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उत्तर प्रदेश ने बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने का जो प्रयास किया है
उत्तर प्रदेश ने बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने का जो प्रयास किया है, वह देश भर में होना चाहिए। बढ़ती जनसंख्या, सीमित संसाधन और कम होती प्रतिव्यक्ति आय आज चिंता के विषय हैं। इसलिए समय रहते जनसंख्या को नियंत्रित करने की जरूरत है। यह फैसला देशहित में होगा। अभी उच्च और मध्यम वर्ग के लोग जनसंख्या वृद्धि को लेकर चिंता जता रहे हैं, लेकिन रूढ़िवादी सोच के और कम पढे़-लिखे लोग बेटे की चाहत में बढ़ती जनसंख्या की बड़ी वजह बने हुए हैं। बढ़ती आबादी देश के विकास में बाधा न बने, इसके लिए समय रहते चेतने की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारों को आपस में तालमेल बनाकर राजनीतिक चश्मे से इतर राष्ट्रहित में 'एक देश, एक नियम' पर आगे बढ़ना चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण की ठोस नीति अपनानी चाहिए।
दोतरफा खतरा
पिछले दो वर्षों में कोरोना ने हर किसी की जीवनशैली बदल दी। आज भी कई लोग घरों में बंद हैं और बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलते हैं। दिक्कत यह है कि महामारी आज भी नियंत्रित नहीं हो सकी है। पोस्ट-कोविड बीमारियां भी कम घातक नहीं हैं। मगर अब कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को टीबी का खतरा अधिक होता है। इसके कई मामले सामने आए हैं। भारत ने 2025 तक तपेदिक उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, लेकिन जिस तरह से इसके मरीज सामने आ रहे हैं, हालात चिंताजनक हो गए हैं। साफ है, यह वक्त हमारी जीवनशैली बदलने का है। हम बहुत गंभीरता से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें, क्योंकि एक बार कोरोना हो जाने पर कई अन्य बीमारियों का भी जोखिम बढ़ जाता है।
क्रेडिट बाय लाइव हिंदुस्तान
Rani Sahu
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