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- इस्तीफे के बाद
बाम्बे हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों और अनिल देशमुख पर लगाये गये गंभीर आरोपों की सीबीआई से जांच कराने के आदेश के बाद आखिरकार गृहमंत्री पद से अनिल देशमुख ने त्यागपत्र दे दिया है जो उद्धव सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाला ही है। बेहतर होता कि जब एक जिम्मेदार अधिकारी पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख पर गंभीर आरोप लगाये थे तभी उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए था। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या देशमुख के इस्तीफे के बाद उद्धव सरकार पर आंच आ सकती है। दरअसल, जब पूर्व पुलिस कमिश्नर ने गृहमंत्री देशमुख पर हर माह सौ करोड़ रुपये की उगाही का दबाव डालने का आरोप लगाया था तो पूरा देश राजनेताओं व पुलिस की जुगलबंदी से सकते में आ गया था। पहले सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाले मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक सामग्री से भरी कार बरामद होने के बाद जब पुलिस अधिकारी सचिन वाझे की गिरफ्तारी हुई तो कयास लगाये जा रहे थे कि सरकार में शामिल कुछ बड़े नाम एनआईए की जांच के दायरे में आ सकते हैं। सचिन वाझे मामले में अब रोज नये खुलासे हो रहे हैं तो कयास लगाये जा रहे हैं कि जाल में राजनीति के कुछ दिग्गज भी लपेटे में आ सकते हैं। इन दोनों मामलों में केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता से राज्य में कुछ नये चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। ये एजेंसियां केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करती हैं, इसलिये इस जांच का राजनीतिक एंगल भी हो सकता है। पहले से ही राज्य में शिवसेना के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार लंबे समय से भाजपा की राज्य इकाई के निशाने पर रही है। खासकर वर्ष 2019 में राज्य में उद्धव सरकार के बनने के बाद से ही दोनों दलों में छत्तीस का आंकड़ा रहा है। राज्य में कई मामलों में केंद्रीय एजेंसियां पहले ही जांच कर रही हैं, जिसमें अब देशमुख प्रकरण भी जुड़ गया है।