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काम करने वाले और कान भरने वाले, ऐसे दो तरह के लोग सबके जीवन में आते हैं
पं. विजयशंकर मेहता। काम करने वाले और कान भरने वाले, ऐसे दो तरह के लोग सबके जीवन में आते हैं और आएंगे। घर में भी, बाहर भी। आपका काम-धंधा, नौकरी-व्यापार इस तरह के लोगों से संचालित होगा और घर-गृहस्थी भी प्रभावित होगी। ऐसे लोगों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए संतों ने एक मंत्र दिया है 'साक्षी हो जाओ।' यहां काम आएगा मेडिटेशन।
हम मनुष्य हैं तो कर्ता यानी काम करने वाले भी हैं, लेकिन जब ध्यान करेंगे तो कर्ता से साक्षी हो जाने की कला सीख जाएंगे। जो साक्षी होता है, वह अपने शरीर, हृदय, बुद्धि और मन, इन चारों को दूर से देख लेता है। अभी हमने इन सबका घालमेल कर रखा है। इसीलिए कान भरने वाले लोग हमारे विश्वसनीय हो जाते हैं और काम करने वालों पर हम संदेह करने लगते हैं।
प्रयास ऐसा करिए कि अपने ही विचारों को किसी फिल्म की तरह अपने भीतर गुजरते हुए देखें। अपने कर्म को करते हुए देखिए, जैसे कोई दूसरे कर रहे हों। अपनी भावनाओं को हवा की तरह बहते हुए देखें और इसके बाद दूर से इन सबके परिणामों को भी देखिए। सफल हो या असफल, कर्ता सदैव दुखी रहेगा। ऐसे ही जीत हो या हार, साक्षी हमेशा सुखी भी रहेगा शांत भी रहेगा। अब आने वाले कुछ साल बहुत मेहनत से जीविका चलाने का दौर होगा। ऐसे में साक्षी होने का अभ्यास बहुत काम आएगा।
Rani Sahu
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