सम्पादकीय

प्रदूषण की मार

Subhi
10 Jun 2022 5:43 AM GMT
प्रदूषण की मार
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समय के साथ प्रदूषण की समस्या गंभीर संकट बनती जा रही है। लैंसेट की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में दुनिया भर में प्रदूषण से नब्बे लाख मौतें हुई थीं, उनमें से पचहत्तर फीसद मौतें सिर्फ वायु प्रदूषण की वजह से हुईं।

Written by जनसत्ता: समय के साथ प्रदूषण की समस्या गंभीर संकट बनती जा रही है। लैंसेट की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में दुनिया भर में प्रदूषण से नब्बे लाख मौतें हुई थीं, उनमें से पचहत्तर फीसद मौतें सिर्फ वायु प्रदूषण की वजह से हुईं। प्रदूषण के संदर्भ में भारत की स्थिति बेहद निराशाजनक है। वर्ष 2019 में भारत में वायु प्रदूषण से सोलह लाख से अधिक मौत हुईं। घरेलू वायु प्रदूषण की तुलना में औद्योगिक वायु प्रदूषण और रासायनिक प्रदूषण ज्यादा कहर बरपा रहा है।

प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह समस्या कई सदियों की देन है। बारहवीं सदी से दुनिया में विकास का पहिया घूमना शुरू हुआ, तभी से प्रदूषण की समस्या का भी जन्म हो गया। विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन का दौर शुरू हो गया।

वृक्षों को काट कर मैदान बनाया गया, पहाड़ों को काट कर सड़कें बना और कोयला जला कर बिजली पैदा की जाने लगी। अब प्रदूषण को नियंत्रित करना किसी भी सरकार के बूते से बाहर की बात हो चुकी है। आमजन के सहयोग से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।


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