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शशांक पांडेय| गुजरात में 1998 तक सहकारी संस्थानों, बैंकों में कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। सिर्फ एक सहकारी बैंक पर भाजपा काबिज थी। अमित शाह ने सहकारी संस्थानों से कांग्रेस को बेदखल करने की योजना तैयार की। धीरे-धीरे कांग्रेस गुजरात के सहकारी संस्थानों से पूरी तरह गायब हो गई। अब जब नरेंद्र मोदी ने नया सहकारिता मंत्रलय बनाया तो उसके मंत्री के तौर पर अमित शाह को नियुक्त किया। दरअसल यह दृष्टांत ही तय कर देता है कि मोदी के इस सबसे बड़े बदलाव के मूल में क्या है? पारंपरिक तरीके से राजनीति को देखने पर शायद ही समझ में आए कि गृह मंत्रलय के साथ सहकारिता मंत्रलय एक ही व्यक्ति को भला कैसे दिया जा सकता है, लेकिन इसी सोच के तहत मनसुख मांडविया नए स्वास्थ्य मंत्री बने हैं। रसायन एवं उर्वरक मंत्रलय के साथ स्वास्थ्य मंत्रलय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रलय का जिम्मा वह किस प्रकार ठीक से संभाल पाएंगे, इसे समझने के लिए उस प्रसंग को याद करें जब नितिन गडकरी को स्पष्ट करना पड़ा था कि, वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने को लेकर मैंने कुछ सुझाव दिए थे, पर मुङो जानकारी नहीं थी कि मांडविया पहले ही बता चुके थे कि यह सब हो चुका है।