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- चीन के खिलाफ तैयारी
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चीन की ओर से तात्कालिक और दीर्घकालिक चुनौतियों के मद्देनजर भारतीय सेना अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में संरचनागत निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ा रही है।
चीन की ओर से तात्कालिक और दीर्घकालिक चुनौतियों के मद्देनजर भारतीय सेना अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में संरचनागत निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ा रही है। दरअसल, पिछले साल जून महीने में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच विभिन्न स्तरों पर बातचीत लगातार चल रही है, कुछ बिंदुओं पर सहमति भी बनी, लेकिन इसके बावजूद दोनों पक्षों में तनाव कम नहीं हो पा रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 'यथास्थिति' बहाल करने को लेकर भी दोनों देशों के बीच विवाद अभी बने हुए हैं। इसी वजह से दोनों पक्षों के बीच अविश्वास भी बना हुआ है। 10 अक्टूबर को हुई सैन्य स्तर की 13वें दौर की बातचीत तो गतिरोध टूटने की कोई संभावना दिखाए बगैर ही समाप्त हुई।
इसी बीच चीन ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की अरुणाचल यात्रा पर ऐतराज जताकर यह संकेत भी दे दिया कि पूर्वी लद्दाख स्थित सीमाओं के साथ ही वह अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों पर विवाद खड़ाकर किसी भी समय इसे व्यापक रूप दे सकता है और अपनी सुविधा के हिसाब से जब जहां चाहे तनावपूर्ण हालात बना सकता है। ऐसे में स्वाभाविक ही है कि भारतीय सेना अपने तईं पूरी सावधानी बरतते हुए चल रही है। जहां पूर्वी लद्दाख क्षेत्रों में करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती बरकरार रखी गई है, वहीं अरुणाचल प्रदेश की चीन से लगती सीमा पर निरंतर चौकसी के इंतजाम रखते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के काम को भी जोर-शोर से आगे बढ़ाया जा रहा है।
ध्यान रहे कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से लगी करीब 1350 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नजर बनाए रखना अपने आप में खासा चुनौतीपूर्ण है। फिलहाल सैन्य तैनाती में खास इजाफा किए बगैर तकनीकी क्षमता बढ़ाते हुए इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है और इसमें यह स्थिति हासिल कर ली गई है कि दुश्मन किसी भी सूरत में हमें चौंका न पाए। जहां तक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात है तो इसमें रातोंरात कोई बड़ा बदलाव तो नहीं हो सकता, लेकिन बिना किसी शोर-शराबे के उस मोर्चे पर भी काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।
करीब 20 पुल, बड़ी संख्या में सुरंग और एयरबेस बनाने के अलावा कई महत्वूपूर्ण इलाकों को सड़क से जोड़ने की योजना है। इसके अलावा तवांग को रेल से जोड़ने के प्रॉजेक्ट पर भी काम हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन सबके पीछे रिएक्टिव ऐप्रोच नहीं है। सेना दीर्घकालिक चुनौतियों के मद्देनजर अपनी जरूरतें समझते हुए तैयार की गई योजनाओं के अनुरूप काम कर रही है। निश्चित रूप से ये तैयारियां जहां हमारी सीमाओं को सुरक्षित बनाकर हमें निश्चिंत करेंगी, वहीं बुरा इरादा रखने वाली ताकतों को भी आगाह करेंगी कि अपनी भलाई को देखते हुए ही सही, पर वे कोई दुस्साहस न करें।
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