सम्पादकीय

सत्ता बनाम धर्म

Subhi
12 Dec 2022 6:00 AM GMT
सत्ता बनाम धर्म
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दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता की निगरानी का जिम्मा संभाल रहे स्वयंभू अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने पाकिस्तान, चीन, रूस, और सऊदी अरब समेत 12 देशों को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की सूची में डाला है। इसका सूची का विरोध इस सूची में शामिल रूस, चीन जैसे बड़े देश कर रहे हैं। उनका कहना है कि अमेरिका को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

Written by जनसत्ता; दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता की निगरानी का जिम्मा संभाल रहे स्वयंभू अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने पाकिस्तान, चीन, रूस, और सऊदी अरब समेत 12 देशों को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की सूची में डाला है। इसका सूची का विरोध इस सूची में शामिल रूस, चीन जैसे बड़े देश कर रहे हैं। उनका कहना है कि अमेरिका को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

कुछ देशों की छवि धूमिल करने के लिए अमेरिका का यह आयोग इस तरह की हरकतें करता रहता है। हालांकि इस रिपोर्ट में आंशिक सच्चाई भी है। इस सूची में शामिल चीन में आज भी उइगर मुसलमानों की जो दुर्दशा वहां की सरकार कर रही है, वह किसी से छिपा नहीं है। मुसलिम अल्पसंख्यकों को वहां किसी भी तरह की धार्मिक आजादी नहीं है।

इसी तरह पाकिस्तान में मुसलिमों को छोड़ कर अन्य धर्म के लोग के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। अमेरिका ने चीन और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के बारे में जो भी बात कही है, उसमें काफी हद तक सच्चाई है। हालांकि खुद अमेरिका भी दूध का धुला नहीं है। वहां भी श्वेत बनाम अश्वेत का मसला हमेशा बना रहता है और हमेशा गोरे लोग अश्वेतों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करते हैं। वास्तव में अमेरिकी न्याय प्रणाली में भी बहुत-सी खामियां है

एक समय था जब आंख खुलते ही कानों में पक्षियों की मधुर ध्वनि सुनाई पड़ती थी। वह मनमोहक सुबह पूरे दिन हमें तरोताजा कर दिया करती थी। मगर समय ने आज हमें उन छोटे-छोटे पक्षियों को हमसे दूर कर दिया है और कुछ का तो अस्तित्व ही खतरे में है। अपने खुद के घर आबाद करने के चक्कर में हमने उन खूबसूरत पक्षियों के घरों यानी पेड़-पौधों का सफाया कर डाला।

गांवों में तो फिर भी ये पक्षी देखने को मिल जाएंगे, मगर शहरों में तो भागमभाग भरी जिंदगी ने पक्षियों को खत्म कर दिया है। इनके संरक्षण के लिए सरकारों के साथ स्थानीय स्तर पर समाज को भी आगे आना पड़ेगा। पक्षियों को दाना-पानी देना भारतीयों की संस्कृति में है। पक्षियों का हमारे बीच रहना स्वस्थ पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है।


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