर्क यह है कि पाजिटिव होने की स्थिति में घर में ही अस्पताल वाली फीलिंग आएगी। वायरस कन्फ्यूज होगा सो अलग। यही नहीं, उन्होंने अपने एलपीजी सिलेंडरों में भी आक्सीजन भरवाकर रख ली है, ताकि पेड़-पौधे अगर इन्कार कर दें तो भी फेफड़ों को आक्सीजन की कमी न हो। सुना तो यह भी है कि अपनी छत पर एक और पानी की टंकी रखवा रहे हैं। उस टंकी में सैनिटाइजर भर कर रखेंगे। रोज पहले सैनिटाइजर से नहाएंगे, फिर पानी से। एक डाक्टर को अपने पूरे शरीर का ठेका दे दिया है, जो उनके तापक्रम में परिवर्तन की स्थिति में इलाज करेगा।

खौफजदा मित्र दिल के अरमान पूरे करने में जुट गए

एक अन्य मित्र इतने खौफजदा हैं कि जल्दी-जल्दी अपने दिल के अरमान पूरे करने में जुट गए हैं। उन्होंने लाकडाउन से पहले एक गरम सूट सिलवाया था। तबसे न कोई शादी-ब्याह पड़ा, न मुंडन-जनेऊ। बेचारे सूट का उद्घाटन तक न हो सका। तीसरी लहर की तैयारी में मोहल्ले का किराना दुकानदार भी पीछे नहीं है। अच्छे किस्म का सामान ऊंचे दामों पर बेचने के लिए उसने अलग स्टाक कर रखा है। हेल्थ इंस्पेक्टर को एडवांस में लिफाफा दे दिया है, ताकि आगामी लाकडाउन में धंधा बिना रोक टोक चल सके। मोहल्ले के ग्वाले ने भी रिहर्सल शुरू कर दी है। उसकी भैंस तक हैरान है कि वह कुल पांच लीटर दूध देती है, पर मालिक आठ लीटर बेचने के बाद भी घर के लिए दो लीटर कैसे बचा लेता है। नशेबाज भी कमर कसकर तैयारी में जुट गए हैं। पहले लाकडाउन में हुई छटपटाहट को वे अभी तक भूले नहीं हैं।

तीसरी लहर के प्रति संवेदनशील

हमारे एक परिचित तो तीसरी लहर के प्रति इस कदर संवेदनशील हो गए हैं कि अपने परिवार के साथ-साथ मोहल्ले के कुत्तों को भी जागरूक करना चाहते हैं। सारे कुत्ते चौराहे पर शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ाते हुए एकत्र होते हैं और अपनी भाषा में मंत्रणा करते हैं। परिचित को यह सब नागवार गुजरता है, लेकिन कुत्ते कुछ सीखना ही नहीं चाहते। एक दिन मित्र हाथ-पैर में पट्टियां बांधे, लंगड़ाते हुए मिले। हमने पूछा कि क्या हुआ तो कराहते हुए बोले, 'भलाई का जमाना ही नहीं रहा। कल रात मैं कुत्तों को मास्क पहना रहा था। उसी का नतीजा है।'

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