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मोदी सरकार ने मेडिकल एवं डेंटल पाठ्यक्रमों में आरक्षण को लेकर हाल में एक महत्वपूर्ण पहल की। इसके अंतर्गत अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों यानी ईडब्ल्यूएस के लिए इनमें अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षण का विस्तार किया जाएगा। यह भाजपा जैसी एक राष्ट्रीय पार्टी द्वारा उठाया गया चतुराई भरा कदम है। इसके माध्यम से उसने अपने मूल मतदाताओं को खुश रखते हुए तमाम क्षेत्रीय दलों के जातिगत समर्थन में सेंध लगाने का प्रयास किया है। भारतीय संविधान के पहले संशोधन में अनुच्छेद 15 में धारा चार जोड़ी गई। इसके अनुसार राज्य को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति या सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े अन्य वर्गों के उत्थान के लिए विशेष प्रविधान करने का अधिकार प्रदान किया गया है। यह राज्य द्वारा की गई आरंभिक स्वीकारोक्ति थी कि ऐसे नागरिकों के संरक्षण के लिए आरक्षण या ऐसी अन्य नीतियां आवश्यक थीं।