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- राजनीति की नई...
कमर वहीद नकवी। नारायण राणे-उद्धव ठाकरे मल्ल-युद्ध का पहला दौर बराबरी पर छूट चुका है, और दोनों सेनाएं अपने-अपने घाव सहलाते हुए अपने तंबुओं में लौट गई हैं, मगर यह हमारे यहां चल रही राजनीति का एक और विद्रूप उदाहरण है। जी, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। मैंने राजनीति ही लिखा है। पिछले पचास बरसों से लोकतंत्र की तमाम मर्यादाओं को लांघते-तोड़ते, बेशर्मियों के नित नए मानक स्थापित करते हुए अब हम उस मुकाम पर आ पहुंचे हैं, जहां अनीति हमारी नई शिरोमणि है और नीति की बात करना या मर्यादा के भीतर रहना परले दर्जे की मूर्खता! यह अनीति अब हमें जीवन के लगभग हरेक क्षेत्र में बेलगाम दिख रही है, रोजमर्रा की राजनीति हो, अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध सत्ता का दुरुपयोग हो, जन-विरोध के हर स्वर को किसी भी सीमा तक प्रताड़ित करना हो, झूठे नैरेटिव हों, मीडिया हो और हमारा सामाजिक विमर्श हो, अब मर्यादा की कोई रेखा हमें वह सब करने से नहीं रोकती, जो हमें कतई नहीं करना चाहिए।