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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या सीसीटीवी कैमरा लगाने से पुलिस की यातनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट की राय से ऐसा लगता है कि यह संभव है। लेकिन जब यातनाएं सरकार की नीति के तहत दी जाती हों, तो आखिर ऐसा कैसे मुमकिन हो सकता है? पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा, उससे ऐसे अहम सवालों का उत्तर नहीं मिला। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि हर पुलिस स्टेशन के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, मुख्य द्वार, लॉकअप, गलियारों, लॉबी और रिसेप्शन पर सीसीटीवी कैमरे लगे हों। साथ ही बाहर के क्षेत्र के लॉकअप कमरों को कवर किया जाए, जिससे कोई भी हिस्सा कैमरे की जद से बाहर न होने पाए। इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र सरकार से सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) और सीरियस फ्रॉड इनवेस्टीगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) के कार्यालयों समेत ऐसी जांच एजेंसियों के दफ्तर में सीसीटीवी कैमरे लगाने और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने को कहा, जिनके पास पूछताछ और गिरफ्तारी की शक्ति है। कोर्ट की एक बेंच ने थानों में सीसीटीवी लगाने का ये आदेश एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।